हिंदुत्ववादियों का भारत में मुसलमानों की आबादी के बारे में सफ़ेद झूठ

शम्सुल इस्लाम

गेरुआ वस्त्र-धारी साक्षी महाराज जो स्वयं को महाराज कहलाना पसंद करते हैं, एक ऐसे व्यक्ति हैं जो भारत के प्रजातान्त्रिक-सेक्युलर संविधान, भारत के धार्मिक अल्प-संख्यक समुदायों विशेषकर मुसलमानों और ईसाइयों के खिलाफ लगातार ज़हर उगलते रहते हैं। यह हिंदुत्व राजनीति का वही सिपहसालार है जिस ने गांधीजी के हत्यारे, नाथू राम गोडसे को महामंडित करते हुए उसे राष्ट्रीय देशभक्त घोषित करने की मांग की थी।

राष्ट्र-विरोधी ज़हर उगलने के काम को जारी रखते हुए हाल ही में उन्होंने उत्तर प्रदेश के मेरठ नगर में देश में बढ़ती आबादी की समसया के बारे में प्रवचन देते हुए फ़रमाया : "यह जो जनसंखया बढ़ रही है इस के लिए हिन्दू ज़िम्मेदार नहीं हैं। जनसंख्या उन लोगों के कारण बढ़ी है जो 4 शादियों और 40 बच्चों का समर्थन करते हैं।"

याद रहे कि उत्तर प्रदेश में अगले महीने विधान सभा चुनाव होने हैं और आबादी बढ़ने को 4 शादियों और 40 बच्चों के होने से जोड़ कर मुसलमानों के ख़िलाफ़ नफ़रत फैलाने का ही उनका उद्देश्य था।

अर्ध-शिक्षित आरएसएस/ बीजेपी नेता, जो बदकिस्मती से लोक सभा सदस्य भी हैं, को इतनी जानकारी नहीं है कि जहाँ तक मर्दों द्वारा एक से ज़्यादा बीवी रखने का मामला है आदिवासियों, हिंदुओं और बौद्धों में मुसलमानों से ज़्यादा इस का प्रचलन है।

साक्षी की धर्मान्धता के कारण उनको यह एक सामान्य सच्चाई भी समझ में नहीं आती कि एक मर्द हर तरह की मर्दानगी के दावों के बावजूद 4 बीवियों से उतने बच्चे पैदा नहीं कर सकता जितने बच्चे 4 औरतों की 4 मर्दों से शादी के बाद पैदा होने की सम्भावना होगी।

एक बीवी के रहते हुए दूसरी या 4 शादियां, अपने आप में एक शर्मनाक प्रचलन है, जिस की किसी भी सभ्य समाज में इजाज़त नहीं होनी चाहिए, लेकिन यह दावा करना कि यह मुसलमानों तक सीमित है, एक सफ़ेद झूठ है।

भगवन राम के पिता राजा दशरथ की एक ही समय में 3 पत्नियां (कौशल्या, केकई और सुमित्रा) थीं और उनके केवल 4 संतानें थीं ना कि 30 जो साक्षी के फॉर्मूले के हिसाब से होनी चाहिए थीं।

इसी तरह श्री कृष्ण की 8 मुख्य रानियों और सैकड़ों छोटी रानियों के बावजूद 80+ संतानें नहीं थीं।

मुसलमानों में 4 शादियों का व्यापक प्रचलन और हर बीवी से 10 संतानों का जन्म हिंदुस्तानी मुसलमानों के खिलाफ एक और सफ़ेद झूठ है जो एक मिथक के रूप में आरएसएस गढ़ती रहती है।

भारत में मुसलमानों की जनसंख्या के बारे में एक और सफ़ेद झूठ जो हिंदुत्व टोली के द्वारा लगातार प्रसारित किया जाता है, वह यह है कि 'बस अगले 50 साल में भारत में मुसलमानों का बहुमत हो जायेगा' (मज़े की बात यह है कि यह रट पिछले 100 साल से लगातार लगाई जा रही है) ।

सच यह है कि भारत के इतिहास में 700 साल के 'मुसलमान राज' के बावजूद मुसलमानों की संख्या कुल आबादी में 20% से ज़्यादा कभी भी नहीं रही।

मुसलमानों की देश की आबादी में तथाकथित बढ़ोतरी का हव्वा हिंदुत्व टोली द्वारा आम मुसलमान के खिलाफ सफ़ाये के अभियान की मानसिकता तैयार करने का ही एक हिस्सा है।

सच तो यह है कि एक सेहतमंद प्रजातान्त्रिक और धर्म-निरपेक्ष व्यवस्था में यह मुद्दा तभी उठ सकता है अगर हम भारत को एक राष्ट्र नहीं मानकर इसे एक बहु-राष्ट्रीय देश मानते हों।

Hindutva white lie about Muslim population in India