भोपाल एनकाउंटर का विरोध करने पर अखिलेश की पुलिस का राजीव यादव की सरकारी हत्या का प्रयास

भोपाल एनकाउंटर का विरोध करने पर अखिलेश सरकार की पुलिस का जानलेवा हमला,

रणधीर सिंह सुमन

आजादी के बाद से आज तक के इतिहास में पहली बार भोपाल कारागार से आठ कथित सिमी कार्यकर्ता कैदियों को निकाल कर दस किलोमीटर दूर ईटी गांव में ले जाकर फर्जी मुठभेड़ दिखाकर हत्या कर दी। उस मुठभेड़ को सही साबित करने के लिए आश्चर्यजनक परिस्थितियों में जेल वार्डन रमाशंकर यादव की हत्या कर दी जाती है।

यह सभी कार्य राजनीतिक नेतृत्व के बिना सम्भव नहीं है।

दिल्ली में सीबीआई वरिष्ठ अधिकारी बंसल को गिरफ्तार करती है और उस घटना में पहले बंसल की बेटी और पत्नी आत्महत्या कर लेती है और बाद में बंसल और उनका पुत्र भी आत्महत्या कर लेता है।

सीबीआई केन्द्र सरकार की इच्छा शक्ति को प्रदर्शित करती है और अधिकारियों को यह संदेश देती है कि अगर हमारे राजनीतिक इशारों के अनुसार कार्य नहीं करोगे तो यातना गृह में पूरे परिवार को तड़पा-तड़पा कर मार डाला जायेगा।

यह सब मामले नाजी जर्मनी की याद दिलाते हैं और हिटलर का गेस्टापो जर्मनी में कवि लेखक पत्रकार न्यायविद व यहूदी लोगों को उठा ले जाते थे यातनागृहों में मार डालने का कार्य करते थे और अगर कोई व्यक्ति किसी जेल में होता था तो उसको कैदियों द्वारा पीटने के नाम पर उसकी हत्या कर दी जाती थी।

कतील नाम के मुस्लिम नौजवान की हत्या जेल में कर दी जाती जब उसके केस का फैसला आने वाला होता है।

उसी तर्ज पर जब इन सिमी कार्यकर्ताओं का फैसला आने वाला था तो जाकिर हुसैन सादिक, मोहम्मद सलीक, महबूब गुड्डू, मोहम्मद खालिद अहमद, अकील अमजद, शेख मुजीब और मजीद की हत्या कारागार से निकाल कर कर दी जाती है।

वहीं उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में उक्त हत्या कांड के विरोध प्रदर्शन में पुलिस ने नागरिक संगठन रिहाई मंच के महासचिव राजीव यादव की बुरी तरह पिटाई की है। पुलिस राजीव को पीटते हुए जीपीओ पुलिस चौकी ले गई, जहां तबीयत बिगड़ने पर ट्रॉमा सेंटर ले जाया गया।
राजीव यादव के अलावा मंच के शकील कुरैशी भी ज़ख़्मी हैं।
मंच ने सोमवार को भोपाल में हुए सिमी एनकाउंटर और उसमें पुलिस की भूमिका पर सवाल उठाते हुए लखनऊ, जीपीओ पर विरोध प्रदर्शन बुलाया था जहां पुलिस ने उनपर कार्रवाई की।

रिहाई मंच के अध्यक्ष ने कहा है कि मध्यप्रदेश की भाजपा सरकार ने उत्तर प्रदेश की समाजवादी सरकार से कोई अंदरुनी गठजोड़ कर रखा है, जिसका परिणाम लाठी चार्ज है। यह भी सरकारी हत्या का प्रयास है जो भी विरोध करेगा उसका भी यही अंजाम होगा।

देश बदल रहा है देश को यातना गृह और हत्या घर में बदला जा रहा है। न्यायपालिका चिल्ला रही है कि न्यायाधीशों की नियुक्ति न कर न्यायालयों में ताला लगाने की साजिश है। राजनीतिक नेतृत्व हिटलर के फासीवाद से प्रतीत है उससे कोई उम्मीद करना बेइमानी होगी।

जरूरत इस बात की है कि धर्मनिरपेक्ष, जनवादी कार्पोरेट विरोधी शक्तियों को अपनी ताकत से विरोध करने की है।

भोपाल फर्जी मुठभेड़ प्रकरण की अविलंब जाच उच्चतम न्यायालय के न्यायाधीश इस बिंदु पर कराने की आवश्यकता है कि क्या राजनीतिक नेतृत्व की इस फर्जी मुठभेड़ प्रकरण में कहां तक शामिल था।

opposed Bhopal encounter-attempted Rajiv Yadav's murder by Akhilesh government