दिल्‍ली पहुंची जगेंद्र को इंसाफ दिलाने की मांग जंतर-मंतर पर पत्रकारों का विशाल प्रदर्शन
प्रधानमंत्री और गृहमंत्री को ज्ञापन सौंपा, अभिव्यक्ति की आजादी को सुरक्षा देने की मांग
नई दिल्ली। पत्रकार को जलाकर मार देने की वीभत्स घटना पर यूपी सरकार की बेशर्मी ऐतिहासिक कीर्तिमान बनने की ओर है। एक तरफ जहां पत्रकार को न्याय दिलाने और आरोपी मंत्री की बर्खास्तगी और गिरप्तारी के लिए आंदोलन देशव्यापी होता जा रहा है वहीं यूपी सरकार पूरी निर्लज्जता से हत्यारोपी मंत्री के साथ खड़ी हो गई है।

जहां लखनऊ में सरकार के कद्दावर मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने स्पष्ट कर दिया कि बिना जांच के कोई मंत्री नहीं हटाया जाएगा वहीं दिल्ली में देश भर के पत्रकारों ने प्रदर्शन किया।

पत्रकारों पर लगातार हमले के विरोध में प्रदर्शन के बाद आज जब पत्रकार सपा कार्यालय ज्ञापन सौंपने गए तो वहां मौजूद लोगों ने ज्ञापन स्वीकार करने से मना कर दिया. उन्होंने कहा कि हम यहां दिल्ली में ज्ञापन नहीं ले सकते. आपको ज्ञापन देना हो तो लखनऊ जाइए. जबकि पत्रकारों की सुरक्षा और नागरिक आजादी से जुड़ा दस सूत्री ज्ञापन प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को सौंपा गया.

पत्रकारों के विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व कर रहे कृष्णकांत ने कहा, “उत्तर प्रदेश सरकार और सपा दोषियों पर कार्रवाई न करके ऐसी हरकतें क्यों कर रही हैं? क्या गुंडों की सरकार को सरकारी संरक्षण में हत्या का अधिकार चाहिए? यूपी सरकार दोषियों पर कार्रवाई के बजाय उल्टा विरोध को दबा रही है. चाहे वह जगेंद्र के परिजन हों, या प्रदर्शन करने वाले पत्रकार. सरकारी बेशर्मी का यह ऐतिहासिक कीर्तिमान है. साथियों! इस बेशर्म और बर्बर सरकार का क्या किया जाना चाहिए?”
उत्‍तर प्रदेश में पत्रकारों पर हो रहे हमले के संबंध में दिए गए ज्ञापन का मूल पाठ

उत्‍तर प्रदेश के शाहजहांपुर जिले में पत्रकार जगेंद्र सिंह की जिंदा जला कर की गयी हत्‍या पर देश भर में भड़के आक्रोश के बीच दो और पत्रकारों पर हमले हुए हैं। दस दिनों के भीतर कुल तीन पत्रकारों पर जानलेवा हमले हुए हैं जिनमें दो अभी जिंदा हैं। बहराइच में आरटीआई कार्यकर्ता गुरू प्रसाद शुक्ला की हत्या, कानपुर में पत्रकार को गोली मारने और बस्ती में पत्रकार पर हमले के बाद मिर्जापुर के थाना जिगना ग्राम मनकथा निवासी पत्रकार अनुज शुक्ला की पैतृक जमीन पर समाजवादी पार्टी के दबंग राधेश्याम यादव पुत्र अनन्त यादव स्थानीय विधायक भाई लाल कोल के प्रतिनिधि विनोद यादव के संरक्षण में पुलिस की मदद से अदालती रोक के बावजूद जबरन कब्जा किया जा रहा है, जिससे पत्रकार का परिवार डरा हुआ है और उसके जान का भी खतरा है। वहीं रायबरेली के रहने वाले दिल्ली में रह रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रशान्त टंडन के चन्द्रापुर हाउस में शनिवार रात साढ़े ग्यारह बजे मकान मालिक के पुत्र अजय त्रिवेदी और उनके गुंडों द्वारा मकान में तोड़-फोड़ करने पर आपत्ति जताने पर प्रशान्त टंडन की मां मीरा टंडन के साथ मारपीट के बाद फायरिंग की घटना होने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न करने की घटना साफ करती है कि पुलिस प्रशासन द्वारा अपराधियों को खुला संरक्षण दिया जा रहा है।

बहराइच में आरटीआई कार्यकर्ता गुरू प्रसाद शुक्ला की हत्या, कानपुर में पत्रकार को गोली मारने और बस्ती में पत्रकार पर हमले के बाद मिर्जापुर के थाना जिगना ग्राम मनकथा निवासी पत्रकार अनुज शुक्ला की पैत्रिक जमीन पर समाजवादी पार्टी के दबंग राधेश्याम यादव पुत्र अनन्त यादव स्थानीय विधायक भाई लाल कोल के प्रतिनिधि विनोद यादव के संरक्षण में पुलिस की मदद से अदालती स्टे के बावजूद जबरन कब्जा किया जा रहा है, जिससे पत्रकार का परिवार डरा हुआ है और उसके जान का भी खतरा है। वहीं रायबरेली के रहने वाले दिल्ली में रह रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रशान्त टंडन के चन्द्रापुर हाउस में कल रात साढ़े ग्यारह बजे मकान मालिक के पुत्र अजय त्रिवेदी और उनके गुंडों द्वारा मकान में तोड़-फोड़ करने पर आपत्ति करने पर प्रशान्त टंडन की मां मीरा टंडन के साथ मारपीट के बाद फायरिंग की घटना होने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न करने की घटना साफ करती है कि पुलिस प्रशासन द्वारा अपराधियों को खुला संरक्षण दिया जा रहा है।बहराइच में आरटीआई कार्यकर्ता गुरू प्रसाद शुक्ला की हत्या, कानपुर में पत्रकार को गोली मारने और बस्ती में पत्रकार पर हमले के बाद मिर्जापुर के थाना जिगना ग्राम मनकथा निवासी पत्रकार अनुज शुक्ला की पैत्रिक जमीन पर समाजवादी पार्टी के दबंग राधेश्याम यादव पुत्र अनन्त यादव स्थानीय विधायक भाई लाल कोल के प्रतिनिधि विनोद यादव के संरक्षण में पुलिस की मदद से अदालती स्टे के बावजूद जबरन कब्जा किया जा रहा है, जिससे पत्रकार का परिवार डरा हुआ है और उसके जान का भी खतरा है। वहीं रायबरेली के रहने वाले दिल्ली में रह रहे वरिष्ठ पत्रकार प्रशान्त टंडन के चन्द्रापुर हाउस में कल रात साढ़े ग्यारह बजे मकान मालिक के पुत्र.......जारी.....आगे पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें

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अजय त्रिवेदी और उनके गुंडों द्वारा मकान में तोड़-फोड़ करने पर आपत्ति करने पर प्रशान्त टंडन की मां मीरा टंडन के साथ मारपीट के बाद फायरिंग की घटना होने के बाद भी जिला प्रशासन द्वारा कोई कार्रवाई न करने की घटना साफ करती है कि पुलिस प्रशासन द्वारा अपराधियों को खुला संरक्षण दिया जा रहा है।ये सभी हमले राजनीतिक हमले हैं जिन्‍हें नेताओं और पुलिस की मिलीभगत से अंजाम दिया गया है। पिछले साल राष्‍ट्रीय अपराध आंकड़ा ब्‍यूरो (एनसीआरबी) द्वारा जारी पत्रकारों पर हमले की सूची में उत्‍तर प्रदेश अव्‍वल रहा था और दूसरे स्‍थान पर बिहार था। पिछले साल देश में पत्रकारों जितने भी हमले हुए, उनमें उत्‍तर प्रदेश की हिस्‍सेदारी अकेले 72 फीसदी थी। यह आंकड़ा खुद सूचना और प्रसारण राज्‍यमंत्री राज्‍यवर्द्धन सिंह राठौड़ ने 12 दिसंबर, 2014 को लोकसभा में पेश किया था। ↓

अन्‍नाद्रमुक के सांसद गोपालकृष्‍णन द्वारा पूछे गए एक सवाल के जवाब में मंत्री ने बताया कि देश भर में 2014 में पत्रकारों पर हमले से संबंधित कुल 82 मामले दर्ज किए गए जिनमें 15 मामलों में गिरफ्तारी हुई। इसमें उत्‍तर प्रदेश में जून 2014 तक 62 हमले हुए थे। इस दर से अंदाजा लगाया जाए तो पिछले जून से लेकर अब तक यह आंकड़ा कम से कम 100 को पार कर गया होगा। सबसे निराशाजनक तथ्‍य यह है कि उत्‍तर प्रदेश में ऐसे मामलों में अक्‍टूबर 2014 तक एक भी गिरफ्तारी नहीं हुई थी।

यह सिलसिला अब भी कायम है। शाहजहांपुर वाले मामले में एफआइआर और पांच पुलिसकर्मियों के निलंबन के बावजूद अब तक न सिर्फ दोषी मंत्री रामामूर्ति वर्मा खुले घूम रहे हैं बल्कि राज्‍य सरकार के नुमाइंदे उनका खुलेआम बचाव भी कर रहे हैं। बीते शुक्रवार को सत्‍ताधारी समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव ने मीडिया में कहा कि वर्मा को कैबिनेट से हटाने का कोई आधार नहीं है जबकि सच्‍चाई सार्वजनिक हो चुकी है कि जगेंद्र सिंह पर हमला वर्मा ने ही करवाया था।

इस देश के श्रमजीवी पत्रकार इन घटनाओं को लेकर बहुत आक्रोश में हैं। हम चाहते हैं कि संविधान द्वारा प्रदत्‍त अभिव्‍यक्ति की आज़ादी के अधिकार को बनाए रखा जाए, न कि लोकतांत्रिक तरीके से चुनी गयी सरकारें उसका गला घोटें। इसीलिए हम सभी पत्रकार उत्‍तर प्रदेश सरकार, उसकी एजेंसियों, प्रेस काउंसिल, सूचना और प्रसारण मंत्रालय व केंद्र सरकार और सभी संबद्ध सरकारी एजेंसियों से निम्‍न तात्‍कालिक मांगें करते हैं।

1) उत्‍तर प्रदेश के मंत्री राममूर्ति वर्मा को तत्‍काल गिरफ्तार किया जाए और उनके ऊपर हत्‍या का मुकदमा चलाया जाए।

2) उन्‍हें तत्‍काल कैबिनेट से हटाया जाए।

3) चुनाव आयोग राममूर्ति वर्मा के भविष्‍य में चुनाव लड़ने पर रोक लगाए।

4) दोषी पुलिसकर्मियों को कठोर से कठोर सजा दी जाए।

5) मृत पत्रकार गजेंद्र सिंह के परिवार को आर्थिक मदद दी जाए और उनके परिवार के एक सदस्‍य को सरकारी नौकरी दी जाए।

6) बहराइच में आरटीआई कार्यकर्ता गुरू प्रसाद शुक्ला की हत्या, कानपुर में पत्रकार को गोली मारने और बस्ती में पत्रकार पर हमले, मिर्जापुर के थाना जिगना ग्राम मनकथा निवासी पत्रकार अनुज शुक्ला की पैतृक जमीन पर समाजवादी पार्टी के दबंग राधेश्याम यादव का विधायक भाई लाल कोल के प्रतिनिधि विनोद यादव के संरक्षण में जबरन कब्जा, वरिष्ठ पत्रकार प्रशान्त टंडन के चन्द्रापुर हाउस में तोड़-फोड़ उनकी मां मीरा टंडन के साथ मारपीट और फायरिंग की घटना की राज्‍य सरकार तत्‍काल जांच करवाए और दोषी नेताओं व पुलिसकर्मियों के खिलाफ एफआइआर दर्ज कर के उन्‍हें गिरफ्तार करे।

7) समाजवादी पार्टी के राष्‍ट्रीय महासचिव रामगोपाल यादव अपने विवादास्‍पद बयान के लिए जगेंद्र सिंह के परिवार से बेशर्त माफी मांगें।

इसके अलावा चूंकि उत्‍तर प्रदेश में पत्रकारों की जान समाजवादी सरकार के साये में लंबे समय से सस्‍ती बनी हुई है, इसलिए नीतिगत स्‍तर पर हम निम्‍न दीर्घकालिक मांग करते हैं:
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1) पत्रकार जगेंद्र सिंह की हत्‍या की सीबीआइ जांच हो ताकि यह मामला आगे के मामलों के लिए एक नज़ीर बन सके।

2) पत्रकारों के उत्‍पीड़न से संबंधित एक सरकारी कमेटी का गठन किया जाए और समाजवादी पार्टी के सरकार में आने के बाद से लेकर अब तक या कम से कम 2012-15 के दौरान एनसीआरबी के आंकड़ों के तहत रजिस्‍टर एफआइआर के आधार पर तमाम मामलों की क्रमवार जांच करवायी जाए। कमेटी के संघटन में पत्रकार संगठनों को अवश्‍य लिया जाए।

3) उत्‍तर प्रदेश में पत्रकारों की कार्यस्थिति पर राज्‍य सरकार एक श्‍वेत पत्र जारी करे।

4) उत्‍तर प्रदेश सरकार यह सुनिश्चित करे कि सभी अखबारों में सुप्रीम कोर्ट के निर्देशानुसार मजीठिया वेतन आयोग की सिफारिशें लागू हों।

5) उत्‍तर प्रदेश के मुख्‍यमंत्री सार्वजनिक तौर पर पत्रकारों के साथ एक बैठक करें और अपने कार्यकाल में हुए उत्‍पीड़न पर एक खेद प्रकट करते हुए आधिकारिक बयान जारी करें। सभी पत्रकार संगठनों के नुमाइंदों को इस बैठक में बुलाया जाए। उनके साथ एक व्‍यापक विमर्श की प्रक्रिया चलायी जाए और पत्रकारों की सुरक्षा के लिए विधानसभा के अगले सत्र में एक प्रस्‍ताव पारित किया जाए।

6) नेताओं और पत्रकारों की अनैतिक साठगांठ की जांच करने के लिए विशेष जांच टीम (एसआइटी) का गठन हो जो तय समयसीमा के भीतर निष्‍पक्ष जांच कर के अपनी सिफारिशें राज्‍य सरकार को भेजे।