“मंदिर वहीं बनाएंगे” से अब “भारत तेरे टुकड़े होंगे” तक पहुंच चुका है आरएसएस, उसके निशाने पर अब हिंदू
आपकी नज़र | हस्तक्षेप धार्मिक घृणा फैलाकर गिरोह तैयार करना आरएसएस की पुरानी शगल रही है। माधव सदाशिव गोलवलकर ने सपना देखा कि भारत में संविधान के रूप में मनुस्मृति लागू की जाए।

xr:d:DAFexd_XfrI:5,j:1907250378,t:23033114
धार्मिक घृणा फैलाकर गिरोह तैयार करना आरएसएस की पुरानी शगल रही है। माधव सदाशिव गोलवलकर ने सपना देखा कि भारत में संविधान के रूप में मनुस्मृति लागू की जाए। लंबी यात्रा के बाद 1990 में “राम लला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे” तक का मुकाम आया। भाजपा केंद्र में सरकार बनाने में सफल हुई। 2014 के लोकसभा चुनाव तक राम मंदिर, धारा 370 और समान नागरिक संहिता मसला रहा। अब 2018 आते आते भाजपा आरएसएस की राजनीति “भारत तेरे टुकड़े होंगे” का प्रचार कर जनता का समर्थन लेने तक पहुंच चुकी है।
मध्य प्रदेश में नवंबर दिसंबर में विधानसभा चुनाव होने हैं। कई मौकों पर राज्य में विधानसभा चुनाव करीब आने पर देश का एक शीर्ष दक्षिणपंथी संगठन भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के पक्ष में प्रचार करने के लिए पर्चे बांटता है। पिछले चुनाव तक 'जागो जनता जनार्दन' के नाम से छपने वाले इस पर्चे का नाम इस बार 'भारत तेरे टुकड़े होंगे' कर दिया गया है।
इस पर्चे से पता चलता है कि पहले तो आरएसएस सिर्फ मुसलमानों को निशाने पर लेता था और वह मंदिर बनाने, समान नागरिक संहिता और धारा 370 के नाम पर भड़काता था। अब उसके निशाने पर हिंदू भी हैं, जिन्हें पर भारत तेरे टुकड़े होंगे के समर्थक, साहित्यकार, कलाकार, आरक्षण मांगने वाला, आरक्षण का विरोध करने वाला करार दे रहा है।
भारत तेरे टुकड़े होंगे? शीर्षक से प्रकाशित रंगीन पर्चे के पहले पेज पर भारत का नक्शा है, जिसे केसरिया, सफेद और हरे रंग से भारत के तिरंगे झंडे का रूप दिया गया है। कश्मीर को आरी से काटते एक मुस्लिम को दिखाया गया है, जो चांद तारा युक्त हरा झंडा थामे हुए है। उसके बगल में जिहादी पत्थरबाज लिखा गया है।
नेपाल के पास एक चीन का झंडा लिए फौजी खड़ा है, जिसके बगल में चीन लिखा हुआ है।
वहीं पूर्वोत्तर भारत को आरी से काटते हुए मुस्लिम दिख रहे एक दाढ़ी टोपी वाले व्यक्ति को दिखाया गया है, जिसे बांग्लादेशी और रोहिंग्या लिखा गया है।
मध्य भारत को आरी से काटते हुए एक व्यक्ति को हंसिया हथौड़ा लिए एक हिंदू से दिख रहे व्यक्ति को दिखाया गया है, जिसके बगल में शहरी नक्सलवाद लिखा गया है।
वहीं दक्षिण भारत के जिस हिस्से को हरा दिखाया गया है, उसके बाईं ओर हरा कपड़ा पहने एक व्यक्ति आरक्षण बढ़ाओ का हैंड पोस्टर पकड़े है और दाईं ओर लाल कुर्ता पहने एक व्यक्ति आरक्षण हटाओ का। दोनों मिलकर एक संयुक्त आरी से भारत को काट रहे हैं।
दूसरे पेज पर जनजागरण अभियान शीर्षक के तहत शहरी नक्सलवादी का वर्णन किया गया है, जिन्हें साहित्यकार, पत्रकार, कलाकार और पुरस्कार लौटाने वाला बताया गया है। इन्हें बहुत ताकतवर बताया गया है, जो आतंकियों को बचाने के लिए रात को उच्चतम न्यायालय खोलवा सकते हैं।
इसके अलावा शहरी नक्सलवादियों और राजनीतिक दलों को जातीय वैमनस्यता फैलाने वाला बतायागयाहै, जो आरक्षण बढ़ाने और हटाने के नाम पर दंगे करा रहे हैं। बांग्लादेशी और रोहिंग्या घुसपैठ का वर्णन है।
सबसे दिलसस्प तीसरे पेज का कार्टून है, जिसमें दिखाया गया है कि राजा खिलजी से लड़ने के लिए सहयोग मांग रही है और जनता उसे नोटा देने को कह रही है।
इस पर्चे के आखिरी पन्ने पर यह दिखाया गया है कि आदिवासी भगवान बिरसा मुंडा हिंदू थे। बताया गया है कि 33 प्रतिशत बांग्लादेशी हिंदुओं (जिन्हें संभवतः दलित दिखाने की कोशिश की गई है) उन्हें मुस्लिमों ने मार मारकर मुस्लिम बना दिया।
आखिर में सलाह दी गई है समाज को तोड़ने के षडयंत्र का हिस्सा न बनें। नोटा पर मतदान न करें। जाति के आधार पर मतदान न करें। राष्ट्रीय हितों को ध्यान मेंरखकर मतदान करें। इसी पेज पर यह भी सूचना दी गई है कि जनजागरण मंच, मध्य भारत ने पर्चा भेजा है, जिसकी 2 लाख प्रतियां छापी गई हैं।
देश के प्रतिष्ठित आर्थिक अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड में संदीप कुमार ने भोपाल से खबर लिखी है।
अखबार के मुताबिक, “जनजागरण मंच से जुड़े एक शीर्ष नेता नाम जाहिर न करने की शर्त पर बताते हैं कि शीर्ष स्तर से मिले निर्देशों के कारण इस बार राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और कश्मीर में 370 जैसे मुद्दों के स्थान पर शहरी नक्सलवाद, विदेशी घुसपैठ, जातिवादी आंदोलन और अलगाववाद को प्रमुखता दी गयी है।”
अखबार के मुताबिक 'जागो जनता जनार्दन 'जहां उग्र हिंदुत्व की विचारधारा को आगे बढ़ाता था वहीं इस बार जनता को समझाया जा रहा है कि विदेशी घुसपैठियों की मदद से देश के टुकड़े करने की साजिश की जा रही है। मध्य प्रदेश के मालवा निमाड़ अंचल में सक्रिय आदिवासी संगठन जयस इस बार प्रदेश में विधानसभा चुनाव लड़ने जा रहा है। वह आदिवासियों को लगातार उनकी गैर हिंदू पहचान के प्रति जागरुक कर रहा है। इस पर्चे में बिरसा मुंडा का जिक्र करके उन्हें हिंदू बताया गया है।
इस पर्चे में सीधे सीधे आरएसएस या भारतीय जनता पार्टी का नाम नहीं आया है। लेकिन मध्य प्रदेश की राजनीति से जुड़े लोगों का कहना है कि संगठन भाजपा के लिए ही काम करता है। स्थानीय जानकारों के मुताबिक केंद्र में पूर्ण बहुमत की भाजपा सरकार और राज्य में लंबे समय से भाजपा सरकार होने के कारण अब इस संगठन को राम मंदिर, धारा 370 और समान नागरिक संहिता का मसला छोड़ देने को कहा गया है। अब जंग थोड़ी सीधी हो गई है और यह प्रचारित कराया जा रहा है कि साहित्यकार और कलाकार के भेष में नक्सली छिपे हुए हैं और ये देश में तरह तरह के बंटवारे फैला रहे हैं। अब सीधे सीधे विपक्षी दलों को देश को तोड़ने वाला बताया जा रहा है।
इस पर्चे में एक और अहम बात निकलकर सामने आती है। भाजपा को इस बात का भयानक डर है कि नरेंद्र मोदी सरकार से निराश लोग इस बार वोट न देने या नोटा का विकल्प अपना सकते हैं। यानी सरकार को अपनी नालायकी का अहसास है। इसके लिए वोटरों को यह किसी काल्पनिक खिलजी को तैयार किया गया है, जो भारत पर कब्जा करना चाहता है और वोटर खिलजी पर ध्यान न देकर अपने उस शासक को नोटा देने को कह रहा है, जो उसे खिलजी से बचाएगा।
मध्य प्रदेश कांग्रेस प्रवक्ता पंकज चतुर्वेदी के हवाले से बिज़नेस स्टैंडर्ड ने लिखा है, “जन जागरण मंच, राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के लिए काम करता है लेकिन उनमें इतना नैतिक साहस भी नहीं है कि वे इस संगठन को अपना सकें। राम मंदिर, समान नागरिक संहिता और 370 का मुद्दा इनके लिए सत्ता पाने का औजार था।”
इस समय देश महंगे पेट्रोल व डीजल के संकट से जूझ रहा है। पेट्रोल व डीजल का प्रति लीटर भाव इस समय हवाईजहाज में पड़ने वाले पेट्रोल की तुलना में ज्यादा है। सरकार ने हर साल 2 करोड़ नौकरियां देने, हर भारतीय के खाते में 15 लाख रुपये देने का वादा किया। सभी वादों को अब भाजपा अध्यक्ष अमित शाह से लेकर नितिन गडकरी तक चुनावी जुमलेबाजी करार दे रहे हैं। 4 साल के काम के नाम पर केंद्र सरकार के पास सिर्फ यह कहने को है कि कांग्रेस के 70 साल में देश को बर्बाद कर दिया गया, हालांकि भारत को 1950 से गणतंत्र मानें तो 70 साल 2020 में पूरे होंगे और उसमें अटल बिहारी वाजपेयी सहित नरेंद्र मोदी का आरएसएस-भाजपा का शासनकाल समा जाता है।
ऐसे में भाजपा ने घृणा फैलाने की राजनीति को मुस्लिम से विस्तृत कर विपक्षी दलों, आरक्षण जैसे संवैधानिक हक मांगने वाले लोगों और सरकार की नीतियों का विरोध करने वालों तक पहुंच चुकी है। इस तरह के न सिर्फ पर्चे बांटे जा रहे हैं, बल्कि ये तेजी से लोगों तक ह्वाट्सऐप के माध्यम से पहुंच रहे हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार हैं।)
कृपया हमारा यूट्यूब चैनल सब्सक्राइब करें


