प्रसिद्ध उपन्यासकार प्रेमचंद की जयंती के मौके पर देश भर में तरह-तरह के आयोजन किए गए। कहीं भाषणों का सिलसिला परवान चढ़ा, कहीं शोध-समीक्षा पत्रों और ताज़ा मुद्दों पर बहस हुई। इसी क्रम में राजस्थान की राजधानी जयपुर के झालाना सांस्थानिक क्षेत्र स्थित राजस्थान हिंदी ग्रंथ अकादमी सभागार में प्रगतिशील लेखक संघ की तरफ से एक विशिष्ट आयोजन किया गया। आयोजन को अनूठा इस मायने में कहा जा सकता है कि कथा सरिता शीर्षक से आयोजित इस कार्यक्रम में पांच कथाकारों ने अपनी कहानियों का पाठ किया।

आरंभ में प्रेमचंद के चित्र पर प्रगतिशील लेखक संघ के अध्यक्ष डॉ. हेतु भारद्वाज, कथाकार विजय, कवि गोविंद माथुर और अन्य रचनाकारों ने पुष्‍प अर्पित किए। अध्यक्षता चर्चित आलोचक डॉ. हेतु भारद्वाज ने की, जबकि संचालन जाने-माने कवि प्रेमचंद गांधी ने किया।

कहानी पाठ की शुरुआत रंगकर्मी अभिषेक गोस्वामी ने प्रेमचंद की कहानी बड़े भाई संबंधों को प्रभावित कर रही है। डॉ. भारद्वाज ने अभिषेक गोस्वामी को बड़े भाई साहब का चयन करने के लिए भी बधाई दी। उन्होंने कहा कि प्रेमचंद समय से पहले की सोच रखने वाले साहित्यकार थे। उनके लेखन में विसंगतियों पर करारा व्यंग्य भी देखने को मिलता है। कार्यक्रम के अंत में प्रलेस के महासचिव प्रेमचंद गांधी ने सभी अतिथियों और कहानीकारों का धन्‍यवाद ज्ञापित किया।

उन्‍होंने विजय की कहानी ‘क्‍या मनु लौटेगा’ की चर्चा करते हुए कहा कि विदेश जाकर बस जाने वाले लोगों की इधर की पीड़ा और कुंठाओं को परत-दर-परत खोलती इस कहानी में जिस तरह भारतीय संस्‍कृति की गौरवशाली-प्रगतिशील परंपराओं की चर्चा है, वह भारतीय मन को भाती है। चण्‍डीदत्त शुक्‍ल की कहानी फिर आना अखिलेश और हंसना जोर-जोर से की चर्चा करते हुए उन्होंने कहा कि आज के क्रूर और हिंसक समय में हमें एक नहीं बहुत से अखिलेश चाहिए, जो किसी के आंसू पोंछ सकें और समाज में व्‍याप्‍त भय और असुरक्षा से निजात दिला सकें। भागचंद गुर्जर की कहानी ‘कहानी का पोस्‍टमार्टम’ का जिक्र करते हुए डॉ. भारद्वाज ने कहा कि इस कहानी से ‘कल्‍पना’ के गहरी टिप्पणियां करने वाली कहानियां हैं।

आयोजन में पत्रकार और गीतकार रामकुमार सिंह, कवि डॉ. दुष्यंत, साहित्यकार ओमेंद्र, चर्चित कवि गोविंद माथुर, आकाशवाणी की सीमा विजय, अर्पिता शर्मा, अहा ज़िंदगी के वरिष्ठ कॉपी राइटर देवाशीष प्रसून, आलोक, ज्ञान, पत्रकार निशांत मिश्रा आदि उपस्थित थे।