शिवाजी-फूले-आंबेडकरांच्या महाराष्ट्र मध्ये प्रचंड दुष्काल युति राजकरण करण
पलाश विश्वास
महाराष्ट्र अब युति महायुति अवसरवादी राजकरण के महासर्वनाशकाल के चरमोत्कर्ष पर है। थांबा, मराठा मानुष। या राजकरण सर्वनाश आवाहन किले। भारत की वाणिज्यिक राजधानी मुंबई सह संपूर्ण महाराष्ट्रे मराठा मानुष के नामे प्रांतीय मराठा राष्ट्रवाद बनाम हिंदू राष्ट्रवाद क्रीड़ा में लूट खसोट सहयोग समन्वय का घटस्फोट होला।
शिवाजी फूले आंबेडकर दुकानों की और उसी मुताबिक अंध भक्त पैदल सेनाओं से सजे महाराष्ट्र लेकिन सर्वकालीन दुष्कालमध्ये हैं।सुधार अश्वमेध के केंद्रीय कृषि मंत्री के प्रांत में लाखों लोग खेतों खलिहानों में आत्महत्या करते रहे हैं और उनने राजनीति से सन्यास भी लिया बताते हैं। अब वे हिंदुत्व के असली दावेदारों के कुरुक्षेत्र में भगवान कृष्ण की तरह अवतरित हो रहे हैं।
मराठा मानुष को क्या मिला, इसका हिसाब आज तक महाराष्ट्र में किसी ने नहीं पूछा। किसान आंदोलन, मजदूर आंदोलन और आंबेडकरी आंदोलन सब कुछ महाराष्ट्र में केसरिया है। कारपोरेट केसरिया कब्रिस्तान में तब्दील मराठा मानुष लेकिन अब भी माझा महाराष्ट्र मधील मदहोश है। बारंबार विश्वासघात मध्ये, बारंपार घटस्फोट मध्ये बनते बिगड़ते राजकरण समीकरण मध्ये वह बेचारा बेगाना शादी में अब्दुल्ला दीवाना, जिसे कुछ मिलने को नहीं है। हिंदुत्व पैदल फौज में रोजी रोटी है, लेकिन पगार मिलनार नको।
यावत आवहे फिर भारतीय कृषि के सर्वनाश सुप्रीम सिपाहसालार महाराष्ट्र राजकरण के भीष्म पितामह हैं। जो महाराष्ट्र का चाहे जो हो शुधार कार्यक्रमे खाजगीकरण वैश्वीकरण देश बेचो अभियान में अपना हिस्सा लेने को तैयार हैं। मराठा मानुष साठी सम्मुखे दुष्काल सर्वव्यापी दस दिगन्ते।
दरअसल राजकरण समीकरण टिकट बंटवारे का मामला हैइच नको। भाजपाच्या बुलेट विकास कार्यक्रमे आपण शेयरसाठी लड़ाई। युती टुटनार उपरांते केंद्रीय मंत्रिमंडले शिवसेनाच्या कोटा जागा भरनार, शरद पवार मौका फायदा झट उठा रहे हैं। पटेल सुले फिट हुआ तो मराठवाड़ा बूम बूम। परंतु मराठावाड़ा मध्ये दुष्काल फकत राजकरण आहेत। वैसे ही जैसे, विदर्भमध्ये किसानों की थोक आत्महत्या कारणे फकत पवार राजकरण आणि आयात निर्यात खेल संपूर्ण देशमध्य कृषि को बाट लगा दिया।
पुनः आला सम्राट नीरो स्वमहिमासहित, सम्मुखे सर्वनाश मराठा मानुष। कि महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी-शिवसेना का गठबंधन टूटने के साथ ही काँग्रेस-राष्ट्रवादी काँग्रेस पार्टी का गठजोड़ भी टूट गया है. ... दोनों गठबंधन टूटने के साथ ही महाराष्ट्र में सभी राजनीतिक समीकरण बदल गए हैं।
नेहरु जमाने से सत्ता राजनीति सिपाहसालार शरद पवार के मैदान मारने का सही वक्त यही है। क्योंकि महाराष्ट्र की राजनीति गुरुवार को एक ही दिन दो प्रमुख गठबंधनों के टूटने की गवाह बनी और इसके साथ ही विधानसभा चुनाव में मुकाबला बेहद रोचक हो गया क्योंकि अब चारों प्रमुख दल भाजपा, शिवसेना, कांग्रेस एवं राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) अलग-अलग चुनाव लड़ने जा रहे हैं। भाजपा-शिवसेना और कांग्रेस-राकांपा के पुराने गठबंधनों के टूटने के बाद महाराष्ट्र की चुनावी फिजा में काफी गर्मी पैदा हो गई है।
भाजपा-शिवसेना के गठबंधन की गांठ टूटने के एक दिन बाद शिवसेना ने भाजपा पर तीखा प्रहार करते हुए उसे महाराष्ट्र का शत्रु करार दिया। शिवसेना ने कहा कि हमारे अन्य (महायुति) गठबंधन सहयोगी चाहते थे कि शिवसेना-भाजपा गठबंधन कायम रहे। इससे भी बड़ी बात यह थी कि महाराष्ट्र के 11 करोड़ लोग क्या चाहते हैं। जिन लोगों ने इन भावनाओं को आहत किया वे महाराष्ट्र के शत्रु हैं।
पार्टी के मुख पत्र ‘‘सामना’’ में संपादकीय में लिखा गया है ‘‘यह (गठबंधन को तोड़ना) संयुक्त महाराष्ट्र आंदोलन के 105 मराठी शहीदों का अपमान है। शिवसेना ने कहा कि यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 25 साल से हिंदुत्व की विचारधारा से बंधा हुआ शिवसेना-भाजपा गठबंधन खत्म हो गया है ।
तो दूसरी ओर,महाराष्ट्र में भारतीय जनता पार्टी और शिवसेना का गठबंधन टूटने के बाद 15 साल से राज्य में सत्तारुढ़ कांग्रेस और राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी का गठबंधन भी टूट गया। एनसीपी ने कांग्रेस पर अडि़यल रवैया अपनाने का आरोप लगाते हुए कहा कि वह महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव अकेले लड़ेगी। उसे 124 सीटें मंजूर नहीं है। पिछले लोकसभा चुनाव में उसकी ताकत बढ़ी है इसलिए वह विधानसभा की 288 में से आधी सीटें मांग रही थी।
महाराष्ट्र में अब समाजवादी पार्टी और कांग्रेस साथ चुनाव लड़ेंगे। पहली बार कांग्रेस के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ने जा रही समाजवादी पार्टी के लिए महाराष्ट्र रिश्तों की प्रयोगशाला साबित होगा। इस गठबंधन की कोशिश कथित सेक्युलर मतों को एकजुट करना है। अगर यह प्रयोग सफल हुआ तो इसे भविष्य में यूपी और दूसरे प्रदेशों में भी आजमाया जा सकता है।
पार्टी के मुख पत्र सामना में संपादकीय में लिखा गया है यह गठबंधन को तोड़ना 105 मराठी शहीदों का अपमान है। शिवसेना ने कहा यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पिछले 25 साल से हिंदुत्व की विचारधारा से बंधा हुआ शिवसेना-बीजेपी गठबंधन खत्म हो गया है।
संपादकीय में कहा गया है, हमने यह सुनिश्चित करने के लिए अंत तक ईमानदारी से प्रयास किया कि बीजेपी और महायुति के अन्य दलों के साथ हमारा गठबंधन बना रहे। आगे लिखा है, अब आगे जो भी होगा वह देखा जाएगा। जो भी मां तुलजा भवानी की इच्छा होगी वही होगा। केवल एक इच्छा है कि इस पूरी राजनीति में महाराष्ट्र के भविष्य का गणित न प्रभावित हो।
इसके अनुसार, गुरूवार तक जो लोग इस खेमे में प्रार्थना कर रहे थे अब वे दूसरे खेमे में नमाज पढ़ रहे हैं। संपादकीय में कहा गया है कि कांग्रेस और उसके नेताओं को एकीकत मुंबई और महाराष्ट्र की चिंता नहीं करनी चाहिए क्योंकि शिवसेना और उसका केसरिया ध्वज महाराष्ट्र की रक्षा करेगा।
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