महिलाओं के लिए कोई नया नहीं है लॉकडाउन
महिलाओं के लिए कोई नया नहीं है लॉकडाउन

महिला और लॉकडाउन | Women and Lockdown
महिलाओं के लिए लॉकडाउन
कोई नया लॉकडाउन नहीं है
इससे पहले भी बचपन से न जाने
कितने लॉकडाउनों को देखा
और महसूस किया...!
जैसे ही किसी बच्ची का जन्म होता है
उसके साथ ही लॉकडाउन का जन्म होता है
कुछ लोगों के द्वारा ऐसी सामाजिक बंदिशे बनाई गई....
जैसे-जैसे उनकी उम्र बढ़ती है
वैसे-वैसे धार्मिक-कर्मकांडों के माध्यम से
उनको जकड़ने का सिलसिला भी बढ़ता है...!!
जिन महिलाओं ने इन बंदिशों को
तोड़ने का साहस किया....
धर्म के ठेकदारों ने उनको चरित्रहीन कहा
पर हार नहीं मानी महिलाओं ने
इस लॉकडाउन को तोड़ने का साहस
सदियों से करती आई है
और आज भी जारी है...और आज भी जारी है....!!!
महिलाओं के लिए लॉकडाउन
कोई नया लॉकडाउन नहीं है
तुम बहुत लॉकडाउन-लॉकडाउन करते थे
लेकिन प्रकृति ने इस बार तुमको ही लॉकडाउन कर डाला...
तुमको ही लॉकडाउन कर डाला...
रजनीश कुमार अम्बेडकर (Rajneesh Kumar Ambedkar)पीएचडी, रिसर्च स्कॉलर, स्त्री अध्ययन विभाग
महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)
रजनीश कुमार अम्बेडकर
पीएचडी, रिसर्च स्कॉलर, स्त्री अध्ययन विभाग
महात्मा गाँधी अंतरराष्ट्रीय हिंदी विश्वविद्यालय, वर्धा (महाराष्ट्र)
4 जुलाई 2020 को लिखी गई
दिनांक 5 जुलाई 2020 को नोबल्स स्नातकोत्तर महाविद्यालय, रामगढ़, अलवर (राज ऋषि भर्तृहरि मत्स्य विश्वविद्यालय, अलवर से सम्बद्ध) एवं भर्तृहरि टाइम्स, पाक्षिक समाचार पत्र, अलवर के संयुक्त तत्त्वाधान में स्वरचित काव्यपाठ/मूल्यांकन ई-संगोष्ठी श्रृंखला का आयोजन किया गया। जिसका ‘विषय : समसामयिक मुद्दे’ था। जिसमें रजनीश कुमार अम्बेडकर ने अपनी स्वरचित कविता का काव्य पाठ प्रस्तुत किया।


