रायपुर। मुख्यमंत्री रमन सिंह की "अकाल की आशंका टलने" की बात पर मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने टिप्पणी करते हुए कहा है कि यदि वास्तव में ऐसा है, तो क्या मुख्यमंत्री 93 तहसीलों के सूखाग्रस्त होने की घोषणा को वापस लेंगे?
माकपा ने पूछा है कि यदि भगवान गणेश और इंद्र के आशीर्वाद से बारिश हुई है, तो मुख्यमंत्री को यह भी स्पष्ट करना चाहिए कि प्रदेश में भूख से हो रही मौतें, किसान आत्महत्याएं, नान घोटाला, बाल्को में छंटनी व कैग द्वारा उजागर 5000 करोड़ का भ्रष्टाचार भी क्या भगवान गणेश और इंद्र के आशीर्वाद से हुआ है?
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने आरोप लगाया कि रमनसिंह अकाल के संकट से निपटने के बजाए केवल 'बतकही' में व्यस्त हैं. उन्होंने कहा की जो सरकार आज तक मनरेगा में ग्रामीणों को 30-32 दिनों से ज्यादा काम नहीं दे पाई, जिस सरकार पर पिछले वर्ष की मजदूरी का 600 करोड़ रूपये बकाया है, उसका 150 दिनों का रोजगार देने का निर्देश ही हास्यास्पद है. वास्तविकता यह है कि इसके लिए सरकार के पास 20000 करोड़ रूपये का बजट होना चाहिए, जबकि अभी तक उसने केवल 400 करोड़ रूपये व्यय की ही योजना तैयार की है. मोदी सरकार का मनरेगा का बजट भी केवल 33000 करोड़ रुपयों का ही है.
माकपा नेता ने कहा है कि यदि रमन सरकार अकाल से निपटने के लिए वाकई गंभीर है, तो शीघ्र सर्वदलीय बैठक बुलाएं औए आमराय बनाकर कदम उठायें.