मानवाधिकार उल्लंघन में पाकिस्तान सर्वोपरि
मानवाधिकार उल्लंघन में पाकिस्तान सर्वोपरि
तनवीर जाफरी
स्वतंत्र इस्लामी राज्य के गठन की अवधारणा को लेकर 14 अगस्त 1947 को संयुक्त भारत से विभाजित होकर अस्तित्व में आया पाकिस्तान आज मूल इस्लामी सिद्धांतों व शिक्षाओं की भी धज्जियां उड़ाता दिखाई दे रहा है। कुरान शरीफ द्वारा निर्देशित इस्लामी शिक्षा साफतौर पर मुसलमानों को यह हिदायत देती है कि 'किसी बेगुनाह के साथ कोई ज़्यादती हरगिज़ मत करो। और यदि तुमने किसी एक बेगुनाह का कत्ल किया तो गोया तुमने पूरी इंसानियत का कत्ल कर डाला। परंतु मानवाधिकारों की रक्षा की बात ही क्या करनी पाकिस्तान तो आज उस इस्लाम के सिद्धांतों से भी दूर होता जा रहा है जिसके नाम पर इस भू-भाग को भारतवर्ष से अलग कराया गया था। पाकिस्तान में इन दिनों रोज़मर्रा के हालात तो यही बता रहे हैं कि वहां तकरीबन रोज़ाना एक-दो नहीं बल्कि कई-कई बेगुनाह मारे जा रहे हैं। कभी कट्टरपंथी तालिबानी आतंकवादियों के हाथों, कभी किसी आत्मघाती हमले के द्वारा, कभी सेना के जवानों की गोलियों से तो कभी पुलिस या पाक रेंजर्स के हाथों। और कई रहस्यमयी हत्याओं की खबरें तो ऐसी भी सामने आ रही हैं जिनमें सीधेतौर पर आईएसआई तथा सेना की भी साजि़श होने का इल्ज़ाम है।
अभी पाकिस्तान के एक 40 वर्षीय पत्रकार को अपनी पत्रकारिता के दायित्वों का पालन करते हुए अपनी जान से हाथ धोना पड़ा था। इसी वर्ष गत् 31 मई को सैय्यद सलीम शहज़ाद नामक यह पत्रकार सिर्फ इसलिए कत्ल कर दिया गया था क्योंकि उसने पाकिस्तान की नवसेना तथा अलकायदा के मध्य सांठगांठ होने के नापाक नेटवर्क का पर्दाफाश किया था। कथित इस्लामी देश के इस्लामी हुक्मरानों को एक सच्चे और मुस्लिम पत्रकार द्वारा कर्तव्यपूर्ण पत्रकारिता का फर्ज निभाना अच्छा नहीं लगा। नतीजतन एशिया टाईस ऑन लाईन के इस ब्यूरो चीफ सलीम शहज़ाद को रहस्यमयी परिस्थितियों में कत्ल कर सड़क के किनारे फेंक दिया गया। यह था मानवाधिकार उल्लंघन का एक ज्वलंत उदाहरण जिसमें कि न सिर्फ किसी बेगुनाह युवक की हत्या की गई बल्कि प्रेस की स्वतंत्रता का गला घोंटने का भी ज़ोरदार प्रयास किया गया। गौरतलब है कि सलीम शहज़ाद की हत्या के पीछे आईएसआई की साजि़श बताई जा रही है।
अभी इस घटना को बीते मात्र एक सप्ताह ही बीता था कि गत् 8 जून को पाकिस्तान में मानवाधिकार उल्लंघन की एक और सनसनीखेज़ घटना सामने आई। सरफराज़ नामक एक 19वर्षीय युवक जोकि कराची के बोट बेसिन क्षेत्र में स्थित बेनज़ीर भुट्टो पार्क में सैर कर रहा था उसे पाक रेंजर्स ने दबोच लिया। उसके पश्चात उसे पार्क से बाहर लाकर चारों ओर से 6-7 सशस्त्र रेंजर्स ने घेर लिया और सभी रेंजर्स ने उस निहत्थे युवक सरफराज़ पर बंदूक व पिस्टल तान ली। दहशत का मारा वह युवक अपनी जान की भीख मांगता हुआ उन रेंजर्स के समक्ष हाथ जोड़कर गिड़गिड़ाता रहा। परंतु उसके जवाब में ज़ालिम रेंजर्स 'गोली मार दो व 'इसे मार डालो जैसी दहशतनाक आवाज़ें बुलंद करते रहे। इतना ही नहीं एक रेंजर ने तो युवक के बाल पकड़कर कैमरे के समक्ष उसका मुंह भी साफतौर पर दिखाने की कोशिश की। और आखिर कार पूरी दहशत फैलाने के बाद इन मानवता विरोधी तथा मानवाधिकारों पर कलंक समझे जाने वाले पाक रेंजर्स ने भरी दोपहर में सार्वजनिक स्थल पर ही बिल्कुल करीब से गोली मार कर निहत्थे सरफराज़ को कत्ल कर दिया।
इस पूरे घटनाक्रम की वीडियो भी एक पत्रकार द्वारा बनाई गई। घटना के तुरंत बाद यह दहशतनाक वीडियो पाकिस्तान सहित पूरी दुनिया के कई टीवी चैनल्स द्वारा प्रसारित कर दी गई। पूरी दुनिया ने मानवाधिकारों की धज्जियां उड़ाने वाली पाकिस्तान रेंजर्स की इस वहशियाना कार्रवाई को बड़ी हैरत से देखा। पाक रेंजर्स को इस मामले पर अपनी फज़ीहत होते देख अच्छा नहीं लगा। इनके गुर्गों द्वारा अब उस पत्रकार को भी धमकी दी गई है जिसने दिन-दहाड़े रेंजर्स द्वारा सरफराज़ के कत्ल की वीडियोग्राफी की थी। यानी मानवाधिकारों के उल्लंघन की रिपोर्टिंग करने वाले पत्रकार को भी उसके अपने फर्ज अदा करने से रोकने की एक और कोशिश यानी एक ही मामले में मानवाधिकार उल्लंघन तथा अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का गला घोंटने जैसा घिनौना प्रयास। परंतु निहत्थे युवक सरफराज़ का पाक रेंजर्स द्वारा इस प्रकार दिन-दहाड़े मारा जाना पाकिस्तान की न्याय व्यवस्था को बिल्कुल नहीं भाया। पाकिस्तान की सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश एतिखार चौधरी ने इस घटना पर स्वयं संज्ञान लेते हुए पाकिस्तान रेंजर्स के निदेशक मेजर जनरल एजाज़ चौधरी तथा पुलिस महानिरीक्षक फय्याज़ लघारी को न सिर्फ बर्खास्त कर दिया है बल्कि महालेखाकार कार्यालय को यह निर्देश भी दिया कि इन अधिकारियों को उस समय तक कोई वेतन न दिया जाए जब तक अदालत अपना अगला आदेश जारी न करे। मानवाधिकारों के उल्लंधन की इस दिल दहला देने वाली घटना पर मुख्य न्यायाधीश ने यह टिप्पणी भी दी थी कि 'रेंजर्स की तैनाती बेगुनाहों की हत्याओं ंको रोकने के लिए की जाती है जबकि रेंजर्स ने तो स्वयं ही एक निहत्थे युवक की हत्या की है। उन रेंजर्स को भी घटना के अगले ही दिन गिरफ्तार कर पुलिस के हवाले कर दिया गया जिन्होंने इस अमानवीय हादसे को अंजाम दिया था। इस कत्ल को लेकर पाक रेंजर्स द्वारा अपने बचाव में यह कहा जा रहा है कि यह युवक सरफराज़ डकैती जैसे जुर्म में शामिल था। जबकि उसके परिजनों का कहना है कि उनका लड़का बेगुनाह था तथा पार्क में सैर करने की गरज़ से गया हुआ था। उच्चतम न्यायालय ने इस बात की जांच के आदेश दिए हैं कि युवक सरफराज़ का कोई आपराधिक रिकॉर्ड था भी या नहीं।
इस घटना पर पाकिस्तान के कई जिम्मेदार नेताओं द्वारा गहरी चिंता व दु:ख व्यक्त किया गया है। पाकिस्तान में तमाम जिम्मेदार लोग यह महसूस कर रहे हैं कि चूंकि पाक रेंजर्स पाकिस्तान के आंतरिक सुरक्षा केंद्र का एक अंग है तथा सीधे तौर पर यह गृह मंत्रालय के अधीन आते हैं,इसलिए इतनी जिम्मेदार सुरक्षा एजेंसी द्वारा दिन-दहाड़े एक निहत्थे युवक के साथ कातिलों के रूप में पेश आना पाकिस्तान की शासन व्यवस्था तथा सुरक्षातंत्र की कार्यप्रणाली पर सीधे तौर पर प्रश्रचिन्ह लगाते हैं। हालांकि पाकिस्तान के गृहमंत्री रहमान मलिक ने इस घटना के फौरन बाद ही घटना की न्यायिक जांच के आदेश दे दिए थे। परंतु प्रधानमंत्री युसुफ रज़ा गिलानी को पाकिस्तान व दुनिया के अन्य हिस्सों में इस घटना को लेकर पाक रेंजर्स की हो रही निंदा व आलोचना अच्छी नहीं लगी। गिलानी ने साफतौर पर सदन में पाक रेंजर्स का यह कहकर बचाव किया कि 'किसी एक घटना से समूचे संस्थान को बदनाम नहीं किया जा सकता।
मानवाधिकार उल्लंघन की इस प्रकार की कोई सिर्फ एक या दो घटनाएं ही नहीं बल्कि यदि सुबूत इकट्टा करने की कोशिश की जाए तो निश्चित रूप से पाकिस्तान इस समय मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला दुनिया का सबसे बड़ा देश साबित होगा। इसी वर्ष मई माह में पांच चेचेन नागरिकों को संदिग्ध अवस्था में इसी प्रकार पाकिस्तान के सुरक्षा बलों द्वारा पाकिस्तान के क्वेटा के खरोताबाद क्षेत्र में दिन-दहाड़े मार डाला गया। इनमें तीन पुरुष व दो महिलाएं शामिल थीं। मारी गई एक महिला सात माह की गर्भवती भी थी जिसके शरीर में सुरक्षाबलों ने 12 गोलियां उतार दीं। इन निहत्थे चेचेन नागरिकों की हत्या के बाद जब सुरक्षा बलों के विरुद्ध हंगामा हुआ उस समय अपने पक्ष में सुरकक्षा बलों द्वारा फिर यही तर्क दिया गया कि इनमें से तीन युवक संदिग्ध आत्मघाती हमलावर थे। 18 से लेकर 25 वर्ष आयु वर्ग के यह सभी नवयुवक संदिग्ध आतंकी होने के कथित संदेह पर सरेआम मार दिए गए। हालांकि उनके कब्ज़े से किसी प्रकार के कोई हथियार भी बरामद नहीं हुए। जबकि सुरक्षा कर्मियों पर आरोप यह लगाया गया कि पाक सुरक्षा कर्मी एक चेचेन महिला के साथ ज़ोर-ज़बरदस्ती कर उसे अपनी हवस का शिकार बनाना चाह रहे थे। परंतु उनके विरोध के कारण वे ऐसा नहीं कर सके। और आखिरकार अपनी खीझ मिटाने के लिए उन्होंने मानवाधिकारों व मानवता का खून करते हुए इन बेगुनाह व निहत्थे विदेशी नागरिकों की अपने देश में गोली मार कर हत्या कर डाली।
ऐसे वक्त में जबकि आत्मघाती हमलावरों,आतंकवादियों, कट्टरपंथी ताकतों, बाहुबलियों,पंचायतों तथा हठधर्मी प्रवृति के लोगों द्वारा पाकिस्तान में सरेआम मानवाधिकारों के उल्लंघन का काम किया जा रहा है,ऐसे में सुरक्षाकर्मियों,सैनिकों,आईएसआई व रेंजर्स द्वारा भी उसी मानवता विरोधी नक्शेकदम पर चलने का प्रयास करना आखिर कार पाकिस्तान को किस मोड़ पर ले जाएगा कुछ कहा नहीं जा सकता। पाकिस्तान के जिम्मेदार लोग,पाकिस्तान से हमदर्दी रखने वाले देश तथा पाकिस्तान की अमनपसंद जनता इस बात को लेकर बेहद चिंतित व दु:खी है कि आतंकवाद का बुरी तरह से शिकार पाकिस्तान के सुरक्षाकर्मियों की वहशियाना,गैर इस्लामी व गैर इंसानी हरकतों के चलते कहीं मानवाधिकारों का उल्लंघन करने वाला दुनिया का सबसे खतरनाक देश भी न कहा जाने लगे?


