मामला भाजपा की भितरघात का नहीं- हिटलर ने कम्‍युनिस्‍टों का कत्‍लेआम करने के लिए अपनी संसद में बम मरवा दिया था और उसका इलज़ाम कम्‍युनिस्‍टों पर लगाकर उन्‍हें साफ़ करने का बहाना खोज लिया। भाजपा-संघ हिटलर के वंशज हैं। अगर वे दिल्‍ली हारे हैं तो यह उनका अपना फैसला है, अपनी तिकड़म है।
यूं ही कोई अपना घरौंदा नहीं उजाड़ता या उजड़ने देता है। गरीब से गरीब और कमज़ोर से कमज़ोर आदमी की ज़मीन जब जाती है तो वह पलटकर एक कुल्‍हाड़ी ज़रूर मारता है या थक हार कर मुआवजा ले लेता है। फिर ये तो भाजपा है जिसकी इस देश में सरकार है, आखिर दिल्‍ली को उसने इस बेरहमी से क्‍यों अपने हाथ से जाने दिया? मामला सिर्फ भाजपा की भितरघात या जनता में झाड़ू की लहर का नहीं है मितरों।
हिटलर ने कम्‍युनिस्‍टों का कत्‍लेआम करने के लिए अपनी संसद में बम मरवा दिया था और उसका इलज़ाम कम्‍युनिस्‍टों पर लगाकर उन्‍हें साफ़ करने का बहाना खोज लिया। भाजपा-संघ हिटलर के वंशज हैं। अगर वे दिल्‍ली हारे हैं तो यह उनका अपना फैसला है, अपनी तिकड़म है। सत्‍ताधारी दल अगर जीतने के लिए ईवीएम में घपला कर सकता है तो हारने के लिए भी कर सकता है। क्‍या अब तक आपने अमित शाह के चेहरे पर कोई अफ़सोस की लकीर देखी???
कल साक्षी महाराज का दिया बयान ही याद कर लीजिए जिसमें उन्‍होंने कांग्रेसमुक्‍त भारत बनाने की दिशा में दिल्‍ली का अध्‍याय जोड़ने के लिए 'आप' को धन्‍यवाद दिया था।
(संदेह का क्षण-2)
अभिषेक श्रीवास्तव