मारुति सुजुकी मजदूरों के बर्बर दमन के खिलाफ हुआ प्रदर्शन
मारुति सुजुकी मजदूरों के बर्बर दमन के खिलाफ हुआ प्रदर्शन
नयी दिल्ली, 20 मई। मारुति सुजुकी के मजदूरों की हरियाणा सरकार द्वारा जबरन गिरफ्तारी और उनके परिवार पर बर्बर लाठीचार्ज के विरोध में सोमवार को जन्तर-मन्तर पर बिगुल मजदूर दस्ता, स्त्री मजदूर संगठन और करावल नगर मजदूर यूनियन ने संयुक्त रूप से विरोध प्रदर्शन किया। प्रदर्शन में काफी संख्या में महिला मजदूर भी मौजूद थीं।
गौरतलब है कि 18 जुलाई को मारुति सुजुकी के मानेसर संयत्र में हुयी तोड़-फोड़ व आगजनी की घटना की किसी भी जाँच के बिना ही मजदूरों के खिलाफ एकतरफा कार्रवाही की गयी। लगभग पिछले दो महीने से मारुति के मजदूरों का संघर्ष हरियाणा के कैथल इलाके में जारी था। बताया जाता है कि 18 मई की आधी रात को अचानक पुलिस ने धरना स्थल से 96 मजदूरों को गिरफ्तार किया और पूरे कैथल में धारा 144 लगा दी।
जन्तर-मन्तर पर विरोध प्रदर्शन में स्त्री मजदूर संगठन की शिवानी ने बताया कि 19 मई को मजदूरों और उनके परिवार वालो ने कैथल में उद्योग मन्त्री रणदीप सुरजेवाला के घर के सामने शान्तिपूर्ण प्रदर्शन कर रहे थे जब अचानक पुलिस ने बर्बर लाठीचार्ज शुरू कर दिया और वाटर कैनन की बौछार और आँसू गैस के गोले भी फेंके। इसमें कई महिलाओं को गम्भीर चोटें आयी हैं।
उन्होंने कहा कि इस पूरी घटना ने यह साफ़ कर दिया कि हरियाणा सरकार कॉर्पोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ मिलकर बर्बर तानाशाही पर उतर आयी है। 18 और 19 मई की पूरी पुलिसिया कार्रवाही को एक प्रतीक घटना के रूप में देखा जाना चाहिये। करावल नगर मजदूर यूनियन के नवीन ने कहा की मारुति के मजदूरों का संघर्ष पूरे देश के औद्योगिक क्षेत्रो में जायज हकों की माँगों को लेकर संघर्षरत मजदूरों की ही एक कड़ी है। उन्होंने कहा कि इस पूरी घटना ने यह साफ़ कर दिया कि हरियाणा सरकार कॉर्पोरेट घरानों और बहुराष्ट्रीय कम्पनियों के साथ मिलकर बर्बर तानाशाही पर उतर आयी है। 18 और 19 मई की पूरी पुलिसिया कार्रवाही को एक प्रतीक घटना के रूप में देखा जाना चाहिये।
बिगुल मजदूर दस्ता के अभिनव ने कहा कि 18 और 19 मई की घटना ने मजदूरों के संघर्ष को एक धक्का अवश्य पहुँचाया है, लेकिन यह अप्रत्याशित नहीं था। बिगुल मजदूर दस्ता ने मारुति के मजदूरों को यह लिखित सुझाव दिया था कि संघर्ष की भूमि दिल्ली को बनाया जाना चाहिये न कि हरियाणा को, क्योंकि मारुति सुजुकी सिर्फ हरियाणा की कम्पनी नहीं बल्कि एक ऐसी बहुराष्ट्रीय कम्पनी है जो भारत की आर्थिक नीतियों को अपने हितों के अनुसार बनवाती है। दूसरा, उन्होंने कहा कि मारुति के मजदूरों को अपने संघर्ष को तमाम दलाल चुनावबाज़ पार्टियों की ट्रेड यूनियनों और अवसरवादी वामपंथी संगठनो के चंगुल से बाहर निकलना होगा। इसके इलावा मजदूरों की गिरफ्तारी करके हरियाणा सरकार ने संघर्षरत मजदूरों की यूनियन बनाने एवं अन्य तमाम माँगों को परिधि में धकेलने का काम किया है। इसके बावजूद मजदूर अभी भी लड़ने के लिये तैयार हैं।
ह्युमन राइट्स लॉ नेटवर्क की एमी ने इस पूरे मामले के कानूनी पक्षों की जानकारी दी।
अभिनव की रिपोर्ट


