मोदी सरकार सीमा पर सख्ती करे, चीजें अपने-आप दुरूस्त हो जाएंगी

देश की जिम्मेदारी नहीं ले सकते मोदीजी तो छोड़ दें सरकार को
जगदीश्वर चतुर्वेदी
मीडिया में मालदा इसलिए नहीं चमक रहा क्योंकि इससे मोदी सरकार का निकम्मापन उजागर होता है। गुलाम मीडिया इस समय मोदीजी की इज्जत बचाने में लगा है।
मालदा के दंगे को लेकर फेसबुक पर संघ के लोग अत्यधिक उत्साहित होकर सक्रिय हो उठे हैं और धर्मनिरपेक्ष ताकतों के खिलाफ हमले कर रहे हैं। मालदा की घटना की सारी जिम्मेदारी राज्य सरकार और केन्द्र सरकार की है।
मोदीजी की ताकतवर केन्द्र सरकार सीमावर्ती इलाकों से अवैध लोगों का आना क्यों नहीं रोक पाई है, जबकि उसे दो साल होने को आए। यहां तक कि सीमापार से नोटों की स्मगलिंग बड़े पैमाने पर हो रही है और सीमा पर कोई बंदिश नजर नहीं आ रही। वहीं दूसरी ओर ममता सरकार इस तरह के तत्वों के प्रति नरम रूख अपनाए हुए है।
इस पूरे प्रसंग में धर्मनिरपेक्ष ताकतें और वामदल खासतौर पर कहीं पर भी शामिल नहीं हैं और न उनकी जिम्मेदारी है, इसके बावजूद जहरीले प्रचार अभियान के लिए चर्चित लोग फेसबुक पर मालदा के बहाने जहर उगल रहे हैं और अपनी राष्ट्रद्रोही मानसिकता को छिपाने का प्रयास कर रहे हैं।
मोदी सरकार सीमा पर सख्ती करे चीजें अपने-आप दुरूस्त हो जाएंगी। लेकिन मोदीजी को अपने देश की समस्याओं को देखने, सीमाओं पर नजर डालने का समय ही नहीं मिला। उनकी प्राथमिकता में देश नहीं आता, वरना वे वायदे के मुताबिक सीमाओं पर चौकसी बढ़ाते, सख्ती बढ़ाते। मालदा दंगे के जितने भी तथ्य सामने आ रहे हैं वे केन्द्र और राज्य सरकार के निकम्मेपन पर रोशनी डालते हैं।
मालदा के दंगाईयों में से गिरफ्तार 9 लोगों में से 6 को जमानत मिल गयी है और यह राज्य सरकार के नरम रूख का परिणाम है। उल्लेखनीय है सीमापार से होने वाली विभिन्न किस्म की घटनाओं के साथ टीएमसी किसी न किसी रूप में जुड़ी है। यह कई आपराधिक घटनाओं के प्रसंग में नोटिस किया गया है, लेकिन सीबीआई ने टीएमसी के संरक्षण देने वाले नेताओं को अपनी जांच में साफ छोड़ दिया है।
मालदा के मामले पर मेल टुडे की रिपोर्ट यह बताती है कि वहां पर हुई हिंसा का संबंध जाली नोट रैकेट से हो सकता है। यह रैकेट सीमापार से संचालित है। सीमाओं की देखभाल केन्द्र का विषय है, केन्द्र ने विगत कुछ महीनों में सीमा पर सख्ती दिखाई भी है। इससे निहित स्वार्थी तत्व परेशान हैं और उनकी राष्ट्रविरोधी साजिश का यह दंगा परिणाम है। धर्म को इसमें आवरण के रूप में इस्तेमाल किया गया है। जाली नोट रैकेट के जरिए सीमापार से राष्ट्रविरोधी ताकतें हमारे देश की अर्थव्यवस्था को सीधे निशाना बनाना चाहती हैं।
मजेदार बात है सरकार चलाएं मोदीजी और जवाब दें धर्मनिरपेक्ष लेखक, यह कौन सी बुद्धि है जी। देश की जिम्मेदारी नहीं ले सकते मोदीजी तो छोड़ दें सरकार को।
देश की सभी एजेंसियां मोदी-ममता के कब्जे में हैं, लेकिन किसी को भनक नहीं लगी कि मालदा में क्या होने जा रहा है, कमाल की जुगलबंदी है मोदी-ममता की। किसी ने एलर्ट नहीं भेजा।