मिलिए घर-घर दूध बेचने वाली मेयर से

सत्येंद्र पीएस

Milk is here so is Mayor Ajitha Vijayan

48 साल की अजिता विजयन करीब डेढ़ सौ घरों में सुबह सबेरे दूध पहुंचाती हैं। दूध बेचना उनका रोजगार है, रोज की रोटी कमाने का साधन है। इससे उन्हें 10 हजार रुपये महीने कमाई होती है।

वह पहले 2005 और उसके बाद 2015 में सभासद बनीं। इस साल बाद केरल के त्रिशुर जिले की मेयर बन गईं।

आप अपने इलाके के सभासद से अजिता की तुलना करें। मेरे इलाके का सभासद तो 3 बार सभासद बनने में करोड़पति का तमगा क्रॉस कर अरबपति बनने की ओर है। पहली बार जरूर एक बेरोजगार बनकर लोगों की सहानुभूति से सभासद बना था, लेकिन अब वह दारू बांटकर, वोटिंग लिस्ट में फेरबदल करके आराम से जीत लेता है।

अजिता की प्राब्लम यह है कि 1999 में उन्होंने मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ज्वाइन की। वह चोर नहीं बन पाईं। 2 बार सभासद और इस बार मेयर बनने के बाद भी उनका मानना है कि उनका रोटी कमाने का माध्यम दूध बेचना ही है, दलाली नहीं। त्रिशुर कोई छोटा मोटा आम जिला नहीं है, उसे केरल की सांस्कृतिक राजधानी कहा जाता है।

यह कम्युनिज्म की ताकत है। नेता कम्युनिटी को साथ लेकर चलता है, न कि चुने जाने के बाद दलाली कर, कम्युनिटी को बेचकर धन जुटाता है।

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