मुकुल रॉय से पांच घंटे सीबीआई पूछताछ - खूब बोला है सीबीआई जिरह में।
कोलकाता। मदन मित्र और दूसरे दागी जिस तरह सीबीआई में पेश होते ही गिरफ्तार कर लिये गये, उसके बाद मुकुल रॉय से पांच घंटे सीबीआई पूछताछ के बाद उनका सीना तानकर सीबीआई को सहयोग का खुल्ला ऐलान के साथ बरी हो जाना नये बन रहे राजनीतिक केसरिया समीकरण का खुलासा है।
कोलकाता हिलेला। हिलेला देहलिवा।
दीदी कठघरे में दाखिल हैं।
मुकुल ने खूब बोला है सीबीआई जिरह में।
सत्तादल की ओर से मदन मित्र की पेशी के वक्त जो नजारा पेश किया गया था, उसके मुकाबले सन्नाटा है।
जैसे सांप सूंघ गया है।
अब अगर मुकुल रॉय गिरफ्तार हुए तो संकट में तृणमूल सरकार और नहीं हुए तो संकट उससे भारी है।
सुबह लिखी थीं ये पंक्तियां और मन में सन्नाटा ऐसा छाया कि फिर लिखा नहीं गया घंटों। तब मुकुल से जिरह चल रही थी।
साढ़े चार घंटे की रगड़ाई के बाद बाहर निकलकर मुकुल राय ने कहा कि वे चाहते हैं कि शारदा फर्जीवाड़े का जो सच है, वह उजागर हो।
दिशा-दिशा में उनके अनुयायी बागी बोल, बोल रहे हैं तो सीबीआई के कब्जे से बेदाग, सीना तानकर निकले मुकुल के दर्शन से धर्मांतरण मुहिम में निष्णात बंगाल और तेज केसरिया होने लगा है।
जिन सव्यसाची दत्ता के खिलाफ कालीघाट में अनुशासनात्मक कार्रवाई के लिए दीदी बैठक लगा रही हैं, उन्हीं सव्यसाची दत्ता ने शारदा फर्जीवाड़ा कांड के दागियों के खिलाफ डंका पीटना शुरू किया हुआ है और आज हुए सीबीआई शो में तृणमूली जनता को हंगामा से रोक भी वही रहे थे।
बहरहाल सीबीआई ने पच्चीस प्रश्न मुकुल राय से पूछे जो पहले से आज के अखबारों में छपे हैं। जिनमें ममता और उनके भतीजे को कटघरे में खड़े करने वाले सवाल है तो कोलिंपोग से शुरू परिवर्तन की हवाओं का खुलासा भी इन्हीं सवालों से होना है।
कोलिपोंग में ही मुकुल राय और सुदीप्तो के साथ, बेशकीमती गाड़ियों के काफिला, फुटबाल, अखबार, सिनेमा और दुर्गोत्सव स्पांसर करने वाले महासितारा रोजवैली के मालिक गौतम कुंडु की बैठक हुई थी वाम को बेदखल बनाने के लिए।
किस्सा उन सूटकेसों का भी है जो नोटों से भरे थे और विधानसभा चुनावों से पहले बांटे गये थे। देवयानी संग लापता सुदीप्तो ने भागने से पहले मुकुल राय के साथ बैठक की थी और गुमशुदगी के दौर में उनसे लगातार कनेक्टेड थे मुकुल बाबू तो वापसी भी उन्हींके इशारे पर हुई उनकी।
जाहिर है मुकुल राय ने सारे राज खोल दिये हैं जैसा कि उनका कहना भी है और सीबीआई का भी कहना है कि वे तफतीश में पूरा सहयोग कर रहे हैं और घोटाले के असली चेहरे को बेनकाब करने वाले हैं।
मुकुलबाबू गिरफ्तार होते तो भी राहत मिलती दीदी को कि उन्होंने शायद कुछ बका न हो। अब मामला तो हाट में हड़िया तोड़ने का है।
मदन मित्र और दूसरे दागी जिस तरह सीबीआई में पेश होते ही गिरफ्तार कर लिये गये, उसके बाद मुकुल राय का सीना तानकर सीबीआई को सहयोग का खुल्ला ऐलान के साथ बरी हो जाना नये बन रहे राजनीतिक केसरिया समीकरण का खुलासा है।
अब कोलकाता और बाकी बंगाल में इस भूकंप का कंपन किस अंक का है, वह हम अभी माप नहीं सके हैं। सूत्रों के अनुसार, पूछताछ के बाद मुकुल ने मीडिया के सामने न तो तृणमूल का जिक्र किया और न ही मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का।
सो यह पुण्यकर्म जोर शोर से घर वापसी खातिरै चालू आहे अब शारदा में फंसे कटघरे में खड़े दीदी के बंगाल में यह सहज विधि आजमायी जा रही है।
दिल्ली दांव पर है तो बंगाल भी दांव पर है।
दिल्ली में बजट उजट का झमेला कारपोरेट लाबिंग और अमेरिकी हितों और दिशानिर्देशों के हवाले करके कारपोरेट वकील अरुण जेटली संघ परिवार के लिए दिल्ली जीतने वास्ते सिपाहसालार बनकर बैठे हैं।
बंगाल विजय अब वक्त का इंतजार लग रहा है।
हालांकि बंगाल की शेरनी गरजी भी है।
धर्मांतरण के खिलाफ बोली भी दीदी आज और संघ परिवार को चेतावनी भी दी है कि पहले संविधान बदलने की जुर्रत करे क्योंकि भारत अब भी धर्मनिरपेक्ष देश है।
आदिवासियों के धर्मांतरण के खिलाफ आसनसोल कोयलांचल से आदिवासियों का विरोध प्रदर्शन भी शुरू हो चुका है।
और सबसे खास बात है कि विश्व हिंदू परिषद के तुर्रम खां प्रवीण तोगड़िया के खिलाफ एफआईआर दर्ज भी हो गया है।
ममता दीदी ने कहा कि सरकार हाथ पर हाथ धरे बैठे नहीं रहेगी और संघ परिवार के धर्मांतऱण अभियान चलने नहीं देंगी।
मुश्किल यह है कि सारे राजनीतिक दलों के लोग केसरिया हुए जा रहे हैं और कटघरे में खड़ी दीदी की आवाज अब उतनी बुलंद नहीं है कि ठीक से कहा जा सकें कि हर कहीं पहुंच रही होगी उनकी आवाज।
इससे भी बड़ी फिक्र का मुद्दा यह है कि बहुजन समाज मतुआ नेतृत्व में केसरिया है और शरणार्थी भी केसरिया।
अपनी सुरक्षा के लिए जमीन को रहे मुसलमान संघ परिवार में शरण ले रहे हैं और इन हालात के खिलाफ पुरजोर कोई वाम पहल नहीं है और न कोई प्रतिनिधित्वमूलक वाम नेतृत्व है बंगाल में जो केसरिया सुनामी का मुकाबला कर सकें।
दीदी और वाम की लड़ाई में बंटा हुआ है धर्मनिरपेक्ष खेमा और अस्तित्व की लड़ाई में साइन बोर्ट तक सिमट गयी है कांग्रेस।
कपिल सिब्बल ने शारदा फर्जीवाड़े मामले में बंगाल सरकार का वकील बनकर कांग्रेस की हालत और पतली कर दी है।
गांधी की शहादत दिवस पर बंगाल में दुर्गोत्सव से पहले दुर्गोत्सव है और कमल की खेती है हर कहीं।
पुस्तक मेले तक में संघ परिवार की बहार है जहां भाजपा का सदस्यता अभियान जोरों पर है।
पलाश विश्वास