मुजफ्फरनगर-शामली साम्प्रदायिक हिंसा की हो सीबीआई जाँच- रिहाई मंच
मुजफ्फरनगर-शामली साम्प्रदायिक हिंसा की हो सीबीआई जाँच- रिहाई मंच
कांधला, कैराना, मलकपुर, खुरगान, शामली, सांप्रदायिक हिंसा पीड़ित कैंप शामली से 27 सितंबर 2013। मुस्लिम विरोधी साम्प्रदयिक हिंसा प्रभावित इलाकों में कानून-व्यवस्था बहाल करने में सरकार पूरी तरह विफल हो चुकी है। वाँछितों को पकड़ने की हिम्मत पुलिस नहीं कर पा रही है। हिंसा में शामिल लोगों के हौसले इतने बुलन्द हैं कि गाँव की महिलाएं पुलिस पर पथराव करके उन्हें भी नहीं घुसने दे रही हैं। इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश में सरकार नाम की कोई चीज नहीं रह गयी है।
यह आरोप शामली और मुजफ्फरनगर में साम्प्रदायिक हिंसा प्रभावित इलाकों का दौरा कर रहे रिहाई मंच जाँच दल ने लगाया है।
रिहाई मंच जाँच दल ने पाया कि लिसाढ़ गाँव, जहाँ मुसलमानों के सैकड़ों घर पूरी तरह नष्ट कर दिये गये हैं स्थानीय लेखपाल और एसडीएम की मिली भगत से प्रशासन ने पीड़ितों की क्षति का आँकड़ा पीड़ितों के फर्जी हस्ताक्षर करके तथा कुछ मामलों में कैम्प में चोरी छुपे जाकर पीड़ितों से हस्ताक्षर करवाकर तैयार कर लिये हैं। जबकि नियमतः पीड़ितों की मौका-ए-वारदात पर उपस्थिति के उपरान्त ही इसे तैयार किया जाता है। जिससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि प्रदेश सरकार किस कदर पीड़ितों को न्याय से वंचित रखने और इस जघन्य अपराध को छुपाने के लिये लीपापोती करने पर उतारू है। रिहाई मंच ने आरोप लगाया कि मलकपुर और खुरगान कैम्पों में पीड़ितों के सर्वे फार्म पर हमलावरों का नाम बताने के बावजूद उन्हें अज्ञात लिखा जा रहा है।
रिहाई मंच जाँच दल ने अपनी रिपोर्ट में कहा है कि उनको ग्राम फुगाना, तहसील बुढ़ाना के अब्दुल गफ्फार ने बताया कि पिछले दिनों 23 सितम्बर को जब वे अपने गाँव पुलिस के साथ गये थे तब भी उन्हें इस्माईल पुत्र हकीम जी के घर के बाहर तीन लाशें पड़ी हुयी मिलीं जो इतनी सड़ चुक थीं कि उन्हें पहचान पाना मुश्किल था। लेकिन पुलिस ने उन्हें उठाने के बजाये उसी तरह छोड़ दिया। अब दुबारा अपने गाँव कभी न लौटने की बात कहने वाले अब्दुल गफ्फार ने बताया कि गाँव के ही विनोद पुत्र मंगा, अरविंद डॉक्टर, रामकुमार पुत्र ओम प्रकाश पटवारी और सुनील पुत्र बीरम सिंह ने उनके सामने ही उनके दादा इस्लाम को गड़ासे से तीन टुकड़े काट दिये और उनकी बारह वर्षीय बेटी और भाई नसीम को भाला और गोली मारकर बुरी तरह घायल कर दिया। इस हादसे के बाद से ही अब्दुल गफ्फार की दादी जो अंधी हैं, गायब हैं। मुसलमानों के विरूद्ध इन संगठित हमलों में हर गाँव की तरह अब्दुल गफ्फार के ग्राम प्रधान थम्मू जाट भी मुख्य भूमिका में था। गफ्फार ने जाँच दल को बताया कि नंगला मदौड़ की महापंचायत से लौटने के बाद 7 सितम्बर की शाम को ही ग्राम खरड और फुगाना के बीच स्थित नहर के पास थम्मू प्रधान के नेतृत्व में जाटों और हिंदुओं की दूसरी जातियों की मीटिंग हुयी थी। जिनमें लगभग तीन सौ लोग इकठ्ठे हुये थे जहाँ दूसरे दिन मुसलमानों के जनसंहार की रणनीति बनी थी। एक पूरी रात गन्ने की खेत में छुप कर जान बचाने वाले गफ्फार ने बताया कि 8 सितम्बर की सुबह दस बजे हमलावरों की एक भीड़ मस्जिद में घुस गयी और तोड़-फोड़ करने के बाद वहां शराब पी और उसके बाद आगजनी और हत्यों का खेल शुरू करने से पहले नाजिर पुत्र गेंदा के घर के सामने डाढ़ी, टोपी और कुर्ता वाला मुसलमानों का पुतला फूँका और नारेबाजी की। इसके बाद सुलेमान पुत्र मुंशी, आसू पुत्र यासीन, इस्लाम पुत्र नियादर की सरेआम हत्या कर दी गयी।
इसी तरह मलकपुर कैम्प में रह रहे लाक गाँव के खुरशीद पुत्र दीनू ने रिहाई मंच जाँच दल के सदस्यों अधिवक्ता असद हयात, राजीव यादव, शरद जायसवाल, गुंजन सिंह, लक्ष्मण प्रसाद, शाहनवाज आलम, तारिक शफीक और आरिफ नसीम को बताया कि 8 सितम्बर को उनके गाँव के वहीद लीलगर पुत्र सेराजू, ताहिर लीलगर पुत्र वाहिद, रईसा पत्नी अख्तर, अख्तर पुत्र वाहिद, पम्पू पुत्री रईसा, सेराजो पत्नी वहीद धोबी, आसू पुत्र इकबाल धोबी को पहले जिंदा जला दिया गया और उसके बाद कुछ लाशों को एक के उपर एक रख कर ट्रैक्टर से रौंद दिया गया। इनके अलावा 70 वर्षीय अबलू लोहार और 70 वर्षीय कासिम डोम पुत्र जीवन जो चारों की गठरी लेकर आ रहे थे, की भी हत्या कर दी गयी।
रिहाई मंच जाँच दल को पीड़ितों ने बताया कि महिलाओं और बच्चों के लिये यदि विशेष मेडिकल सुविधा की व्यवस्था नहीं की गयी तो स्थिति बिगड़ सकती है क्योंकि बहुत सारी महिला गर्भवती हैं और बहुत से बच्चों का जन्म इन कैम्पों में ही हुआ है जिन्हें विशेष पौष्टिक आहार और देख रेख की जरूरत पड़ती है। जाँच दल को पीड़ितों ने बताया कि मौसम में आ रहे परिवर्तन और रात को ओस पड़नी शुरू होने के चलते खुले आसमान के नीचे लगे इन कैम्पों में रहना मुश्किल होता जा रहा है। रिहाई मंच ने माँग की है कि सरकार सभी पीड़ितों को बीपीएल कार्ड के दायरे में लाते हुये तत्काल उन्हें कांशीराम/लोहिया आवास एवं ग्राम समाज की भूमि आवंटित किया जाये और मुख्यमंत्री विवेकाधीन कोष से घर से बेघर हुये लोगों के लिये विशेष व्यवस्था की जाये। रिहाई मंच ने माँग की है कि इन योजनओं के तहत तत्काल संजीदगी से व्यवस्था की जाये क्योंकि यदि अभी से प्रक्रिया शुरू होगी तब जाकर कहीं दो-तीन महीने में इसे पूरा किया जा सकता है। नहीं तो पीड़ितों को डेढ़ महीने बाद शुरू होने वाली ठण्ड में हालात और खराब हो जायेंगे।
रिहाई मंच के प्रवक्ताओं राजीव यादव और शाहनवाज आलम ने कहा कि सरकार को चाहिए कि पूरे मामले की सीबीआई जाँच कराये।


