बुद्धम् शरणम् गच्छामि!
साधो, मुर्दों के गांव शहर कस्बे में जो भी हो जिंदा, उठ खड़े हों अमन के लिए कयामत के मुकाबले!
पलाश विश्वास

रोहित वेमुला अगर एससी है तो भी ओबीसी और एसटी साथ है..
रोहित वेमुला अगर ओबीसी है तो भी एससी और एसटी साथ है..
रोहित वेमुला अगर एसटी है तो भी ओबीसी और एससी साथ है..
रोहित वेमुला अगर भारतीय है तो भी एससी,ओबीसी और एसटी साथ है..
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर एससी है तो हिन्दू है या नहीं?
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर एसटी है तो हिन्दू है या नहीं?
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर ओबीसी है तो हिन्दू है या नहीं?
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर एससी और हिन्दू है तो बजरंग दल कहाँ है?
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर ओबीसी और हिन्दू है तो RSS कहा है?
प्रश्न ये उठता है कि रोहित बेमुला अगर एसटी और हिन्दू है तो भाजपा किधर है?
~Aalok Yadav

अब यह जात पांत की लड़ाई नहीं है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता कि रोहित मनुस्मृति और न जाने किस किस मंत्रालय के मंत्रियों या बजरंगी सिपाहसालारों के मुताबिक दलित है या ओबीसी या धर्मांतरित अल्पसंख्यक।
हर राज्य में आरक्षण के बहान कमंडल मंडल गृहयुद्ध की राजनीति और रणनीति से भी फर्क नहीं पड़ने वाला है और फासिज्म के सारे किलों की नाकाबंदी होगी, अरविंद केजरीवाल के शब्दों में जो पुलिस दिल्ली में प्रदर्शनकारी छात्रों को निजी सेना की तरह मार रही थी और पत्रकारों को भी बख्शा नहीं, वे अपने त्रिशूल से अब किसी भारतीय का वध करने से पहले सोच लें कि इस देश की माटी से हिंसा और घृणा की मनुस्मृति के विरुद्ध फिर बुद्धं शरणं गच्छामि के मंत्रोच्चार के साथ बहुजन जनता वैदिकी अश्वमेध के खिलाफ गोलबंद होने लगी है।
आलोक यादव को हम नहीं जानते। मगर उनका लिखा यह देश का कुल मिजाज है जो मनुस्मृति राज में अस्मिताओं में बंटकर खामोश कयामत बर्दाश्त करेगी नहीं।
कोलकाता और नई दिल्ली में आरएसएस मुख्यालयों पर न्याय और समता की मांग के लिए प्रदर्शन कर रहे छात्रों युवाओं पर जो हमले हुए, उसके बाद सहिष्णुता असहिष्णुता का विवाद खत्म हो जाना चाहिए।
फासिज्म के राजकाज में न कानून का राज है और न संविधान है।
नागरिकता और नागरिक अधिकार निलंबित हैं।
प्राकृतिक संसाधनों की खुली लूट है और धर्म के नाम देश नीलाम है।
यह सीधे मनुष्यता और प्रकृति के लिए,देश के लिए देशभक्त नागरिकों का मोर्चा है। जो अभी अभी शुरु हुआ है। इस रात की सुबह न होने तक मोर्चाबंदी का सिलसिला देश के कोने कोने में जारी है।
नागपुर के संघ मुख्यालय पर भी मोर्चा लगा है।
तो समझ लें कि जब बंगाल के दलित सड़कों पर आने लगे हैं तो हमारे बच्चे अकेले न पीटे जायेंगे और न मारे जायेंगे।
आगे क्या करना हैं, जनता बखूब जानती है जो चुनावी धर्मोन्मादी ध्रवीकरण के खिलाड़ी समझ नहीं रहे हैं और फर्जी सुनामी से समझ रहे हैं कि सारी आवाजें कुचल देंगे तो भी मुक्तबाजार में कोई बोलेगा नहीं। ख्वाबों के सौदागर ख्वाबों का हल नहीं जाने हैं।
जन सुनवाई नहीं है।
मीडिया बिकाऊ है।
सोशल मीडिया पर पहरा है।
इस अंधियारे में हम हजारों साल से जिंदा हैं, लेकिन हुकूमत को भी मालूम नहीं है कि अंधियारे के इस आलम में कैसे जमीन पकने लगी है और सीमेंट के जंगल में जल जमीन जंगल और फसल की खुशबू आती नहीं है और न कागज के खिलखिलाते फूल इंसानियत के वजूद को मिटाने की ताकत रखते हैं।
बाजू भी बहुत हैं और सर भी बहुत हैं, गोरों ने माना नहीं तो काले अंग्रेज क्या मानेंगे।
एक भी नागरिक उठकर खड़ा हो गया प्रतिरोध में तमाम परमाणु आयुध फेल हो जायेंगे।
गांधी के हत्यारे का मंदिर बनाने वाले लोगों ने इतिहास का यह सबक सीखा नहीं है।
दिल रो रहा है।
जख्मी और घायल बच्चे राजपथ पर अकेले हैं।
क्योंकि देश सो रहा है।
जनता सो रही है।
जागने वाले जो जाग रहे हैं, मुर्दों की आबादी में उनकी खबर किसी को नहीं है।
इस जागरण का मतलब बूझने का अदब भी बेअदबों की नहीं है।
दसों दिशाओं में बदलाव की असल सुनामी खड़ी हो रही है औ रवे समझते हैं कि किन्हीं लोगों का कत्ल काफी है और जालिमों के किलों को बचाने के लिए पुलिस या फौज का निजी सेना में तब्दील होना काफी है।
वक्त है कि वे दुनिया का इतिहास भी पढ़ लें।
कमसकम यह तो पढ़ लें -
ये मुर्दो का ... साधो रे. S
बकौल कबीर-
साधो ये मुर्दों का गाँव
पीर मरे,पैगंबर मरी है
पीर मरे, पैगम्बर मरी है मर गए ज़िंदा जोगी
राजा मरी
है, प्रजा मरी है मर गए बैद और
रोगी साधो रेये मुर्दो का गाँव ये मुर्दो का ... साधो रे. S
ताजा खबरों के मुताबिक हैदराबाद केन्‍द्रीय विश्वविद्यालय में लगभग 15 दिन के अंतराल के बाद आज स्नातकोत्तर कक्षाएं फिर शुरू हो गई हैं।
कहा जा रहा है कि कार्यकारी कुलपति पेरियासामी से रविवार शाम बातचीत के दौरान छात्रों की संयुक्‍त कार्य समिति कक्षाएं चलाने पर सहमत हुई।
इस खबर का मतलब यह कतई नहीं है कि रोहित वेलुमा को न्याय दिलाने की लड़ाई स्थगित हो गई है।
हालांकि, विद्यार्थियों का कहना है कि रोहित को न्‍याय दिलाने के लिए उनका प्रदर्शन कक्षाएं समाप्‍त होने के बाद शाम को जारी रहेगा।
समिति ने यह भी कहा कि अपनी मांगों पर जोर देने के लिए छात्रों द्वारा की जा रही भूख हड़ताल भी जारी रहेगी। इस बीच, भूख हड़ताल कर रहे तीन छात्रों को अस्पताल में भर्ती कराया गया।
केंद्रीय विश्वविद्यालय के विद्यार्थी, शोध छात्र रोहित वेमुला की आत्त्महत्या के सिलसिले में कुलपति को हटाने और जिम्म्मेदार लोगों के खिलाफ कार्रवाई करने की मांग को लेकर प्रदर्शन कर रहे हैं।जिनमें केंद्र सरकारकी मनुस्मृति सबसे उजला चेहरा हैं। जो असुर विनाशाय देवी दुर्गा का अकाल बोधन कर चुकी हैं।