मुलायम को तो चित्त कर दिया समाजवादी “औरंगज़ेब” ने, मास्साब से कैसे निपटेंगे ?
मुलायम को तो चित्त कर दिया समाजवादी “औरंगज़ेब” ने, मास्साब से कैसे निपटेंगे ?
मुलायम को तो चित्त कर दिया समाजवादी “औरंगज़ेब” ने, मास्साब से कैसे निपटेंगे ?
नई दिल्ली, 06 जनवरी। समाजवादी “औरंगज़ेब” के तौर पर उत्तर प्रदेश के सियासी आसमान पर चमके उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव अभी कुछ समय के लिए खुश हो सकते हैं कि उन्होंने बूढ़े शेर अपने पिता मुलायम सिंह यादव को शिकस्त दे दी है, लेकिन आने वाला समय समाजवादी “औरंगज़ेब” के लिए और अधिक जोखिम भरा साबित होने वाला है और इस बात की संभावना बहुत ज्यादा है कि उन्हें कदम-कदम पर 30 दिसंबर 2016 को अपने हारे हुए पिता मुलायम सिंह का वाक्य – “रामगोपाल अखिलेश का भविष्य खराब कर रहा है” कानों में गूँजे।
जब मुलायम वृद्ध, हताश और बेटे द्वारा हाशिए पर धकेले गए एक पिता के तौर पर चुनाव में उतरते हैं, तो राज्य भर में उनके लिए सहानुभूति की लहर भी दौड़ सकती है। अखिलेश की जो शालीन, सौम्य, मृदुभाषी और होनहार युवा बेटे की फर्ज़ी छवि गढ़ी गई है, वह एक ही झटके में धूल चाट सकती है।
दरअसल इस सत्ता संग्राम में महा (खल) नायक बनकर उभरे मास्साब रामगोपाल अखिलेश के लिए बहुत जल्द बहुत खतरनाक साबित होने जा रहे हैं। इससमय जो रामगोपाल अखिलेश के मुख्य चाणक्य बने हुए हैं, उनकी पूँछ सीबीआई के पैरों तले दबी हुई है और सियासी गलियारों में ये चर्चा जोरों पर है कि यादव सिंह पर आयकर विभाग के छापे की रूपरेखा अखिलेश ने ही तैयार कराई थी।
अगर चर्चाओं पर ध्यान दें तो नोएडा में पदस्थ रहे एक वरिष्ठ अधिकारी के जरिए अखिलेश ने यादव को घेरने की योजना बनाई थी,जिसमें फँस गए मास्साब के सुपुत्र भी। चर्चाओं के मुताबिक इस अधिकारी की पत्नी आयकर विभाग में बड़ी अधिकारी है और उसी की मार्फत यादव सिंह पर जाल डाला गया था।
चर्चा जोरों पर है कि मास्साब एक तीर से कई शिकार कर रहे हैं। उन्होंने मुलायम सिंह से अपने कथित अपमान का बदला ले लिया है और सुपुत्तर जी को सियासी हलकों में “औरंगज़ेब” घोषित करवा दिया है। और मुलायम सिंह के बाद अखिलेश को भी पटखनी देंगे।
समाजवादी “औरंगज़ेब” के जो भी पैरोकार हैं, वे सभी अपने-अपने क्षेत्र के दाग़दार हैं।
नरेश अग्रवाल, वही हैं जिन्होंने कांग्रेस को तोड़कर लोकतांत्रिक कांग्रेस बनाई थी और उत्तर प्रदेश में भाजपा की सरकार बनवाई थी। फिर बसपा में बहन जी शरण में चले गए थे। चुनाव बाद नरेश अग्रवाल कहां जाएंगे ये तोवे खुद भी नहीं जानते।
अखिलेश के एक और रत्न अरविंद सिंह गोप, कभी बेनी प्रसाद वर्मा के चेले होते थे और बेनी बाबू के प्रभाव से ही गोप सारे नियमों को ताक पर रखकर लखनऊ विश्वविद्यालय छात्रसंघ के अध्यक्ष बनाए गए थे। बाद में बेनी बाबू को छोड़कर गोप अमर सिंह के खास सिपहसालार हो गए। वक्त बदला तो उन्होंने शिवपाल सिंह यादव का शागिर्द होने में भी देर नहीं लगाई। आज गोप भी अखिलेश के प्रमुख रत्न हैं, पर कब तक हैं इसके लिए चुनाव परिणाम का इंतजार करना बेहतर होगा।
मोदी जी के गुजरात के ब्रांड एंबेसडर रहे अमिताभ बच्चन की पत्नी जया भादुड़ी भी अखिलेश की पैरोकार हैं।
राज्यसभा सांसद जावेद अली खान भी अखिलेश के पैरोकार हैं। खान साहब कभी कम्युनिस्ट पार्टी के युवा संगठन अखिल भारतीय नौजवान सभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष हुआ करते थे। यूपी की भाकपा लेकर सपा में भर्ती हो गए थे। वर्ष 2007 में मुरादाबाद की ठाकुरद्वारा सीट से विधानसभा का चुनाव लड़े थे, चार हजार वोट लेकर खेत रहे थे। चुनाव बाद खान साहब अखिलेश का हुक्म नहीं मानेंगे, वहीं करेंगे जो मास्साब कहेंगे।


