दिलशाद गार्डन मेट्रो स्‍टेशन पर सफाईकर्मियों का प्रदर्शन

सफाईकर्मियों ने न्‍यूनतम मजदूरी, साप्‍ताहिक छुट़टी, ईएसआई-पीएफ के अधिकार की आवाज उठाई

डीएमकेयू ने आन्‍दोलन को व्‍यापक बनाने का आह्वान किया

नई दिल्ली, 30 अगस्त 2011. दिल्ली मेट्रो रेल के दिलशाद गार्डन स्टेशन पर ए टू जेड ठेका कम्पनी के सफाईकर्मियों ने श्रम कानूनों के उल्लंघन के खिलाफ हड़ताल की, जिसका नेतृत्व दिल्ली मेट्रो कामगार यूनियन ने किया। इसमें दिलशाद गार्डन, मानसरोवर तथा झिलमिल मेट्रो स्टेशन के 60 सफाईकर्मी शामिल थे।

मेट्रो सफाईकर्मियों का आरोप है कि ठेका कम्पनी तथा मेट्रो प्रशासन श्रम कानूनों को ताक पर रख कर मजदूरों का शोषण कर रहा है।

हड़ताली सफाईकर्मियों की मुख्य चार मांगे थी

  1. न्यूनतम मजदूरी 247 रुपये
  2. ईएसआई और पीएफ की सुविधा मिले
  3. साप्ताहिक छुट्टी
  4. निकाले गए कर्मचारियों को वापस लिया जाए।

ज्ञात हो कि 10 जुलाई को मेट्रो यूनियन ने इन्हीं मांगों को लेकर जन्तर-मन्तर पर प्रदर्शन किया था तथा अपना ज्ञापन मेट्रो प्रन्बधक ई. श्रीधरन को सौंपा था। लगभग 2 महीने बाद भी मेट्रो प्रशासन ने कोई सुनवाई नहीं की है, जिससे परेशान होकर सफाईकर्मियों ने हड़ताल पर जाने का रास्ता अपनाया।

सफाईकर्मी अखिलेश ने बताया कि देश में मंहगाई चरम पर है। ऐसे में कर्मचारियों को अगर न्यूनतम वेतन भी न मिले तो क्या हम भूखे रहकर काम करते रहे। जीवन के हक की मांग करना क्या गैर कानूनी है?

दिलशाद गार्डन के एक अन्य सफाईकर्मी गोपाल ने बताया कि उनको मेट्रो में काम करते हुए चार साल हो गये हैं, लेकिन आज भी सफाईकर्मी 4000 रुपये वेतन पर खट रहे हैं, जो कि न्यूनतम मजदूरी कानून 1948 का उल्लंघन है।

हड़ताल करीब सुबह 6 बजे से दोपहर 12 बजे तक चली। इसके बाद मेट्रो भवन से आये मेट्रो रेल लेबर इंस्पेक्टर जे.सी झा तथा स्टेशन मैनेजर ने मजदूरों की मांग को सुनकर आश्वासन दिया है कि इन सभी मांगों को एक महीने के अन्दर पूरा कर दिया जायेगा।

यूनियन के संयोजक अजय स्वामी ने बताया कि इसके बाद लेबर इंस्पेक्टर जे. सी झा ने ए टू जेड कम्पनी के प्रोजेक्ट मैनेजर बालचन्द्ररन से भी बयान लिया कि मजदूरों को न्यूनतम मजदूरी क्यों नहीं दी जा रही है। इस पर बालचन्द्ररन ने कहा कि जब देश में कहीं पर न्यूनतम मजदूरी कानून लागू नहीं होता तो उनकी कम्पनी क्यों न्यूनतम मजदूरी कानून का पालन करें? इस बयान से साफ है कि मेट्रो रेल में ठेका मजदूरों के कानूनी हको का खुले तौर पर उल्लंघन हो रहा है।

यूनियन के संयोजक अजय स्वामी ने बताया कि दिल्ली मेट्रो रेल में 10,000 ठेकाकर्मी कार्यरत हैं जिनके कानूनी हकों की लड़ाई यूनियन लम्बे से लड़ रही है और जिसमें यूनियन को अभी आशिंक जीत ही मिली है। यूनियन ने टाम आपरेटर कम्पनी ट्रिग तथा बेदी एण्ड बेदी में न्यूनतम मजदूरी के अधिकार को लड़कर हासिल किया है।

यूनियन के संयोजक अजय स्वामी ने बताया कि सफाईकर्मियों के ज्ञापन को मेट्रो भवन में दिया गया है तथा डीएमआरसी व ठेका कम्पनी को एक महीने में सभी मांगें पूरी करने का समय दिया है। अगर इन मांगों पर गौर नहीं किया जाता है तो यूनियन को फिर से आन्दोलन तथा क्षेत्रीय श्रमायुक्त का रास्ता ही चुनना पड़ेगा।