मैं राष्ट्रीय नागरिक हूँ - ये मुल्क एक बड़े औद्योगिक घराने में बदल रहा है
मैं राष्ट्रीय नागरिक हूँ - ये मुल्क एक बड़े औद्योगिक घराने में बदल रहा है
मैं राष्ट्रीय नागरिक हूँ
ये मुल्क एक बड़े औद्योगिक घराने में बदल रहा है
मैं राष्ट्रीय नागरिक हूँ
मगर मेरी हिफाजत कानून नहीं करता
मैंने मुहाफिजों, मुहाजिरों, विस्थापितों से पूछा
कानून उनकी हिफाजत करेगा
मैंने खेतों से पूछा, पहाड़ों से पूछा
नदियों से पूछा, किसानों से पूछा
कानून उनकी हिफाजत करेगा
मैंने युवा तकलीफों से पूछा
कानून हिफाजत करेगा
पेट की भूख से पूछा, मेहनती हाथों से पूछा
गँवई लड़कों से पूछा
जो देश सुरक्षा में मुस्तैद मिले
मैंने चरवाहों से पूछा
नटों से पूछा
जनजातियों से पूछा
कुम्हार की चाक से पूछा
लोहे से पूछा
मैंने लकड़हारे से पूछा
वे किन राष्ट्रीय योजनाओं में खपाए गए
मैंने गड़रियों से पूछा
वो किन बूचड़खानों में धकेले गए गए
और जवाब में पाया
जो कानून जुर्म की काली कोठरियों में उजाला भरता है
जो जमीन की रंगीन फसलों को काला करता है
जो राजघरानों की हिफाजत में तैनात रहे
प्रधानमंत्री आवास में मुस्तैद रहे
जो गुलगुले की पीक भर राष्ट्रगान,
और चार थन वाली चितकबरी संसद का गुलाम है
जो तीन रंगों वाले पहिये की सुरक्षा में सेना डाले है
जो बूटों और तोपों से निजाम के हक में हिफाजत पाले है
जिस किसी ने पूछा
निजाम किसका है?
काली पट्टी बाँधे उन्हें अलग-अलग कोठरियों में डाला गया
वे राष्ट्रीय कूटनीतियों के जालसाज है
रोज नई-नई उदारवादी मंडियाँ तलाशते हैं
और राष्ट्रध्वज को सलामी देना नहीं भूलते
देख रहा हूँ
ये मुल्क एक बड़े औद्योगिक घराने में बदल रहा है
कारोबारी की हिफाजत में कानूनी कड़ाहा उबल रहा है.


