Resistant voice in contemporary Maithili poetry

मधेपुरा। समकालीन मैथिली कविता में प्रतिरोधी स्वर हमलोग सर्वप्रथम यात्री जी अर्थात नागार्जुन की कविताओं (Poem of nagarjuna) में देखते हैं। उन्होंने बाल विवाह, विधवा विवाह एवं राज्य सत्ता के विरुद्ध जम कर लिखा जो तत्कालीन समाज के एलीट वर्ग के लिए नासूर बन गये। समाज में असमानता व अन्याय के विरुद्ध वे लगातार लिखते रहे। कांचीनाथ झा किरण ने भी मैथिल आडम्बर के विरुद्ध लिखा। उसके बाद तो यह काव्य धारा इतनी प्रबल हो गयी कि राजकमल चौधरी, रामकृष्ण झा किसुन, धीरेंद्र, सोमदेव, कीर्तिनारायन मिश्र, जीवकान्त, धूमकेतु आदि मैथिली कविता में प्रतिरोधी स्वर को नए आयामों से लैस किया।

ये बातें मैथिली के प्रसिद्ध साहित्यकार व संपादक केदार कानन ने कला कुटीर परिसर में बिहार प्रगतिशील लेखक संघ द्वारा आयोजित रचना विचार गोष्ठी में कही।

उन्होंने आगे कहा कि समकालीन मैथिली कविता अपनी धार व वैश्विक सोच के साथ अगली पंक्ति में खड़ी है। आज के मैथिली कवियों में सुकान्त सोम, रामलोचन ठाकुर, महाप्रकाश, उदयनारायण सिंह नचिकेता, अग्निपुष्प, कुणाल विभूति आनन्द आदि ने भी प्रतिरोध के स्वर को मजबूत किया है।

गोष्ठी में उपस्थित प्रसिद्ध कथाकार डॉ. सुभाष चन्द्र यादव ने कहा कि मैथिली साहित्य में कविता के अलावा कहानियों एवं उपन्यासों में भी प्रतिरोध के स्वर मुख्य स्वर बनकर आये हैं, आज के किसी भी साहित्य में प्रतिरोध के स्वर को नयी दृष्टि से हम देख सकते हैं।

kedar kanan 2गोष्ठी में उपस्थित कवि मणिभूषण वर्मा ने कहा कि आधुनिक मैथिली कविता में नारायण जी, केदार कानन, तारानंदन वियोगी, डॉ. कुमार पवन, ज्योत्सना चन्द्रम, सुस्मिता पाठक, विभा रानी आदि ने भी प्रतिरोधी स्वर को वृहत्तर बनाया।

वरिष्ठ साहित्यकार हरिशंकर श्रीवास्तव शलभ ने कहा कि मैथिली कविता को किसी भी अन्य भाषा में लिखी जा रही कविताओं के समानान्तर रखकर देखा जा सकता है, आज के कवियों ने अपने व्यापक फलक के दायरे में प्रतिरोध को सबसे ऊपर रखा है।

प्रलेस की इस गोष्ठी में लघु पत्रिका पर संकट एवं दिल्ली से प्रकाशित व विनीत उत्पल द्वारा संपादित तीरभुक्ति पर भी विमर्श किया गया, रचनाकारों ने एक स्वर में कहा कि यह पत्रिका निखर कर मैथिली पत्रकारिता के इतिहास में अपना विशिष्ट स्थान बनाएगी।

धन्यवाद ज्ञापन करते हुए बिहार प्रगतिशील लेखक के राज्य सचिव डॉ. अरविन्द श्रीवास्तव ने कहा कि समकालीन मैथिली साहित्य के लिए आज का यह आयोजन यादगार रहेगा !