मोदी के चाय बेचने का तो कोई साक्ष्य नहीं, लेकिन मनमोहन सिंह स्कूल जाने के लिए रोज मीलों चलते थे
मोदी के चाय बेचने का तो कोई साक्ष्य नहीं, लेकिन मनमोहन सिंह स्कूल जाने के लिए रोज मीलों चलते थे
रात में केरोसिन तेल की बत्ती की मंद रोशनी में पढ़ाई किया करते थे मनमोहन सिंह
There is no evidence of Modi selling tea, but Manmohan Singh used to walk miles everyday to go to school.
देश की जनता एक प्रतिनिधि को इसीलिए चुनती है... ताकि वो उसकी परेशानियों को समझे और जनता के भले के लिए काम करे... लेकिन देश के प्रधानमंत्री मोदी जनता की परेशानी समझने की बजाय.. हर रैली, हर भाषण में अपनी मुसीबते ही गिनवाते हैं... चाहे गरीबी से गुजरा बचपन हो... या फिर प्रधानमंत्री बनने तक झेली गई कठनाईयां। प्रधानमंत्री मोदी की इसी दास्तां पर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने निशाना साधा है। उन्होंने कहा कि वो नहीं चाहते कि लोग उनकी 'गरीबी की पृष्ठभूमि' पर तरस खाएं.
सूरत में एक कार्यक्रम के दौरान पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि... मैं नहीं चाहता कि मेरी पृष्ठभूमि के बारे में जानकर देश मुझ पर तरस खाए. मैं नहीं समझता कि इस मामले में प्रधानमंत्री मोदीजी के साथ मैं किसी प्रतिस्पर्धा में हूं।
दरअसल पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह से पूछा गया था कि...वो अपनी गरीबी की पृष्ठभूमि के बारे में बात क्यों नहीं करते हैं, जिस तरह मोदी हमेशा बचपन में अपने परिवार की मदद के लिए गुजरात के रेलवे स्टेशन पर चाय बेचने की बात करते हैं। इसके जवाब में मनमोहन सिंह ने कहा कि...मेरी प्रधानमंत्री मोदी से कोई प्रतिस्पर्धा नहीं है,,, देश की समस्या के बारे में अगर मुझसे सवाल किए जाएंगे तो मैं उसके बखूबी जवाब दे सकता हूं... लेकिन मैं नहीं चाहता कि...मेरी पृष्ठभूमि के बारे में जानकर लोग मुझ पर तरस खाए।
आपको बता दें कि...प्रधानमंत्री मोदी हर बात में अपनी गरीबी का जिक्र करते हैं...लेकिन वो अकेले ऐसे प्रधानमंत्री नहीं है जिनका जीवन गरीबी से बीता हो। अगर पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के बारे में जानें तो, उन्हें शान-ओ- शौकत विरासत में नहीं मिली थी। मनमोहन सिंह का जन्म अविभाजित पंजाब के गाह गांव में 1932 में हुआ था। एक गरीब परिवार में जन्मे मनमोहन सिंह ने अपने जीवन के शुरुआती 12 साल गाह में ही गुजारे, जहां न बिजली थी, न स्कूल था, न अस्पताल था। मनमोहन सिंह ने कामयाबी के शिखर तक पहुंचने के लिए कई मुश्किल राहों को पार किया है।
मनमोहन सिंह के मीडिया सलाहकार के रूप में 2004 से 2008 तक काम कर चुके संजय बारू ने बताया कि...मनमोहन सिंह स्कूल जाने के लिए रोज मीलों चलते थे और रात में केरोसिन तेल की बत्ती की मंद रोशनी में पढ़ाई किया करते थे।


