मोदी जी बाबा साहेब को बख्श दीजिए
मोदी जी बाबा साहेब को बख्श दीजिए
महेंद्र मिश्र
मोदी जी आजकल सबसे बड़े अंबेडकर भक्त हो गए हैं। सोते-जागते दिन रात बाबा साहेब की माला जपते रहते हैं। लेकिन यह रिश्ता जुबानी है। दिल की बात तो दूर हलक के नीचे भी नहीं जाता। क्योंकि दोनों के बीच वैचारिक छत्तीसी है। दरअसल महात्मा बुद्ध की तर्ज पर अब बाबा साहेब को भी मूर्तियों में सीमित कर उनके विचारों की हत्या की साजिश शुरू हो गई है। यह सब उन्हीं कवायदों का हिस्सा है।
पद संभालने के साथ ही प्रधानमंत्री मोदी इस काम में लग गए हैं। इसी कड़ी में 14 अप्रैल को अंबेडकर जंयती के मौके पर वह संविधान निर्माता के जन्मस्थल महू गए। लेकिन वहां जाने से पहले मोदी जी को एक बार जरूर अपने भीतर ईमानदारी से झांकना चाहिए था। और खुद से पूछना चाहिए था कि क्या वाकई में वह अंबेडकर के विचारों को मानते हैं? इसके साथ ही उन्हें बाबा साहेब के उठाए इन सवालों का भी जवाब देना चाहिए।
1- डॉ. अंबेडकर ने कहा था कि हिंदू राज अगर कभी सच्चाई बन कर सामने आता है तो इस बात में कोई शक नहीं है कि वह देश के लिए किसी प्रलय से कम नहीं होगा। यह स्वतंत्रता, एकता और भाइचारे के लिए अभिशाप होगा। इस लिहाज से यह लोकतंत्र के लिए उचित नहीं है। हिंदू राज को किसी भी कीमत पर रोकना होगा। (पाकिस्तान या भारत का विभाजन, 1945)। क्या मोदी जी बाबा साहेब की इस राय से इत्तफाक रखते हैं ?
2-बाबा साहेब ने जाति व्यवस्था और छूआछूत को हिंदू धर्म का कोढ़ बताया था। उन्होंने इसके खात्मे की बात कही थी। और आखिर में उन्होंने हिंदू धर्म छोड़ भी दिया था। क्या मोदी जी का भी मानना है कि जाति व्यवस्था खत्म हो जानी चाहिए ?
3-जिस हिंदू कोड बिल के चलते बाबा साहेब को कैबिनेट से इस्तीफा देना पड़ा था। उसका विरोध कांग्रेसी नेताओं के साथ-साथ संघ और हिंदू महासभा ने भी किया था। आरएसएस के एक नेता ने तो इसे हिंदू समाज पर एटम बम करार दिया था। हिंदू कोड बिल पर कांग्रेसियों को घेरने से पहले क्या आपकी और आपके पितृ संगठन आरएसएस की जबावदेही नहीं बनती है?
4-बाबा साहेब ने जातिवाद और पितृसत्ता की प्रतीक मनुस्मृति को जलाने का काम किया था। वह मनुवाद और ब्राह्मणवाद को भारतीय समाज का बुनियादी दुश्मन मानते थे। जबकि मनुस्मृति आरएसएस, बीजेपी और विद्यार्थी परिषद का आदर्श है। इस पर आपकी अपनी क्या राय है और जयपुर में लगी मनु की प्रतिमा को क्या आप हटाने का आदेश देंगे ?
5- डा. अंबेडकर का बनाया संविधान इस समय सबसे ज्यादा संकट में है।
इस पर हमला करने में सांप्रदायिक-कारपोरेट और फासीवादी ताकतें सबसे आगे हैं। और यह सब कुछ आपकी सरकार के नेतृत्व और संरक्षण में हो रहा है। क्या इसे रोकने का संकल्प लेंगे ?
6-शिक्षित बनो, संगठित हो और संघर्ष करो बाबा साहेब का केंद्रीय नारा था। देश का दलित तबका और उसका छात्र समुदाय जब इसको लेकर आगे बढ़ने का काम कर रहे हैं। तब देश का पुलिस और प्रशासन उन पर लाठियां बरसाने से लेकर उनकी हत्याएं कर रहा है। क्या बाबा साहेब का यह नारा गलत है ?
7- बाबा साहेब का कहना था कि राजनीतिक लोकतंत्र की तब तक गारंटी नहीं की जा सकती है। जब तक कि सामाजिक और आर्थिक स्तर पर इसको सुनिश्चित नहीं किया जा सके। ऐसे में क्या जातिवादी व्यवस्था का पोषण कर और कारपोरेट घरानों की जेब भरने की नीति से इसे हासिल किया जा सकता है ?
8- डॉ. अंबेडकर ने एक वोट एक मूल्य के सिद्धांत की बात कही थी। लेकिन साथ ही उनका मानना था कि बगैर सामाजिक-आर्थिक बराबरी के यह संभव नहीं है। ऐसे में क्या आपको नहीं लगता कि आपकी दिशा बिल्कुल बाबा साहेब की उलट है?
9- बाबा साहेब ने जाति को राष्ट्रविरोधी करार दिया था।
क्योंकि उनका कहना था कि यह समाज को बांटने का काम करती है। साथ ही उनका कहना था कि हजारों जातियों में बंटा देश कैसे एक राष्ट्र हो सकता है। क्या आप उनकी इस बात को मानते हैं ?
10- डॉ. अंबेडकर ने वेदों, शास्त्रों, श्रुतियों और स्मृतियों को डायनामाइट से उड़ाने की बात कही थी।
क्योंकि उनका कहना था कि बगैर इसके भारतीय समाज में लोकतंत्र और तर्क पद्धति की स्थापना नहीं की जा सकती है। क्या आप भी उनके इस विचार से इत्तफाक रखते हैं ?
11- बाबा साहेब ने सामाजिक नैतिकता और संवैधानिक नैतिकता में अंतर बताया था। और शासन व्यवस्था के लिए संवैधानिक नैतिकता पर जोर देने की बात कही थी। क्या आप को नहीं लगता कि आप संवैधानिक नैतिकता की धज्जियां उड़ा रहे हैं ?
12- आस्था और अंधविश्वास की जगह डॉ. अंबेडकर ने तर्क, तथ्य और विज्ञान के प्रति प्रतिबद्धता जाहिर की थी। यही बात उन्हें बौद्ध धर्म की तरफ ले गई। लेकिन आप तो पूरे देश को आस्था और अंधविश्वास के कुएं में धकेल देना चाहते हैं।
इसके अलावा बाबा साहेब की उन 22 प्रतीज्ञाओं के बारे में आपकी क्या राय है जिनकी उन्होंने हिंदू धर्म छोड़कर बौद्ध धर्म अपनाने के समय अपने अनुयायियों को शपथ दिलाई थी।
बाबा साहेब के विचारों के सिलसिले में ये कुछ बुनियादी कसौटियां हैं। आप अपने को इनके कितना पास और कितना दूर समझते हैं। अगर उनकी 50 फीसदी बातों से भी आप सहमत नहीं हैं तो इसका मतलब है कि आप बाबा साहेब के विचारों को फैलाने नहीं बल्कि उन्हें दफनाने जा रहे हैं। ऐसे में कम से कम आपको महू जाने का कोई हक नहीं बनता है।
और आखिरी बात।
अच्छा है आप बाबा साहेब को गले के नीचे नहीं उतार रहे हैं। आप उन्हें पचा भी नहीं पाइएगा। वो संघियों का पेट फाड़ कर बाहर आ जाएंगे।


