नई दिल्ली (हस्तक्षेप ब्यूरो) भारतीय जनता पार्टी के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की कानपुर रैली कुछ ज्यादा चर्चा में न रह पायी। कहा जा रहा है कि शोभन सरकार मोदी पर भारी पड़े। समझा यह भी जाता है कि जिस तरह से दिल्ली रैली की वेब पोर्टल्स ने खबर ली थी और उसके दबाव में ही कुछ बड़ी पूँजी वाले मीडिया घरानों को अपनी तस्वीरें भी हटानी पड़ी थीं उसके चलते भी कानपुर रैली को लेकर पहले जैसा ऊधम नहीं मचा। उधर बुद्धू बक्से पर भी शोभन सरकार और 1000 टन सोना मोदी पर भारी रहा।

सोशल मीडिया पर भी लोगों ने खूब चुटकी ली।

आइए देखते हैं फेसबुक पर कुछ टिप्पणियाँ-

सही कह गये मोदी कानपुर में कि बच्चों को सुकून की नींद गुजरात में आती है। इस मामले में नरेन्द्र मोदी को अनुभव है कितने ही बच्चों को माँ के पेट से निकाल कर मारा गया है, कितने बच्चों को मौत की नींद आई होगी। 2002 में और फर्जी एनकाउंटर में कितने माँ के बच्चे गुजरात में मौत की नींद सो गये होंगे। सच्ची बात निकल ही गयी मोदी के मुँह से.....
- इमरान इदरीस
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मने गजबे चमन हैं आप लोग? अब श्री फेकू मोदी जी, क्षमा करें, नरेन्द्र मोदी जी उत्तराखंड आपदा के बाद एक दिन में उतने लोग बचा सकते हैं जितने भारतीय सेना 2 हफ्ते में नहीं बचा पाई थी तो वह 6000 करोड़, मने उतनी नौकरियाँ भी पैदा कर ही सकते हैं जितनी करने में गुजरात की आबादी को 100 जन्म लेना पड़ जाय।

बोलिए मोदी बाबा की जय जैसे संघी पत्रकार शाम सहर बोलते ही रहते हैं।
- समर अनार्य

- बीजेपी तो साधु संतों के कहने से ही चलाने वाली पार्टी है और साधु संतों के बहुत सम्मान के लिए भी जानी जाती है लेकिन नरेन्द्र मोदी को क्यों अब उस बाबा की बातें अंधविश्वास लग रही हैं पूरे दावे के साथ कहता हूँ मोदी और पूरी की पूरी बीजेपी को इस बात का डर है की जिन फर्जी न्यूज़ चैनलों पर उनका पुराण सुबह से शाम तक चलता रहता था उस पर अब उस बाबा या साधु का नाटक चल रहा है

- आप मानो या न मानो !!!
अज़हर खान

गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी भले ही राज्य में हुए विकास और लोगों की खुशहाली का डंका पीटते थकते न हों, लेकिन उनके ही राज्य की एक सचाई यह भी है कि यहां अपनी गरीबी दूर करने और एक बेहतर जिंदगी के लिए महिलाएं अपनी कोख किराए पर दे रही हैं। दिलचस्प बात यह है कि ऐसी कई मांएं हैं, जिन्होंने अपनी बेटियों को सरॉगसी के इस धंधे में आने के लिए प्रेरित किया है।
- जगदीश्वर चतुर्वेदी