कल्कि अवतार की लीला में सनी लिओन मैन फोर्स जलवे की दिलफरेब मंकी बातें
बिजनेस फ्रेंडली बेलगाम अश्वमेधी घोड़ों, मुक्ताबाजारी बेलगाम सांढ़ो और घोड़ों की अंधी दौड़, मिलियनर बिलियनर तबके के थ्री एक्स फाइव एक्स नंगा कार्निवाल, विधर्मियों के धर्मस्थलों पर रोज हमले, रोज अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न, गिरजाघरों में आगजनी रोज रोज और गरीबनवाज की दरगाह पर खून की नदियां चादर में समेटकर भेंट करने का गणतंत्र भी समझ लीजिये।
लोकतंत्र केफरेब कोसमझें दोस्तों। अर्थव्यवस्था को मुकम्मल मुनाफा वसूली बनाने के चिटफंड घोटाले को समझें कि समझें बाजार में सांढ़ों और भालुओं के जरिये सेबी का कारपोरेट, विदेशी निवेशकों की जेबें भरने का खेल। तीस हजार के पचम लहराने के बाद अब बाजार में बिकवाली का दौर जारी है। सेंसेक्स और निफ्टी में 0.5 फीसदी से ज्यादा की गिरावट दर्ज की गई है। सेंसेक्स 27600 के नीचे फिसल गया है, तो निफ्टी 8350 के नीचे आ गया है।
समझें गजेंद्र का अंतिम संस्कार, मौत पर जमकर बवाल।
समझें डर्टी पिक्चर का असली जलवा इस पीपीली लाइव चौबीसों घंटे का।
बजट में अनुसूचितों का बजट काटा गया है। बजट में किसानों के लिए कुछ नहीं है। बजट में स्वास्थ्य पर सरकारी खर्च का खुछ भी इंतजाम नहीं है। तेल कीमतें गिरी हैं और सब्सिडी नकद कैश के तिलिस्म में खतम। बजट में शिक्षा के लिए कुछ नहीं है।
बजट में कारपोरेट टैक्स में पांच फीसदी छूट। हमारी सब्सिडी खतम। कोरपोरेट को टैक्स होलीडे हरसंभव। बिल्डरों की बल्ले बल्ले।
बजट में विदेशी पूंजी का खुल्ला खेल फर्रुखाबादी। निवेशकों को सोने की चिड़िया के आखेट की छूट। जनकल्याण की सारी योजनाएं बंद। कारपोरेट परियोजनाओं को एक मुश्त हरीझंडी से किसानों की देश व्यापी बेदखली और उनकी थोक आत्महत्याओं का इंतजाम।
जमीन छीनने के लिए तमाम कानूनों का काम तमाम रोजगार छीनने के लिए रोज रोज अंबेडकर की हत्या और उनके लिए भव्य राममंदिर।
और अब दिल्ली में प्रोजक्टेड किसान खुदकशी से चौतरफा घेरे बंदी में कल्कि अवतार की लीला समझिये। देश में किसानों की आत्महत्या की बढ़ती घटनाओं को देखते हुए सरकारी एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। रिजर्व बैंक ने छोटे किसानों को ज्यादा कर्ज दिलाने के लिए मौजूदा नियमों मे बदलाव करने की घोषणा की है। छोटे व सीमांत किसानों को बैंकों से अब ज्यादा कर्ज मिलेगा। बैंकों की तरफ से दिए जाने वाले कुल कर्ज का आठ फीसद अब छोटे किसानों को देना होगा। इसके लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों को दिए जाने वाले कर्ज की नीति में बदलाव किया गया है। रिजर्व बैंक ने एक समिति की सिफारिशों को ध्यान में रखते हुए यह सकदम उठाया है।
फिर भी समझाना होगा कि मेहनतकश तबके को क्यों मनाना चाहिए मई दिवस?
अपढ़ ना समझें तो उनका दोष नाहीं गुसाई, लेकिन अंबेडकर महिमा से जो लोग खूबै पढ़े लिखै मालदार मलाईदार समझदार जानकार हैं, वे न समझें तो किस किसको समझायें हम?
समझें कि वित्त मंत्री अरूण जेटली ने आज कहा कि राजकोषीय घाटे को कम करके वर्ष 2017-18 तक जीडीपी के 3 प्रतिशत लाने का लक्ष्य एक बड़ी चुनौती है लेकिन इसे हासिल करने के क्रम में सरकार सार्वजनिक क्षेत्र के आधारभूत ढांचे और सिंचाई परियोजनाओं को आगे बढ़ाने से समझौता नहीं करेगी।
समझें कि राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अगले कुछ माह में पूरे देश में 120 कामधेनु नगरों का निर्माण करना चाहता है। संघ का कहना है कि इससे हिंदू परंपरा में शुभ माने जाने वाले पशुओं कों सम्मानित किया जायेगा और उनके साथ जनता के रिश्ते में मजबूती आयेंगी। संघ ने आशा जाताई है कि इससे क्राइम में कमी आएगी और अपराधियों को सबक सिखाया जा सके। कामधेनु नगर दरअसल गोशालाएं होंगी, जिन्हें रेजिडेंशल कॉलोनियों के नजदीक बनाया जाएगा।
फिर समझ लें कि निशाने पर कौन हैं, कौन नहीं है और अंबेडकरी विचार क्या हैं, अंबेडकरी जाति उन्मूलन का एजेंडा क्या है, अंबेडकरी आंदोलन क्या है और हिंदू साम्राज्यवादी एजंडे में अंबेडकर को विष्णु अवतार बनाने का आशय क्या है।
समझें संदीय सहमति का मिलियनर बिलियनर खेल, पुणे करार का स्थाई बंदोबस्त कि केंद्र सरकार की ओर से गुड्स एंड सर्विसेज टैक्स बिल को आज लोकसभा में पेश किया, जिसे लेकर पूरे विपक्ष ने वॉक आउट किया। सरकार की ओर से वित्तमंत्री अरुण जेटली ने इसे लोकसभा के पटल पर रखा। बिल को पास कराने के लिए सरकार को लोकसभा में दो तिहाई बहुमत की जरूरत है।
यह प्रहसन दरअसल मोदी के पीपीपी विकास का सामाजिक यथार्थ है जहां हमाम में नंग तमाम लोग परदे के सामने अपनी अपनी भूमिका ईमानदारी से निभाकर लोकतंत्र को लूटतंत्र बनाये हुए है और हम तमाशबीन भारतीय देशभक्त नागरिक इस राज्यतंत्र को बनाये रखने के अंध धर्मोन्मादी राष्ट्रवाद में नख से शिख तक निष्णात हैं।
बिजनेस फ्रेंडली राजकाज का धतकरम रेटिंग एजंसियों और ओबामा के अलावा कारोबारी जगतभी समझ नहीं रहा। आप समझ सकें तो बलिहारी आपकीतो फेर समझ लिज्योः
कल्कि अवतार की लीला में सनी लिओन मैन फोर्स जलवे की दिलफरेब मंकी बातें।
मोदी बड़का अंबेडकरी और सारे काम अंबेडकर का काम तमाम करने के।
शत प्रतिशत हिंदुत्व के साथ बाबरी विध्वंस की राजनीति का वसंत बहार, 20121 तक हिंदूराष्ट्र विधर्मी मुक्त गैरनस्ली आबादी मुक्त का एजंडा, लालकिले और ताजमहल से लेकर मोहंजोदोड़ो और हड़प्पा की विरासत और इतिहास भूगोल का दावा और सोने की चिड़िया बेचो, देश तोड़ो का गोर्बाचेवी हिंदुत्व ब्रिगेड अबाध पूंजी की तरह रेडियोएक्टिव।
बिजनेस फ्रेंडली बेलगाम अश्वमेधी घोडो, मुक्ताबाजारी बेलगाम सांढ़ो और घोड़ों की अंधी दौड़, मिलियनर बिलियनर तबके के थ्री एक्स फाइव एक्स नंगा कार्निवाल, विधर्मियों के धर्मस्थलों पर रोज हमले, रोज अल्पसंख्यकों का उत्पीड़न, गिरजाघरों में आगजनी रोज रोज और गरीबनवाज की दरगाह पर खून की नदियां चादर में समेटकर भेंट करने का गणतंत्र भी समझ लीजिये।
रिजर्व बैंक खत्म, खत्म लोकतंत्र, खत्म कानून का राज, सेबी का पोंजी कार्यक्रम में तबाह कृषि, कारोबार, उद्योग, आजीविका , रोजगार, जल जमीन जंगल, प्रकृति और पर्यावरण।
भारत महाभारत में कुरुक्षेत्र का नजारा पीपीपी बुलेट विकास।
अंबेडकर के संविधान की रोज रोज हत्या कर रहे सारे श्रम कानून खत्म कर चुके संपूर्ण निजीकरण, संपूर्ण विनिवेश, संपूर्ण विनियमन, संपूर्ण विनियंत्रण, संपूर्ण पीपीपी गुजरात माडल, संपूर्ण अमेरिकी इजरायली उपनिवेश, उग्र राष्ट्रवाद का सलवा जुड़ुम, आफसा और बायोमैट्रिक आधार के ड्रोन अंब्रेला में जो गैस चंबर है आदिगंत, वहां भव्य अंबेडकरी राममंदिर का आशय भी समझ लीजिये।
अपने कल्कि अवतार की लीला शत प्रतिशत हिंदुत्व का एजेंडा जितना है, उतना वह दिलफरेब लोक लुभावन शत प्रतिशत सनी लिओने मैन फोर्स जलवा खुल्ला खेल फर्रुखाबादी है।
समझे या न समझे, मजा खूब आ रहा है और संसद में मंकी बातें संसदीय है या नहीं, इस पर बहसें जारी हैं तो किसान की खुदकशी के तमाशे पर घड़ियाली आंसू में सातों समुंदर में सुनामी है और भूमि अधिग्रहण पर अडिग प्रधानमंत्री का बयान है कि किसान की जान से बड़ी कोई चीज नहीं होती।
वाह कथनी। वाह करनी।
वाह वाह वाह मंकी बातें और वाह सनी लिओने की छप्परफाड़ लोकप्रियता।
वाह कल्कि अवतार की सेनसेक्सी लीला अपरंपार।
वरिष्ठ चिंतक व सामाजिक कार्यकर्ता सुभाष गाताडे की पुस्तक “हेडगेवार-गोलवलकर बनाम अम्बेडकर” क्रमवार हम अपने पाठकों के लिए प्रकाशित कर रहे हैं। हर रोज़ एक कड़ी इस पुस्तक की आपके सामने होगी। इस पुस्तक में सुभाष गाताडे जी ने उदाहरणों के साथ बताया है कि किस तरह संघ परिवार डॉ. अंबेडकर के विरुद्ध घृणा अभियान चला रहा है। … इस श्रंखला का हर लेख पढ़ें और अधिक से अधिक मित्रों के साथ शेयर भी करें।
जाति व्यवस्था, वर्ण वर्चस्व और नस्ली भेदभाव जस का तस रखकर समता और सामाजिक न्याय के बाबासाहेब के लक्ष्य को ब्राह्मणवादी हिंदू साम्राज्यवाद के एजंडे में शामिल करने का अभियान चलाये हुए है और सामाजिक समरसता की बातें बढ़ चढ़कर करने के बावजूद जीवन के किसी भी क्षेत्र में गैर नस्ली गैरब्राह्मणों को जनसंख्या के अनुपात में भागेदारी देने के बदले, बाबासाहेब के मतानुसार संसाधनों के बंटवारे के बदले बाबासाहेब के दिये संवैधानिक रक्षाकवच, पांचवी और छठीं अनुसूचियों के साथ साथ भारतीय संविधान के प्रतिकूल आर्थिक सुधारों और विकास के नाम पर एक के बाद एक आर्थिक सुधार के तहत आरक्षण के जरिये जो थोड़ा बहुत प्रतिनिधित्व बहुजनों को मिला है, उसे सिरे से खत्म करने पर क्यों तुले हैं मोदी और संघ परिवार।
बाबासाहेब ने तो भूमि सुधार पर जोर दिया था। प्राकृतिक संसाधनों के राष्ट्रीयकरण पर जोर दिया था।
तो प्राकतिक संसाधनों से संपन्न सोने की चिड़िया भारत को विदेशी पूंजी के हवाले क्यों कर रहे हैं मोदी और उनकी सरकार?
भूमि सुधार के बदले भूमि अधिग्रहण पर इतना जोर क्यों है?
बाबासाहेब को मानने वाले मोदी और संघ परिवार बिलियनर मिलियनर सत्ता वर्ग के एक प्रतिशत से कम लोगों के मुनाफे और वर्चस्व के लिए कृषि आजीविका वाले बहुसंख्य भारतीय समेत सवर्ण असवर्ण हिंदू गैरहिंदू नब्वे फीसद जनता की आजीविका और रोजगार क्यों छीन रहे हैं?
क्यों एफडीआई राज है?
क्यों निरंतर बेदखली अभियान है देश के चप्पे चप्पे में और क्यों बिल्डर माफिया प्रोमोटरों के कब्जे में है देश के सारे संसाधन , जिस बिजनेस फ्रेंडली राजकाज कहा जा रहा है?
क्यों विदेशी निवेशकों के हितों के मुताबिक भारत की समूची उत्पादन प्रणाली तहस नहस करे भारतीय अर्थव्यवस्था को शेयर बाजार तक सीमाबद्ध करके पीएफ पेंशन और बीमा तक बाजार में झोंका जा रहा है?
रिजर्व बैंक के आपिसियल साइट पर रिजर्व बैंक के गठन में बाबासाहेब की भूमिका को मान्यता दी गयी है।
बाबासाहेब के शोध प्राब्लम आफ रुपी में गोल्ड स्टैंडर्ड अपनाये जाने की दलील पर रायल कमीशन ने उनकी सुनवाई के बाद भारतीय मुद्रा बंदोबस्त के लिए रिजर्व बैंक आफ इंडिया का गठन किया जिसकी कोख से निकली बैकिंग प्रणाली।
सरकारी क्षेत्रों के बैंकों में बहुजनों को सबसे ज्यादा अनुपात में नौकरियां मिलती हैं, अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो रिजर्व बैंक के सभा 27 विभागों में निजी कंपनियों के निदेशक तैनात करके रिजर्व बैंक के अधिकार सेबी को सौंपकर कारपोेरेट घरानों के फायदे के लिए सारी खिड़कियां खोलकर सार्वजनिक क्षेत्रों के बैंकों को होल्डिंग कंपनियां बनाने की तैयारी क्यों है?
हमने उनसे निवेदन किया कि अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो क्यों बाकी सेक्टरों में भी विनिवेश की तैयारी है?
हमने उनसे निवेदन किया कि अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो क्यों भारतीय रेलवे का निजीकरण हो रहा है और रक्षा उत्पादन से लेकर विनिर्माण, विमानन, हवाई अड्डे, तमाम खानें कोयला और इस्पात समेत.संचार और बंदरगाह, और अर्थव्यवस्ता का आधारभूत ढांचा निजी कंपनियों को सौंपे जा रहे हैं?
अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो भरतीय संविधान की पांचवीं और छठीं अनुसूचियों का खुल्ला उल्लंघन करके सारे कायदे कानून बदलकर आदिवासियों को जल जंगल जमीन आजीविका पर्यावरण नागरिक और मानवाधिकारों से वंचित करने का अश्वमेध सलवा जुड़ुम क्यों जारी है?
अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो संविधान के नीति निर्देशक सिद्धांतों और मौलिक अधिकारों का खुल्लमखुल्ला उल्लंघन करते हुए तमाम लोकतांत्रिक संस्थान खत्म क्यों किये जा रहे हैं?
अगर मोदी और संघ परिवार बाबासाहेब के इतने बड़े अनुयायी हैं तो नागरिकता को बायोमेट्रिक डिजिटल रोबोटिक बनाकर आम नागरिकों की गोपनीयता और संप्रभुता के साथ साथ उनकी जान माल को विदेशी निगरानी के तहत क्यों किया जा रहा है?
क्यों सारी जरुरतों और शिक्षा चिकित्सा उर्जा परिवहन समेत तमाम जरुरी सेवाओं को बाजार के हवाले करके लोक गणराज्य की हत्या की जा रही है?
पलाश विश्वास