मोदी-योगी शासन में अपराधी महान हैं : गोरखपुर विश्वविद्यालय के आईने में देखो
देश | राजनीति | राज्यों से | समाचार Vice Chancellor-Registrar attacked in Gorakhpur University गुंडों से पिटती सरकार देखनी हो तो मोदी-योगी सरकार को देखो। गोरखपुर को देखो। यह वह गोरखपुर है जो मुख्यमंत्री का घर है। वहां पर गुंडे सरेआम कानून भंजन कर रहे हैं।

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गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुलपति-कुलसचिव पर हमला
नई दिल्ली, 23 जुलाई 2023. अमर उजाला की एक खबर के मुताबिक उत्तर प्रदेश में गोरखपुर विश्वविद्यालय के विभिन्न पाठ्यक्रमों में हुई फीस वृद्धि व छात्रों के निलंबन को वापस लेने की मांग को लेकर आरएसएस-भाजपा समर्थित अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (एबीवीपी) के कार्यकर्ता शुक्रवार को कुलपति कार्यालय पर धरना-प्रदर्शन कर रहे थे। खबर के मुताबिक कुलपति के बिना बात किए जाने पर एबीवीपी कार्यकर्ता भड़क उठे। उन्होंने कुलपति को रोकने का प्रयास किया लेकिन पुलिस ने उन्हें रोक दिया, जिस पर कार्यकर्ता उग्र हो गए।
खबर के मुताबिक कुलपति से हाथापाई के साथ ही कुलसचिव को पीट दिया गया और बचाव में पहुंची पुलिस से भी हाथापाई की गई।
इस खबर पर प्रतिक्रिया करते हुए कोलकाता विश्वविद्यालय के अवकाश प्राप्त प्रोफेसर और जवाहर लाल नेहरू विश्व विद्यालय दिल्ली के पूर्व छात्र संघ अध्यक्ष प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी ने अपनी एफबी टाइमलाइन पर कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है।
प्रोफेसर जगदीश्वर चतुर्वेदी की गोरखपुर विश्वविद्यालय में कुलपति व कुलसचिव पर हमले पर प्रतिक्रिया निम्नवत् है
"गोरखपुर विश्वविद्यालय के आईने में मोदी-योगी-आरएसएस को देखो
गोऱखपुर विश्वविद्यालय में छात्रों के खिलाफ किस तरह यूपी सरकार काम कर रही है, इस चीज को गंभीरता से समझें। विश्वविद्यालय प्रशासन ने 400 फीसदी तक फीस वृद्धि की है। गरीब प्रांत में यह सब हो रहा है शिक्षा से आम छात्रों को वंचित करने के लिए।
जेएनयू में भी बेशुमार फीस वृद्धि हुई थी, उस पर छात्रों ने शांतिपूर्ण आंदोलन किया। मोटे जुर्माने भरे पर हिंसा नहीं की। यूपी में अन्य विश्वविद्यालयों में भी कमोबेश यही दशा है, बेशुमार फीस वृद्धि करके छात्रों को शिक्षा से वंचित किया जा रहा है।
जिन छात्रों ने फीस वृद्धि और दूसरी मांगों के लिए आंदोलन किया, वह जायज है। पर हिंसा गलत है। शांति पूर्ण आंदोलन लोकतंत्र की ताकत है। हिंसा गुंडों की ताकत है।
देश को गुंडों की नहीं शांतिप्रिय आंदोलन की जरूरत है। जन पक्षधर नीतियों की जरूरत है।
मजेदार बात यह है जिन्होंने फीस वृद्धि की, उनके ही लठैतों ने वीसी -रजिस्ट्रार के साथ गलत व्यवहार भी किया। शासक और हिंसक एक ही दल के हैं। यह चीज पहचानने की कोशिश करो। ये दोनों चीजें आरएसएस-भाजपा से आई हैं।
जेएनयू में कन्हैया कुमार और उनके चार साथियों ने कोई अपराध नहीं किया था। देश विरोधी नारे प्रायोजित ढ़ंग से सत्ताधारियों ने एक बड़े षडयंत्र के जरिए लगवाए। जिन्होंने नारे लगाए वे आज तक नहीं पकड़े गए।
कन्हैया कुमार आदि ने वीसी-रजिस्ट्रार आदि को न गाली दी, न मारा, न पीटा। इसके वाबजूद नरेन्द्र मोदी ने उन सब पर राष्ट्रद्रोह तक के संगीन मुकदमे ठोक दिए गिरफ्तारियां की गईं। सैंकड़ों शिक्षकों को विभिन्न तरीकों से अपमानित किया, मुकदमे किए गए।
दूसरी ओर गोरखपुर विश्वविद्यालय के वीसी-रजिस्ट्रार के साथ मारपीट की गई है। सरेआम अपमानित किया गया। पर, न तो वीसी ने अपराधियों के खिलाफ एक्शन लिया, न पुलिस ने संगीन केस किए, न गिरफ्तार किया। न इन दोषियों के घर पर बुलडोजर पहुँचा। इसे कहते अपराधियों को संरक्षण देना।
मोदी-योगी शासन में अपराधी महान हैं। साहस है तो वीसी-रजिस्ट्रार पर हमला करने वालों को पुलिस सीधे गिरफ्तार करे और बंद करे। जमानत न मिलने दे। क्या मुद्दा था यह महत्वपूर्ण नहीं है। कानून सरेआम तोड़ा है, योगी सरकार तुरंत एक्शन ले।
गोरखपुर विश्वविद्यालय की घटना इस बात का आदर्श प्रमाण है कि विश्वविद्यालय परिसर अब कानून भंजकों को सौंप दिए गए हैं। कानूनभंजक शिक्षा के नए ठेकेदार हैं। यह है नौ साल में मोदी सरकार की महान उपलब्धि। यह मोदी-योगी सरकार की शिक्षा नीति का आदर्श नमूना है।
आप लोग अब भी नहीं जागे तो यह तय है आपके शहर, विश्वविद्यालय, गली-मुहल्ले गुंडों के हवाले होंगे। यूपी में कानूनभंजक खुलेआम घूम रहे हैं। योगी-मोदी की ठोकू सरकार को वे सरेआम ठोक रहे हैं। गुंडों से पिटती सरकार देखनी हो तो मोदी-योगी सरकार को देखो। गोरखपुर को देखो। यह वह गोरखपुर है जो मुख्यमंत्री का घर है। वहां पर गुंडे सरेआम कानून भंजन कर रहे हैं।"
Vice Chancellor-Registrar attacked in Gorakhpur University


