Farmer suicide is also a slap on the cheek of Modi government - CPI(M)

रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कोरबा जिले के बुन्देली गांव निवासी जोगेश्वर कँवर की आत्महत्या पर तीखी प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कहा है कि रमन-मोदी की भाजपाई सरकारों की नीतियों का यह अनिवार्य परिणाम है. इस आत्महत्या ने हाल ही में विधान सभा में सरकार के इस दावे की पोल खोल दी है कि उसके "सुराज' में प्रदेश के किसान खुशहाल हैं और कोई भी किसान आर्थिक संकट के कारण आत्महत्या नहीं कर रहा है.

माकपा ने कहा है कि यह आत्महत्या मोदी सरकार के गाल पर भी करारा तमाचा है, जिसने संसद में बयान दिया है कि देश के किसान प्रेम प्रसंगों या नपुंसकता के कारण आत्महत्या कर रहे हैं.

आज यहां जारी एक वक्तव्य में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि जोगेश्वर ने क़र्ज़ में फंसे होने और फसल बर्बादी का पर्याप्त मुआवजा न मिलने के कारण आत्महत्या की है. इस आत्महत्या ने प्रदेश में व्याप्त 'कृषि संकट' की गहराई को और तीखेपन से उजागर कर दिया है.

उन्होंने कहा कि गांवों में किसानों के पास न मनरेगा का काम है, न सस्ते अनाज तक पहुंच और न ही उन्हें फसल बीमा सुरक्षा की छतरी ही नसीब है. कृषि क्षेत्र में सार्वजनिक निवेश को बढाने के बजाये यह सरकार 'ठेका कृषि' के जरिये इसे देशी-विदेशी पूंजीपतियों को ही सौंपना चाहती है. इससे प्रदेश के किसान और बर्बाद होंगे तथा आत्महत्या के लिए बाध्य होंगे.

पराते ने जानकारी दी है कि रमन-मोदी सरकार की आदिवासीविरोधी-किसानविरोधी नीतियों के खिलाफ अगस्त माह में छत्तीसगढ़ सहित पूरे देश में माकपा द्वारा अभियान चलाया जायेगा और किसानों को संगठित किया जायेगा. इस दिशा में अखिल भारतीय किसान सभा द्वारा 10-11 अगस्त को दिल्ली में एक विशाल धरना का आयोजन किया जा रहा है, जिसमे आत्महत्या करने वाले किसानों के परिवार भी बड़ी संख्या में हिस्सा लेंगे.

माकपा ने पीड़ित परिवार को 10 लाख रूपये मुआवजा देने तथा फसल बर्बादी के मुआवजा प्रकरण में दोषी अधिकारियों के खिलाफ हत्या का मुकदमा दर्ज करने की मांग की है.