मौलाना आज़ाद के पद चिन्हों पर चल कर देशी अंग्रेजों को भगाया जा सकता है- सुमन

Maulana Abul Kalam Azad was the forerunner of Hindu-Muslim unity

बाराबंकी। हस्तक्षेप.कॉम के सह संपादक और वरिष्ठ अधिवक्ता रणधीर सिंह सुमन ने कहा है कि भारत के स्वतंत्रता संग्राम में मौलाना अबुल कलाम आजाद की कुर्बानियों ने देश को आजाद कराने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई, उनके पद चिन्हों पर चल कर देशी अंग्रेजों को भगाया जा सकता है।

रणधीर सिंह सुमन “आवाज फाउडेशन बाराबंकी” की ओर से आयोजित देश के प्रथम शिक्षा मंत्री एवम् महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी भारत रत्न मौलाना अबुल कलाम आजाद के जन्म दिवस के अवसर पर देसीआन बैंकेट हाल में आयोजित संगोष्ठी में अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।

उन्होंने मौलाना आज़ाद को हिन्दू-मुस्लिम एकता का अग्रदूत बताया।

मुख्य अतिथि के तौर पर आज़ाद जन्म दिवस समारोह को सम्बोधित करते हुए सेवानिवृत्त आईपीएस मंजूर अहमद ने मौलाना आजाद के बतौर प्रथम शिक्षा मंत्री किए गए महत्वपूर्ण कामों पर रोशनी डाली तथा शिक्षा हासिल करने पर जोर देने दिया।

जवाहर लाल नेहरू महाविद्यालय के प्रवक्ता डॉ. राजेश मल्ल ने कहा कि मौलाना आजाद जैसे खुले जहन नेताओं की इस समय भारत को बहुत जरूरत है।

आज मुस्लिम लीडर तो बहुत हैं मुसलमानों का कोई लीडर नहीं....

जलसे का संचालन पूर्व सदस्य जिला पंचायत मो. मोहसिन ने किया।

उक्त कार्यक्रम में मुख्य रूप से इरफान कुरैशी, फरहान वारसी, दानिश खान, जियउर्रहमान नफीस मियाँ, मो. अकरम, अमरनाथ मिश्रा, कमल भल्ला, संजीव मिश्रा, जलील यार खाँ, उमेर किदवाई, हुमाँयु नईम खाँ, डॉ. अहमद जावेद, सरदार चरनजीत सिंह, विशाल सिंह, फजल इनाम मदनी, चौ. तालिब नजीब, तारिक, जीलानी आदि शहर के सैकड़ों सम्मानित लोग उपस्थित रहे।

जलसे की सदारत शाह अनवर जमाल किदवई ने की।

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