मुज़फ्फर नगर में हुए दंगों के बाद मुझे कॉलेजों और यूनिवर्सिटियों में विद्यार्थियों के सामने बोलने के लिए बुलाया जाता था।

मुझ से पूछा जाता था कि आप हमें यह समझाइये कि इन दंगों का उद्देश्य क्या है ? मैं अपनी समझ से कहता था कि असल में भारत की राजनीति को वो लोग चला रहे हैं जो भारत के गरीबों की दौलत पर लगातार कब्ज़ा करके रोज़ अपनी दौलत को बढ़ा रहे हैं।

इन अमीरों द्वारा भारत के गरीबों की ज़मीनों पर कब्ज़े के लिए भारत की सत्ता पर कब्ज़ा करना ज़रूरी है। गरीबों के विरोध को दबाने के लिए देश में मुसलामानों, नक्सलवादियों का हव्वा खड़ा करना ज़रूरी है ताकि वोट भी मिल जाएँ और जब सरकार अमीरों के लिए गरीबों को मारे तो पब्लिक डर कर चुप रहे।

इसलिए ये अमीर मिल कर भारत में मुसलमानों का हव्वा खड़ा कर रहे हैं ताकि हिंदुओं को डरा कर उन्हें एक छतरी के नीचे लाया जा सके। ताकि हिंदू एक पार्टी को वोट दें। और भारत की सत्ता पर कब्ज़ा कर के भारत के अर्ध सैनिकों की मदद से ये अमीर भारत की खदानों, जंगलों, नदियों समुन्दर के तटों पर कब्ज़ा कर सकें और मुनाफा कमा कर अपना अय्याश जीवन व्यतीत करें।

भाजपा और संघ घोषित रूप से तानाशाह और फासीवादी संगठन हैं। और इस तरह के संगठन अपनी तानाशाही को बरकरार रखने के लिए हिंसक तरीके अपनाते हैं। हिंसा का इस्तेमाल करने के लिए ये संगठन किसी ना किसी को अपना दुश्मन घोषित करते हैं जैसे जर्मनी में हिटलर ने यहूदियों का हव्वा खड़ा किया था।

ठीक उसी तरह संघ और भाजपा भारत में मुसलमानों का हव्वा खड़ा कर रही है। लेकिन इन लोगों का मूल मकसद हिंदुओं का भला करना नहीं है। बल्कि यह लोग सत्ता पर कब्ज़ा करना चाहते हैं और सत्ता पर कब्ज़ा करते ही ये संघ और भाजपा भारत के खदानों,जंगलों, नदियों समुन्दर के तटों पर कब्ज़े की गतिविधि शुरू कर देंगे। यही दंगों के पीछे संघ और भाजपा का षड्यंत्र है।

उस वख्त मेरे कई साथी मेरा मज़ाक उड़ाते थे। मेरे इस विश्लेषण को सुन कर कहते थे कि हिमांशु तो बस्तर से आया है इसलिए इसे हर बात में संसाधनों पर कब्ज़े का भूत दिखाई देता है ये तो हर बात में संसाधनों की बात ले आता है।

लेकिन आज मैं सही साबित हो रहा हूँ। मोदी सरकार ने जो सबसे पहला खुलेआम बदमाशी का काम किया है वो है भारत के गरीबों की ज़मीनों पर कब्ज़े को हरी झंडी देना।

भारत का संविधान कहता है कि आदिवासियों की ज़मीन लेने से पहले सरकार को आदिवासियों की ग्राम सभा से अनुमति लेनी पड़ेगी।

सबसे पहले मोदी ने आदिवासियों की ज़मीनों पर कब्ज़ा करने के लिए रास्ता साफ़ किया। भारत सरकार ने आदेश निकाला कि अब से आदिवासियों की ज़मीनों पर कब्ज़ा करने के लिए आदिवासियों की ग्राम सभा की अनुमति की ज़रूरत नहीं होगी।

यह संविधान पर हमला था। कोई कुछ नहीं बोला सब को लगा मोदी तो हमारे धर्म का रक्षक है इसका विरोध क्यों करें ?

भारत का कानून कहता है कि हवा पानी सभी नागरिकों का है। इसे गन्दा करने का अधिकार किसी को नहीं है।

लेकिन मोदी सरकार ने आदेश निकाल दिया कि अब से उद्योग के लिए पर्यावरण विभाग की अनुमति की ज़रूरत नहीं है।

यानी अमीर उद्योगपति चाहे आपकी हवा, पानी, ज़मीन सबको बर्बाद कर सकते हैं। वो मुनाफा कमाएँ आप कैंसर और अस्थमा से मर जाइए।

लेकिन कोई कुछ नहीं बोला क्योंकि मोदी जी बहुसंख्य भारत के धर्म रक्षक हैं।

अब भारत सरकार भूमि अधिग्रहण कानून लेकर आयी है।

अब किसी अनुमति, किसी सहमति, किसी रुकावट का कोई सवाल ही नहीं बचा।

अब भारत के गरीब को बचाने वाला कोई नहीं बचा।

याद रखिये अमीर अपनी मेहनत से अमीर नहीं बनते।

अमीर दूसरे के संसाधनों और दूसरों की मेहनत के दम पर ही अमीर बनते हैं।

सरकार की मदद के बिना कोई अमीर नहीं बन सकता।

मोदी को अमीरों ने बड़ी रकम का चंदा दिया ताकि वो चुनाव जीत सके।

मोदी जैसे थर्ड क्लास इंसान की इमेज भगवान जैसी बनाई गयी,

अम्बानी अदाणी जैसे अमीरों ने मीडिया को खरीद कर मोदी की इमेज बनाने में लगा दिया।

अरबों रुपया विज्ञापन पर खर्च किये गए।

अमित शाह जैसे गुंडे को उत्तर प्रदेश का प्रभारी बनाया गया।

फर्ज़ी प्रचार कर के मुज़फ्फरनगर के दंगे कराये गए।

मुज़फ्फर नगर दंगों में किसी लड़की का कोई मसला नहीं था लेकिन देश भर में फर्ज़ी लव जिहाद का हव्वा खड़ा किया गया।

अब ये लोग सत्ता में हैं।

अब इनका मुख्य काम भारत की खदानों, जंगलों, नदियों समुन्दर के तटों पर कब्ज़े करने का है।

यह जनविरोधी राजनीति का सबसे भयानक दौर है।

इसमें करोड़ों देशवासी और भी गरीब बन जायेंगे।

जिन गांव वालों को ज़मीनों से भगाया जाएगा वे बेज़मीन और बेघर हो जायेंगे।

ये करोड़ों बेज़मीन और बेघर लोग भुखमरी का शिकार हो जायेंगे।

चंद अमीर अपनी तिजोरियां भरेंगे।

यही है इन संघियों और भाजपाइयों की राजनीति का वो डरावना चेहरा जिसे यह लोग राष्ट्रवाद और धर्म रक्षा के फर्ज़ी नारों के परदे में छिपाते हैं।

आम लोगों को इन लुटेरों की असलियत बताना ही इस समय का सबसे बड़ा धर्म है।
हिमांशु कुमार
हिमांशु कुमार, लेखक जाने-माने गांधीवादी सामाजिक कार्यकर्ता हैं। उनकी फेसबुक वॉल से साभार