नई दिल्ली। देश के प्रमुख गांधीवादियों ने देश में बढ़ रही सांप्रदायिक घटनाओं पर केंद्र सरकार को चेताते हुए साफ शब्दों मेंकहा है कि ये घटनाएं अफवाहों से उन्मादित भीड़ का पागलपन नहीं है बल्कि देश के सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की योजनाबद्ध कोशिशें हैं।

आइए देखते हैं गांधीवादियों का मूल वक्तव्य
शांति अौर सद्भाव ही सबसे बड़ा विकास है
गांधीजनों का सार्वजनिक वक्तव्य
हम पहले की बातें भूल भी जाएं फिर भी राजधानी दिल्ली के निकट के दादरी गांव में 29 सितंबर को मुहम्मद अखलाक की पीट-पीट कर की गई वहशियाना हत्या से ले कर 16 अक्तूबर को हिमाचल प्रदेश में पीट-पीट कर मारे गये नोमन अख्तर की हत्या तक जैसे जहरीली हवा बहाई जा रही है, उन सबसे हम बेहद व्यथित अौर शर्मिंदा हैं. अौर इस अाग में प्रधानमंत्री अौर उनकी सरकार अौर पार्टी के लोगों ने जिस तरह घी डालने का काम किया है, वह किसी अपशकुन की तरह दिखाई देता है. मुंबई में सुधींद्र कुलकर्णी के चेहरे पर पोती गई काली स्याही फैलती हुई कश्मीर तक पहुंच रही है अौर अंधेरा गहरा रहा है.

हम पूरी जिम्मेवारी से कहना चाहते हैं कि ये घटनाएं अफवाहों से उन्मादित भीड़ का पागलपन नहीं है बल्कि देश के सांप्रदायिक माहौल को बिगाड़ने की योजनाबद्ध कोशिशें हैं. इन सबसे देश में एक ऐसा माहौल बनता दिखाई दे रहा है जिसमें कानून, संिवधान अौर इन सबसे ऊपर भारतीय समाज की समन्वयकारी संस्कृति पर लगातार चोट पड़ रही है.

हम जानते हैं कि इससे पहले भी सरकारें, पुलिस-व्यवस्था अादि अपने कर्तव्यपालन में विफल होती रही हैं अौर समाज का सांप्रदायिक सद्भाव टूटता रहा है. लेकिन हम जिसे चिंता व अाशंका से देख रहे हैं वह तो वह माहौल है जिसमें अल्पसंख्यकों को लगातार असुरक्षा की तरफ धकेला जा रहा है अौर इस माहौल से लोगों को अागाह करने वाले लेखकों-बुद्धिजीवियों को मारने व अपमानित करने का सिलसिला चलाया जा रहा है. लेखकों-संस्कृतिकर्मियों ने सरकारी सम्मानों-पुरस्कारों को वापस लौटाने का जो सिलसिला चलाया है, वह असहमति की उनकी बेहद रचनात्मक कोशिश है. उसका सम्मान करने अौर उनकी पीड़ा को समझने की जगह उनका उपहास किया जा रहा है अौर उन पर बदनीयती का अारोप लगाया जा रहा है. हम केंद्र सरकार को सावधान करते हैं कि उसकी सदाशयता पर देश भर में गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. इसकी अनदेखी उसे भी अौर समाज को भी भारी पड़ेगी. पार्टियां अौर सरकारें नहीं, हमारी चिंता के केंद्र में भारतीय समाज की वह संरचना है जो इस राष्ट्र की अात्मा है अौर जिससे खेलने की इजाजत हम किसी को नहीं दे सकते.

इस दुर्भाग्यपूर्ण घटनाक्रम से सरकार क्या सबक लेती है अौर इस चेतावनी को वह कैसे कबूल करती है, इस पर हमारी भी अौर सारे देश की भी नजर रहेगी. गांधी-परिवार के हम प्रतिनिधि उन सबसे क्षमा मांगते हैं जिनके घर-परिवार का नुकसान हुअा है अौर हम हर हिंदुस्तानी से कहना चाहते हैं कि अाज शांति अौर सद्भाव ही सबसे बड़ा अौर बेशकीमती विकास है.

गोपीनाथन नायर, अध्यक्ष कुमार प्रशांत, अध्यक्ष

रामचंद्र राही, मंत्री अनुपम मिश्र, संपादक ‘ गांधी मार्ग’

गांधी स्मारक निधि, नई दिल्ली गांधी शांति प्रतिष्ठान, नई दिल्ली