पेशावर में तालिबान ने सौ बच्चों को मौत के घाट उतार दिये और गौरतलब यह है कि इस्लाम के नाम पर मारे गये वे तमाम बच्चे मुसलमान ही थे।
मलाला के नोबेल जीतने का जश्न पाकिस्तान ने ऐसे मनाया।
भारत में नोबेल विजेता कैलाश सत्यार्थी के कुशल क्षेम के लिए अब मैं चिंतित हूं क्योंकि हम भी तालिबान के शिकंजे में कम नहीं है और गीता महोत्सव शुरु कर चुका है तालिबान राजकाज।
धर्मोन्मादी आतंकवाद अपनों पर ही सबसे पहले वार करता है, यह समझ लेना चाहिए।
पाकिस्तान की इस त्रासदी पर धर्मांध नजरिये से सोचने का बजाय हम थोड़ा सावधान भी हो जायें और अपने बच्चों की खैर मनायें तो बेहतर है कि राजनीति का तालिबानीकरण कितना खतरनाक हो सकता है, उसका सबूत पाकिस्तान है।
और हमें इस भस्मासुर से जरूर अपने देश और अपनी जनता को बचाने की हर जुगत लगानी चाहिए।
यही है तालिबान का हिंदू साम्राज्यवादी राजकाज, जिससे लेकिन भारत का भविष्य फिर वही पाकिस्तान है और पेशावर हमारे यहां भी कभी भी संभव है।
कृपया अपने बच्चों की हिफाजत के ख्याल से हमारे लिक्खे पर गौर जरूर करें बाकी जो आप हमें गरियाते रहते हैं, आपका वह आशीर्वचन हमारे सिर माथे हैं। हम मनुस्मृति व्यवस्था में दलित अस्पृश्य हैं और गालियों के अलावा हमारा कोई सामाजिक सम्मान नहीं है। बाकी सारा कुछ बोनस है अगर दाना पानी मिलता रहे और जान की खैरियत रहे।
विशिष्ट लेखक उज्ज्वल भट्टाचार्य ने सही लिखा हैः
पेशावर की घटना दिखाती है कि समाज का तालिबानीकरण कितना भयंकर ख़तरा है।
जाहिर है कि हम लोग वही कर रहे हैं और वही दोहरा रहे हैं जिससे भारत का भविष्य पाकिस्तान बन जाये। इस्लामी राष्ट्र पाकिस्तान के मुकाबले हिंदू राष्ट्र भारत। इंसानियत नाम का लफ्ज अपना वजूद खोने लगा है कि इंसान इतना बेहया, बेशर्म है।
विशिष्ट लेखक उज्ज्वल भट्टाचार्य ने आगे लिखा हैः
सबसे पहले यह कहने का वक़्त है
(काहे न भोजपुरी में लिखल, समझत नइखे)
पेशावर में सौ से ज्यादा बच्चों के तालिबानियों द्वारा किए गए कत्ल पर दुनिया के ताज़ा शांतिदूत बने नोबेल पुरस्कार विजेता श्री कैलाश सत्यार्थी को तत्काल इस संबंध में कुछ कहना और करना चाहिए। कुछ नहीं तो कम से कम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को फोन कर के बोलें कि वे एक आधिकारिक बयान जारी कर के इस घटना की निंदा करें। इसके बाद हम उम्मीद करते हैं कि श्री सत्यार्थी एक प्रतिनिधिमंडल लेकर पाकिस्तान जाएंगे, वहां के हुक्मरानों से मिलेंगे और वहां के राष्ट्रीय शोक में सांत्वना का हाथ बढ़ाएंगे। संभव हो तो वे अपनी ओर से पेशावर के अपराधियों को एक कड़ा संदेश भी भिजवायें।
हमारे युवा कवि नित्यानंद गायेन की ताजा कविता पोस्ट भी गौर तलब हैः
पाकिस्तान के पेशावर में आर्मी स्कूल पर हमला, . अब ताज़ा समाचारों के अनुसार अबतक 104 से ज्यादा बच्चे मारे गये हैं .......इतने ही घायल हैं ...... मन खराब हो गया .
मैं भी पर्वत होना चाहती हूँ
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जारी है तुषारापात निरंतर
फिर भी हौसला न हुआ पस्त पर्वत का
मैं भी पर्वत होना चाहती हूँ |
हिम, बिजली और आंधियों से
लड़ते रहना है मुझे |
O- पलाश विश्वास