राष्ट्रवाद के प्रति पूरी प्रतिबद्धता के साथ प्रियरंजन दास मुंशी ने किसी के साथ द्वेष नहीं किया
राष्ट्रवाद के प्रति पूरी प्रतिबद्धता के साथ प्रियरंजन दास मुंशी ने किसी के साथ द्वेष नहीं किया
भीमसिंह ने प्रियरंजन दास मुंशी के दुखद निधन पर शोक प्रकट किया
नई दिल्ली, 20 नवंबर। प्रियरंजन दासमुंसी के युवावस्था के साथी प्रो. भीमसिंह ने संवेदनाएं व्यक्त करते हुए अपने संदेश को व्यक्त किया कि श्री प्रियरंजन दासमुंसी एक प्रिय मित्र, दार्शनिक, जन्म से एक क्रांतिकारी और महान दोस्त, वे अब इस दुनिया में नहीं है, लेकिन पीछे छोड़ दिए गए हैं पैरों के निशान, जो हमेशा मानवतावाद की राह दिखाते हैं कि राष्ट्रवाद के प्रति पूरी प्रतिबद्धता के साथ उन्होंने किसी के साथ द्वेष से नहीं किया।
नेशनल पैंथर्स पार्टी के मुख्य संरक्षक प्रो.भीमसिंह का परिचय श्री प्रियरंजन दास मंुशी से तत्कालीन प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी ने दिल्ली स्थित सफदरजंग रोड पर करवाया था, जहां भीमसिंह ने श्रीमती गांधी से पांच वर्ष की शांति मिशन पर मोटरसाइकिल विश्व यात्रा पर लौटने पर मुलाकात की थी। श्रीमती गांधी ने अपने कार्यालय में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (प्रभारी युवा) के तत्कालीन महासचिव श्री चंद्रजीत यादव तथा भारतीय युवा कांग्रेस के तत्कालीन अध्यक्ष श्री दासमुंशी को सफदरजंग रोड, नई दिल्ली में बुलाया था, तब श्रीमती गांधी द्वारा प्रो. भीमसिहं को भारतीय युवा कांग्रेस में शामिल किया गया था।
प्रधानमंत्री श्रीमती इंदिरा गांधी की सलाह पर श्री दासमुंसी ने प्रो.भीमसिंह को जम्मू-कश्मीर युवा कांग्रेस अध्यक्ष नियुक्त किया था। श्रीमती इंदिरा गांधी ने भीमसिंह को जम्मू-कश्मीर के युवाओं को धर्मनिरपेक्ष स्तर व ईमानदार दृष्टिकोण पर व्यवस्थित करने की सलाह दी। भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन शुरू करने के लिए कांग्रेस सरकार ने भीमसिंह को जम्मू-कश्मीर से निष्कासित कर दिया था। कांग्रेस जम्मू-कश्मीर पर शासन कर रही थी। श्री दासमुंसी द्वारा यूथ कांग्रेस में प्रो.भीमसिंह को अंतरराष्ट्रीय संबंधों के महासचिव के रूप में नियुक्त किया गया था। भीमसिंह ने पूरे विश्व में युवा कांग्रेस आंदोलन को ऊपर उठाया और श्री दासमुंसी के नेतृत्व में यूरोप और अफ्रीका में फिलीस्तीनी आंदोलन तथा अन्य क्रांतिकारी युवा आंदोलनों के साथ संबंधों को मजबूत किया।
प्रो.भीमसिंह ने श्री दासमुंसी को दक्षिण-पूर्व एशिया के सबसे बड़े युवा नेताओं के रूप में बताया। श्री प्रियरंजन दासमुंसी 2008 में अचानक बीमारी के शिकार हो गए और पुनर्जीवित करने के सभी प्रयासों के बावजूद वे ठीक नहीं हो पाए, यदि वह बच गए होते तो उन्हें दक्षिण-पूर्व एशिया में एक महान क्रांतिकारी नेता के रूप में दुनिया के द्वारा देखा जाता।
प्रो.भीमसिंह ने उनके परिवार के सदस्यों और उनके सभी पुराने सहयोगियों प्रति दिल से सहानुभूति व्यक्त की, जो आज भी महसूस कर रहे हैं कि मैं (भीम सिंह) भी महसूस कर रहा हूं। पूरे देश में एक बड़ा नुकसान है और दिवंगत महान आत्मा की स्वर्ग में शांति के लिए प्रार्थना की।


