रोजगार को मौलिक अधिकार में शामिल कराने के लिए चलेगा जन आन्दोलन
रोजगार को मौलिक अधिकार में शामिल कराने के लिए चलेगा जन आन्दोलन
रोजगार अधिकार आन्दोलन का गठन हुआ
सभी छात्र- युवा संगठनों, नागरिकों से की आन्दोलन में शामिल होने की अपील
संसद के बजट सत्र में रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने हेतु बिल पारित करने की मांग को लेकर प्रधानमंत्री मोदी को भेजेंगे पत्र
रोजगार को मौलिक अधिकार बनाये मोदी सरकार -अजीत
बदायूं। 16 जून 2014। रोजगार को संविधान में मौलिक अधिकार में शामिल करने के लिए जन आन्दोलन चलाया जाएगा। जन आन्दोलन चलाने के लिए रोजगार अधिकार आन्दोलन नाम से व्यापक मंच बनाया गया है। सभी छात्र-युवा संगठनों, आम नागरिकों से रोजगार के लिए चलाए जा रहे जन आन्दोलन में शामिल होने की अपील की गयी है। कल उत्तर प्रदेश के बदायूं जनपद में वेदामऊ वैदिक विद्यापीठ में जनपद के छात्र- युवा नेताओं, राजनैतिक-सामाजिक कार्यकर्ताओं, बुद्धिजीवियों ने एक बैठक कर रोजगार के अधिकार के लिए जनआन्दोलन चलाने का निर्णय लिया। जन आन्दोलन चलाने के लिए रोजगार अधिकार आन्दोलन नाम से एक व्यापक मंच का गठन किया गया है। सभी छात्र-युवा नेताओं, संगठनों, नागरिकों से रोजगार अधिकार आन्दोलन में अपनी स्वतंत्र पहचान के साथ शिरकत करने की अपील की गयी है।
बैठक में बोलते हुए आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आई0पी0एफ0) के प्रवक्ता अजीत सिंह यादव ने कहा कि मोदी सरकार संसद के बजट सत्र में रोजगार को मौलिक अधिकार में शामिल करने के लिए बिल पारित करे। उन्होंने कहा कि आज देश की 60 फीसद से अधिक आबादी युवाओं की है। 121 करोड़ भारतीयों में 70 करोड़ नौजवानों को बेरोजगार बना कर राष्ट्र निर्माण की प्रक्रिया से बाहर कर दिया गया है। अगर इन 70 करोड़ नौजवानों के दो हाथों को काम मिल जाए, उनकी ऊर्जा का देश के लिए उपयोग हो जाये तो भारत को बड़ी ताकत बनने से कोई नहीं रोक पाएगा। नौजवानों को रोजगार का सवाल राष्ट्र निर्माण के लिए सबसे जरूरी सवाल है। लेकिन राष्ट्रहित के इस जरूरी मसले को हल करने से देश के हुक्मरान हमेशा दूर भागते रहे हैं। वे विकास की बड़ी-बड़ी बातें करते हैं लेकिन 70 करोड युवाओं को काम दिए बिना विकास की बात करना बेमानी है। आखिर वे किसका विकास करना चाहते हैं जिसमें 70 करोड़ नौजवानों की कोई जगह ही नहीं हैं। उन्होंने कहा कि देश के खजाने -सम्पदा पर नौजवानों का भी हक बनता है। रोजगार के सवाल को हल करने के लिए जरूरी है कि संविधान में रोगार के अधिकार को मौलिक अधिकारों में शामिल किया जाए, ताकि सरकारों का उत्तरदायित्व निर्धारित हो सके। यह सवाल संविधान सभा में और उसके बाद लगातार उठता रहा है। 1977 में जनता पार्टी की सरकार ने रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने के लिए बिल लाने को प्राक्कलन समिति के समक्ष रखा था। 1990 में प्रधानमंत्री वी0पी0 सिंह की सरकार में संसद में राष्ट्रपति के अभिभाषण में रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने का जिक्र था। लेकिन आजादी के इतने वर्षों बाद भी अभी तक देश व नौजवानों के इस सबसे जरुरी मसले को सत्ताधारियों ने नजरअंदाज करने का ही काम किया है। इसलिए राष्ट्र निर्माण में युवाओं की भूमिका तय करने के लिए रोजगार को मौलिक अधिकार बनाने के लिए जनआन्दोलन खड़ा करने की जरूरत है।
बैठक में तय किया गया कि प्रधानमंत्री मोदी को पत्र भेजकर संसद के बजट सत्र में रोजगार को मौलिक अधिकार में शामिल करने को बिल पारित करने की मांग की जाएगी। हर कस्बे, शहर में रोजगार सम्मेलन आयोजित कर नौजवानों व नागरिकों को आन्दोलन से जोड़ा जाएगा। रोजगार यात्राएं निकाली जाएंगीं। इस मौके पर कछला कालेज के अर्थ शास्त्र के प्रवक्ता विशाल दुबे ब अग्रेजी प्रवक्ता अनिल यादव नव क्रांति दल के संस्थापक योगेश यादव रालोद छात्र सभा के नगर अध्यक्ष राजकुमार बघेल, जनता दल यू के जिला अध्यक्ष सूर्य प्रताप सिंह यादव, राजकीय महाविद्यालय के छात्र सघ अध्यक्ष शिरीष अवस्थी, एन के डी के प्रदीप गुजर, राकेश यादव, मुकुल, कुलदीप, गौरव कुमार, सुमित, मोहित, दीपक, शिबम, रजत सक्सेना, सुनील कुमार, रचित सक्सेना, आदित्य कुमार चैतन्य, अशीष मिश्रा, मुकुल मौजूद रहे


