रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या से उपजे कुछ अहम सवाल
‘जाति उन्मूलन और बी.आर.अम्बेडकर की विरासत’ पर व्याख्यान आयोजित
नई दिल्ली, 30जनवरी। हैदराबाद विश्वविद्यालय के छात्र रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या से उपजे कुछ अहम सवालों को मद्देनजर रखते हुए पोलेमिक और दिशा छात्र संगठन की ओर से ‘जाति उन्मूलन और बी.आर. अम्बेडकर की विरासत’ पर व्याख्यान का आयोजन दिल्ली के अम्बेडकर विश्वविद्यालय में शुक्रवार को किया गया। इस व्याख्यान में मुख्य वक्ता के तौर पर ‘आह्वान’ पत्रिका व ‘मज़दूर-बिगुल’ के सम्पादक और शोधार्थी इतिहास विभाग, डी.यू. के अभिनव सिन्हा ने बात रखी। इस ज्वलंत विषय पर हुए व्याख्यान में बड़ी संख्या में छात्र-छात्राओं और नागरिकों की भागदारी रही। इस व्याख्यान का संचालन ‘दिशा’ की सदस्या बेबी ने किया।
कार्यक्रम का संचालन कर रही बेबी ने इस व्याख्यान के विषय के बारे में बात करते हुए कहा कि हैदराबाद विश्वविद्यालय के मेधावी शोधार्थी और प्रगतिशील कार्यकर्ता रोहित वेमुला की सांस्थानिक हत्या ने पूरे देश में छात्रों-युवाओं के बीच एक ज़बर्दस्त उथल-पुथल पैदा की है और जाति उन्मूलन के सवाल को एक बार फिर मुख्य पृष्ठभूमि पर ला दिया है। उन्होंने कहा आज जब पिछड़ी जातियों का उत्पीड़न बढ़ रहा है खासकर दलित जातियों का तो ऐसे समय में हमें जातियों के उन्मूलन पर एक सही समझदारी बनाने की जरूरत है। इसी परिप्रेक्ष्य में हमें अम्बेडकर की विरासत को भी जानना होगा।
इस व्याख्यान के मुख्य वक्ता अभिनव सिन्हा ने इस विषय पर रखते हुए कहा कि आज यह सच है कि दलित पृष्ठभूमि से आने वाले छात्रों और लोगों पर हमले बढ़ रहे हैं पर इसमें भी उन दलितों पर हमले हो रहे हैं जो आर्थिक रूप से कमजोर तबकों से आते हैं। इस तथ्य को हम रोहित वेमुला के मामले में भी देख सकते हैं। उन्होंने कहा कि रोहित की हुई संस्थागत हत्या ने आज इस बात को बेहद जरूरी बना दिया है कि आज हम जाति उन्मूलन की सही दिशा को जानें। उन्होंने कहा कि रोहित का मामला सिर्फ जातिगत नहीं है और जो लोग और संगठन इसे सिर्फ इसे जातिगत मामला बना रहे है, वे रोहित की लड़ाई को भटका रहे हैं और इससे सत्ताधरी दक्षिणपंथियों को ही पफायदा मिलेगा। जैसा कि केन्द्रीय मंत्री स्मृति ईरानी अब इसे मुद्दा बना रही हैं कि अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (ए.बी.वी.पी.) के जिस छात्र ने आरोप लगाया था कि रोहित ने उसके साथ मारपीट की थी, वह एक पिछड़ी जाति से आता है इसलिए अब उसे घेरा जा रहा है। उन्होंने कहा ग़रीब दलितों पर ज़्यादा अत्याचार करने वाले सिर्फ उच्च जाति के लोग ही नहीं हैं बल्कि इनमें ओबीसी के भी लोग, जो आर्थिक रूप से मजबूत हैं, शामिल हैं। उन्होंने ऐतिहासिक सन्दर्भों सहित जाति प्रश्न और अम्बेडकर के अवदानों पर आलोचनात्मक बात रखी तथा विस्तृत आयामों को समेटने का सफल प्रयास किया।
उन्होंने आगे कहा कि हमें अगर जाति प्रश्न को हल करने की दिशा में काम करना है तो किसी भी किस्म की अस्मितावादी राजनीति से इसका हल नहीं निकाला जा सकता। आज एक जुझारू जाति विरोधी मंच बनाने की ज़रूरत है।
व्याख्यान के बाद सवाल-जवाब का सत्र भी रखा गया जिसमें छात्रों और बुद्धिजीवियों ने बढ़-चढ़कर हिस्सा लिया।