एसएसपी यशस्वी यादव और एएसपी दिनेश यादव का ओहदे पर बने रहना अमन-चैन के लिए खतरा
तेलंगाना मुठभेड़ फर्जी, आईबी बताए मारे गए लड़कों को कब से रखा था अपनी गिरफ्त में
रिहाई मंच ने लड़कों की फर्जी मुठभेड़ में मारे जाने की महीनों पहले ही जताई थी आंशका
लखनऊ 7 अप्रैल 2015। रिहाई मंच ने तेलंगाना में हुई मुठभेड़ को फर्जी करार देते हुए मारे गए लोगों का लखनऊ एटीएम लूट कांड में संलिप्तता की झूठी कहानी को आईबी, एनआईए और एटीएस द्वारा पूरे सूबे में आतंकवाद का हौव्वा खड़ा करने की साजिश का हिस्सा बताया है। मंच ने इस पूरे मामले में अग्रणी भूमिका निभाने वाले मुख्यमंत्री के चहेते एसएसपी यशस्वी यादव और एएसपी दिनेश यादव को तत्काल निलंबित करने की मांग की। संगठन ने इस पूरे मामले में एसएसपी यशस्वी यादव, एएसपी दिनेश यादव, तेलंगाना के डीजीपी अनुराग शर्मा व इस पूरे आॅपरेशन में शामिल पुलिस अधिकारियों के काॅल डिटेल की जांच की मांग की है।
रिहाई मंच नेता राजीव यादव ने कहा कि तेलगांना में मारे गए दोनों लोगों की हत्या पर खुद ही बहुत सारे सवाल उठ रहे हैं। मसलन अगर वे कथित मुठभेड़ में घटना स्थल पर ही मर गए, जैसा कि कहा जा रहा है तब फिर मुठभेड़ में शामिल पुलिस कर्मियों को कैसे यह पता चला कि इन लोगों ने ही लखनऊ में लूट कांड किया था। जिसका जवाब अब तक तेलंगाना पुलिस नहीं दे पाई है। ऐसे में दो सवाल साफ हैं कि यह तभी हो सकता है जब इन मारे गए दोनों लोगों को पहले से ही पुलिस अपने पास रखी हुई थी या फिर कुछ और लड़के तेलंगाना पुलिस के पास अब भी हैं, जिन्हें इस घटना के फालोअप के दौरान मारा जाना है। जिससे यह साबित होता है कि यह पूरा मुठभेड़ ही फर्जी है जिसकी जांच होनी चाहिए।
राजीव यादव ने सवाल किया कि जिस तरह एसएसपी यशस्वी यादव इस पूरे मामले को एटीएम लूटकांड से जोड़ने के लिए तर्क दे रहे हैं कि सीसीटीवी कैमरे में एक अपराधी पतला है और एक मोटा और तेलंगाना में मारे गए लोगों में से भी एक मोटा और एक पतला है या फिर एटीएम लूटकांड में इस्तेमाल असलहा भी ठीक वैसा ही था जैसा मारे गए लोगों से बरामद हुआ है, वह न सिर्फ गुमराह करने वाला है बल्कि आईबी और एटीएस की थ्योरी को जबरन थोपकर इसे आतंकवाद से जोड़कर पूरे सूबे में आतंक का हौव्वा खड़ा करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि एटीएस की टीम का क्राइम ब्रांच की टीम के पहुंचने से पहले ही वहां डेरा जमा लेना भी साबित करता है कि इस हत्याकांड को आतंकवाद से जोड़ने की कोशिश में एटीएस काफी सक्रिय हो गई है। वहीं एएसपी ट्रांस गोमती दिनेश यादव द्वारा तेलंगाना में मारे गए लोगों और एटीएम लूटकांड को जोड़ने के लिए दिया गया तर्क कि लूट के दौरान बदमाशों ने नए कपड़े पहने थे और मुठभेड़ में मारे गए आतंकियों के शरीर पर भी नए ब्रांडेड कपडे़ थे न सिर्फ हास्यास्पद है बल्कि उनका यह बयान उनके इस ओहदे तक पहुंचने पर भी सवालिया निशान लगा देता है कि वे अपनी योग्यता के बजाए मुलायम सिंह यादव के कुनबे के करीब होने की वजह से ओहदे पर थोपे गए हैं।
रिहाई मंच के प्रवक्ता शाहनवाज आलम ने कहा कि तेलंगाना में हुई फर्जी मुठभेड़ ने साफ कर दिया है कि आईबी समेत सुरक्षा व खुफिया एजेंसियों के पास ऐसे सैकड़ो लड़के हैं जिन्हें फरार या भगोड़ा घोषित कर आईबी लगातार देश में आतंक की घटनाओं को अंजाम दे रही है। यह संयोग नहीं है कि चुनाव के दौरान ही पटना में तो उपचुनाव के दौरान बिजनौर में विस्फोट होते हैं। तेलंगाना में हुई फर्जी मुठभेड़ के बाद जिस तरीके से मारे गए लड़कों की विभिन्न घटनाओं के संलिप्तता बताने के तथाकथित इनपुट जारी हो रहे हैं वो किसी तेलंगाना पुलिस या फिर किसी प्रदेश स्तरीय पुलिस के बस की बात नहीं है बल्कि इसे ऊपरी स्तर पर खुफिया-सुरक्षा एजेंसियों द्वारा फैलाया गया है। उन्होंने कहा कि रिहाई मंच ने पहले भी नाम लेकर बता दिया था कि ये लड़के खुफिया एजेंसियों के पास हैं जिन्हें कोस्ट गार्ड कांड जो फर्जी साबित हो चुका है के दौरान 1 जनवरी और 26 जनवरी के आस-पास मारने की साजिश रची जा रही है। उन्होंने इस पूरे मामले सहित आतंकवादी घटनाओं को अंजाम देने के आरोप में गायब या फरार बताए जा रहे मुस्लिम युवकों की जांच के लिए उच्च स्तरीय जांच की मांग की है।