हरियाणा के बराड़ा कस्बे में हालांकि गत् दो दशकों से भी अधिक समय से रामलीला मंचन तथा रावण दहन का कार्यक्रम स्थानीय रामलीला क्लब द्वारा आयोजित किया जा रहा है। परंतु गत् पांच वर्षों से लगातार बराड़ा में विश्व का सबसे ऊंचा रावण (Barada Holds Record For Tallest Ravana Effigy) बनाए जाने का निरंतर कीर्तिमान स्थापित किया जा रहा है और आयोजकों द्वारा प्रत्येक वर्ष अपने ही पिछले कीर्तिमानों को बार-बार तोड़ा जा रहा है। और इसी कारण भारत की एकमात्र सर्वप्रतिष्ठित कीर्तिमान संकलन पुस्तक लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकार्ड के 2011 के अंक में बराड़ा में निर्मित होने वाले विश्व के सबसे ऊंचे रावण के पुतले को स मानपूर्ण स्थान प्राप्त हो गया है।

भारत के इतिहास में बराड़ा में निर्मित होने वाला अब तक का यह सबसे पहला व अद्भुत रावण का पुतला है, जिसने किसी प्रतिष्ठित राष्ट्रीय स्तर की कीर्तिमान पुस्तक में अपने नाम का उल्लेख कराया हो।

लिम्का बुक 2011 के अंक की एक विशेषता यह भी है कि यह अंक राष्ट्रमंडल खेलों में भारतीय खिलाड़ियों द्वारा अर्जित कीर्तिमानों से लबरेज़ है। लिहाज़ा इसी अंक में बराड़ा के सबसे ऊंचे रावण के पुतले को स्थान मिलना वास्तव में न केवल बराड़ा बल्कि समूचे हरियाणवासियों के लिए गर्व का विषय है।

गत् पांच वर्षों से लगातार स्थानीय रामलीला क्लब द्वारा रावण की ऊंचाई को लेकर अपने ही विश्व कीर्तिमान को तोड़ने का सिलसिला जारी है इस वर्ष 6 अक्तूबर को भी इसकी एक बार फिर पुनरावृत्ति होगी।

क्लब के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिन्द्र सिंह चौहान अपने सैकड़ों साथियों के साथ विश्व के इस सबसे ऊंचे रावण का निर्माण प्रत्येक वर्ष करते आ रहे हैं।

रावण के इस पुतले रूपी परियोजना की जिस विशेषता का उल्लेख लिम्का बुक में किया गया है उसमें मुस्लिम कारीगरों द्वारा इस विशालकाय पुतले का निर्माण किया जाना भी शामिल है।

लिम्का बुक में दर्ज 2009 में बनाए गए 175 फुट ऊंचे विश्व के सबसे ऊंचे रावण का निर्माण बराड़ा रामलीला क्लब, अंबाला के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिन्द्र सिंह चौहान के निर्देशन में किया गया था।

बराड़ा ग्राउंड में लाखों लोगों की उपस्थिति में रिमोट कंट्रोल का बटन दबाकर विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाले इस 175 फुट ऊंचे विश्व के सबसे ऊंचे रावण को अग्रि को समर्पित किया गया था। रावण के पुतले के साथ कुम्भकरण तथा मेघनाद के भी विशाल पुतले रिमोट कंट्रोल के बटन द्वारा अग्रि के हवाले किए गए थे।

इस अनूठे कार्यक्रम के सूत्रधार तथा क्लब प्रधान राणा तेजिन्द्र सिंह चौहान के अनुसार 175 फुट के विश्व कीर्तिमान स्थापित करने वाले इस रावण के निर्माण का मकसद समाज में फैली सभी बुराईयों को अहंकारी रावण रूपी पुतले में समाहित करना है।

उन्होंने कहा कि 175 फुट की ऊंचाई में 105 फुट की ऊंचाई जहां विशालकाय रावण का प्रतीक है, वहीं शेष 70 फुट की ऊंचाई को 7 अलग-अलग बुराईयों एवं कुरीतियों के रूप में विभाजित किया गया है। जैसे आतंकवाद, कन्या भ्रूण हत्या, सा प्रदायिकता, भ्रष्टाचार, बढ़ती जनसंख्या, दहेजप्रथा तथा जातिवाद के नाम दस-दस फुट की ऊंचाई निर्धारित की गई है।

इस रावण दहन के समय आतिशबाजी का भी एक उच्चस्तरीय आयोजन किया गया। लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड ने रावण की ऊंचाई के बुराई रूपी इस वर्गीकरण को भी अपने प्रकाशन में विशेष महत्व दिया है तथा इस विशाल पुतले का संपूर्ण चित्र प्रकाशित किया है।

रामलीला क्लब बराड़ा द्वारा प्रत्येक वर्ष आयोजित की जाने वाली 14 दिन की शानदार रामलीला के उपरांत विशालकाय रावण, मेघनाद व कुम्भ कर्ण के पुतले विजयदशमी के दिन फूंके जाते रहे हैं।

रामलीला क्लब बराड़ा के संस्थापक अध्यक्ष राणा तेजिंद्र सिंह चौहान के अनुसार कीर्तिमान स्थापित करने की श्रृंखला में क्लब द्वारा बराड़ा में जहां सन् 2007 में 151 फुट ऊंचा रावण निर्मित कर देश के सबसे ऊंचे रावण बनाने का कीर्तिमान स्थापित किया गया था वहीं सन् 2008 में 171 फुट ऊंचे रावण का निर्माण कर एक नया विश्व कीर्तिमान स्थापित किया गया।

चौहान ने बताया कि 2009 में रामलीला क्लब बराड़ा ने अपने ही वर्ष 2008 के कीर्तिमान से आगे बढ़कर 175 फुट ऊंचे रावण के पुतले का निर्माण किया गया था। और सन 2009 में चौहान ने पूरे देश की रामलीला कमेटियों को व रावण के पुतले के निर्माताओं को चुनौती दी थी कि इससे ऊंचा रावण का पुतला पूरे देश में तो क्या विश्व में अब तक कहीं भी निर्मित नहीं हो सका है। और लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड ने चौहान की चुनौती को सही पाया तथा बराड़ा के रावण को ही देश व दुनिया के सबसे ऊंचे रावण के रूप में प्रमाणित किया।

मुस्लिम कारीगरों के सहयोग से बनाए गए विश्व के इस सबसे ऊंचे रावण ने जहां ऊंचाई को लेकर अपने ही गत् वर्षों के पिछले सभी विश्व कीर्तिमानों को ध्वस्त किया है, वहीं यह रावण प्रत्येक वर्ष सांप्रदायिक सौहार्द्र तथा सर्वधर्म सम्भाव की भी शानदार मिसाल भी पेश करता है।

लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड में रामलीला क्लब बराड़ा द्वारा निर्मित रावण का उल्लेख हो जाने के बाद क्लब के सदस्य तथा बराड़ावासियों के हौसले बहुत बुलंद हो चुके हैं। अब क्लब के सदस्यों ने अपनी नज़रें गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड पर लगा दी हैं।

बराड़ा के लोगों की अब यह इच्छा है कि उनके कस्बे के इस विशालकाय रावण का नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में भी भविष्य में दर्ज हो जाए। यदि ऐसा हो सका तो हरियाणा के बराड़ा कस्बे में दशहरा के असवर पर तैयार किया जाने वाला रावण का पुतला न केवल ऊंचाई व भारी भरकमपन में गत् वर्षों के अपने ही सभी विश्व कीर्तिमानों को तोड़ेगा, बल्कि भारतीय सांप्रदायिक सौहार्द्र् के क्षेत्र में भी यह अपनी अनूठी मिसाल स्वयं पेश करेगा।

राणा तेजिन्द्र सिंह चौहान के अनुसार देश में बनने वाले लगभग सभी रावण के पुतलों के निर्माण का मकसद समाज में फैली सभी प्रकार की कुरीतियों व बुराईयों को अहंकारी रावण रूपी पुतले के प्रतीक के रूप में दर्शाना है। परंतु साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि देश में अब तक कहीं भी रावण की ऊंचाई को अलग-अलग विभिन्न प्रकार की बुराईयों एवं कुरीतियों के रूप में वर्गीकृत व विभाजित नहीं किया गया है।

कहना गलत नहीं होगा कि जिस प्रकार बराड़ा में विजय दशमी के अवसर पर लाखों दर्शकों व भक्तजनों की उपस्थिति में रावण के रूप में आतंकवाद, कन्या भ्रूण हत्या, सांप्रदायिकता, भ्रष्टाचार, बढ़ती जनसंख्या, दहेजप्रथा तथा जातिवाद रूपी बुराईयों का दहन किया जाता है नि:संदेह जब कभी भी देश में उपरोक्त बुराईयों में कमी आएगी तो इसके लिए बराड़ा के लोगों के विशालकाय रावण के निर्माण जैसे अद्भुत सहयोग को नज़रअंदाज़ नहीं किया जा सकेगा। और यही वजह है जिसके तहत लिम्का बुक ऑफ रिकार्ड ने रावण की ऊंचाई के बुराई रूपी इस वर्गीकरण को अपने प्रकाशन में काफी महत्व दिया है। इस रावण दहन के समय प्रत्येक वर्ष रंगारंग,मनमोहक व आकर्षक आतिशबाजी का भी एक उच्चस्तरीय आयोजन किया जाता रहा है।

लिम्का बुक 2011 के पृष्ठ संख्या 319 पर जहां रावण की भौतिकी तथा इसकी लंबाई के वर्गीकरण का विस्तार से जि़क्र है, वहीं इस पुस्तक में क्लब के प्रधान राणा तेजिंद्र सिंह का भी विशेष रूप से उल्लेख किया गया है।

बहरहाल, लिम्का बुक में अपना नाम दर्ज करा लेने के बाद श्री रामलीला क्लब के हौसले अब बेहद बुलंद हैं। इस वर्ष 6 अक्तूबर को बराड़ा में निर्मित होने वाला रावण पिछले कीर्तिमान को पुन: तोड़ने जा रहा है। चूंकि लिम्का बुक में नाम दर्ज होने के बाद पहली बार इस वर्ष का रावण दहन 6 अक्तूबर को बराड़ा में होगा इसलिए बराड़ावासियों ने इस कीर्तिमान का जश्र मनाने के रूप में भी इस वर्ष रावण दहन के लिए कई आकर्षक कार्यक्रम पेश करने का फैसला किया है।

आशा की जानी चाहिए कि सर्वधर्म समभाव, सांप्रदायिक सौहार्द तथा विभिन्न प्रकार की सामाजिक बुराईयों के प्रतीक रूपी विश्व के इस सबसे ऊंचे रावण का उल्लेख लिम्का बुक के बाद अब गिनीज़ बुक ऑफ वर्लेड रिकार्ड में भी हो सकेगा।

निर्मल रानी

The world's tallest Ravana of Barara entered in Limca Book of Records