Government wants to crush the voice of dissent-Foundation of Democracy

संविधान, लोकतंत्र, न्याय, समानता, बन्धुत्व के लिए यूपी यात्रा का आगाज

खेतों-खलिहानों से विश्वविद्यालयों तक का होगा सफर

लखनऊ 31 अगस्त 2018। सामाजिक संगठनों ने संविधान, लोकतंत्र, न्याय, समानता, बन्धुत्व के लिए कल यूपी यात्रा का आगाज किया। यूपी प्रेस क्लब लखनऊ में पत्रकारों को संबोधित करते हुए कहा कि संविधान, लोकतंत्र, सामाजिक न्याय पर बदस्तूर हमला जारी है। ऐसे में यह यात्रा गांव-कस्बों के आंदोलनों के साथ कंधे से कंधा मिलाकर चलने की कोशिश है।

यह अभियान यूपी में चार चरणों में होगा। कल पहले चरण की शुरुआत की गई जो लखनऊ से प्रारम्भ होकर सुल्तानपुर, जौनपुर, आज़मगढ़, मऊ, बलिया, गाज़ीपुर, वाराणसी, भदोही, इलाहाबाद, प्रतापगढ़, रायबरेली होते हुए बुधवार, 5 सितंबर को लखनऊ में समाप्त होगा। गांव-कस्बों से होते हुए कोई दो हजार किलोमीटर का रास्ता तय किया जाएगा।

यात्रा की शुरुआत के मौके पर आयोजित प्रेस वार्ता में अरुंधती धुरु, मुहम्मद शुऐब, अजय सिंह, शिवमूर्ति, नदीम हसनैन, राकेश, अहमद अब्बास, ओपी सिन्हा ने कहा कि सामाजिक राजनीतिक संगठनों और खास तौर पर युवाओं की इस पहल का हम स्वागत करते हैं। मानवाधिकार और लोकतांत्रिक अधिकारवादी नेताओं की गिरफ्तारी को लोकतंत्र पर हमला कहते हुए कहा कि सरकार असहमतियों के स्वर को कुचल देना चाहती है। ये आवाजें लोकतंत्र की नींव हैं और सुप्रीम कोर्ट ने भी इनका समर्थन किया है। गांव-कस्बों तक पहुंचकर सामाजिक न्याय, संविधान जैसे सवालों पर बात करना आज के वक्त की जरुरत है। मुख्यमंत्री द्वारा प्रदेश में अपराध, सांप्रदायिक-जातिगत हिंसा जैसे सवालों पर खुलेआम झूठ बोला जा रहा है। हालात इतने बदतर हो गए हैं कि महिला संरक्षण गृहों तक में महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. मानवाधिकार आयोग तक ने यूपी में मुठभेड़ों के नाम पर हत्याओं पर सवाल किया है वहीं सुप्रीम कोर्ट में यह बहस जारी है। वहीं अपने राजनीतिक विरोधियों और खास तौर पर दलित-मुस्लिम लोगों पर रासुका लगाया जा रहा है। सरकार अगर मनुवादी एजेण्डे पर काम नहीं कर रही है तो उसे बताना चाहिए कि क्या सिर्फ दलित-मुस्लिम ही राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरा है। वक्ताओं ने कहा कि आज खानपान के नाम पर भी विभाजन की कोशिश की जा रही है। ऐसे में किसान-नौजवान, महिलाएं जो आवाज बुलंद कर रहे हैं वो साफ करता है कि जनता एकता-इंसाफ की यह राह छोड़ने वाली नहीं है।

यात्रा के संयोजक गुफरान सिद्दीकी और राजीव यादव ने कहा कि यूपी के बड़ा राज्य होने की वजह से दूर-दराज के गांव-कस्बों क्या, जिलों तक के सवाल सामने नहीं आ पाते। चार चरणों की यूपी यात्रा इन्हीं सवालों को उठाने की एक कोशिश है। जौनपुर, आजमगढ़, बलिया में लगातार वंचित समाज के अधिकारों पर हमले हुए हैं। यात्रा के पहले चरण में इसके अलावा बीएचयू, इलाहाबाद विश्वविद्यालय, बीबीएयू के छात्रों-नौजवानों के सवाल पर भी बात होगी। पूर्वांचल में लगातार किसानों के सामने कृषि संकट के साथ भूमि अधिग्रहण का संकट भी बना रहता है तो वहीं भदोही, वाराणसी, मऊ में बुनकरों के सवाल अहम होंगे।

संयोजकों ने बताया कि यात्रा में सबसे ज्यादा युवाओं के साथ संवाद के कार्यक्रम होंगे। इसका मकसद उनके जेहन में उपजते हुए सवालों को समझने का प्रयास भी होगा कि छात्र-नौजवान रोजगार जैसे गंभीर मुद्दे पर क्या राय रखता है। उन्होंने बताया कि आज मुहम्मद शुऐब, सृजनयोगी आदियोग, शकील कुरैशी, रविश आलम, शाहरुख, मेहदी हसन ऐनी, वीरेंद्र गुप्ता, आशीष कुमार, दीपक, ज्योती राय, परवेज आदि साथी लखनऊ से यात्रा में शामिल होंगे।

यात्रा की शुरुआत के मौके पर आयोजित कार्यक्रम में शकील सिद्दीकी, प्रो जमाल नुशरत, ममता सिंह, रफत फातिमा, नाहिद अकील, विवेक सिंह, शरद पटेल, हसीन, गौरव, खान बाबा, जिया, फुरकान, आलिमा, ओबैद नासिर, एम खान, वीरेंद्र त्रिपाठी, अजय शर्मा, संजय सिंह आदि मौजूद थे.