लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस अनिवार्य - राम शरण जोशी
लोकतंत्र के लिए स्वतंत्र प्रेस अनिवार्य - राम शरण जोशी
*तीसरा प्रेस कमीशन शीघ्र गठित हो
*मीडिया में विदेशी पूंजी निवेश का विरोध
*अखबार,समाचार चैनल और इंटरनेट के लिए बने अलग-अलग कमीशन
नई दिल्ली। लोकतंत्र को जीवंत और गतिशील बनाए रखने के लिए स्वतंत्र प्रेस अति आवश्यवक है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि लगातार सरकार और औद्योगिक घराने प्रेस की स्वतंत्रता को बाधित करने का काम कर रहे हैं। अखबारों की विश्वसनीयता प्रायोजित समाचारों, लॉबिंग और स्टिंग आॅपरेशन में फंस गया है। देश की पत्रकारिता मिशन के रूप में शुरू होकर प्रोफेशनल के रास्ते अब कमर्शियल में तब्दील हो गया है। मीडिया और पत्रकारों को ध्यान में रखते हुए तीसरे प्रेस कमीशन के गठन की अति आवश्यकता है। यह विचार वरिष्ठ पत्रकार राम शरण जोशी का है। वह प्रभाष परंपरा न्यास द्धारा आयोजित ‘तीसरे प्रेस कमीशन के औचित्य’ विषय पर बोल रहे थे। कार्यक्रम का आयोजन प्रज्ञा संस्थान ने किया था। विषय को विस्तार से बताते हुए जोशी ने कहा कि पहले प्रेस कमीशन का गठन 1952 में हुआ। दो वर्ष की कड़ी मेहनत क ेबाद आयोग ने अपनी रिपोर्ट 1954 में पेश किया। दूसरे प्रेस कमीशन का गठन 1978 में मोरार जी देसाई के शासन काल में किया गया। इस आयोग ने चार साल बाद अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत किया। दोनों कमीशन के गठन में 26 साल का अंतर है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि अभी तक किसी आयोग की सिफारिश पूरी तरह नहीं मानी गई है।
कार्यक्रम में वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय ने कहा कि आज देखने में यह आ रहा है कि अखबार, समाचार चैनल और संवाद एजेंसिया एक ही औद्योगिक घराने और व्यक्ति चला रहे हैं। दिनों दिन कुछ ही संवाद एजेंसियों की मोनोपोली बनती जा रही है। जो स्वतंत्र प्रेस के लिए खतरनाक है। मीडिया में हो रहे विदेशी पूंजी निवेश पर वक्ताओं ने गहरी चिंता व्यक्त की । 25 जून 2002 अटल बिहारी वाजपेयी सरकार ने पहली बार 26 फीसदी विदेशी पूंजी निवेश की इजाजत दी। वक्ताओं ने इसके कारणों को छानबीन करने की जरूरत पर बल दिया।
प्रज्ञा संस्थान के राकेश सिंह ने कार्यक्रम का संचालन एवं उपस्थित लोगों का आभार व्यक्त किया।
प्रस्तुति : प्रदीप सिंह,
लेखक हिन्दी दैनिक डीएलए के प्रमुख संवाददाता हैं।


