वर्षा डोंगरे प्रकरण : आदिवासियों के प्रति हमदर्दी रखने वालों को बनाया जा रहा निशाना - माकपा
वर्षा डोंगरे प्रकरण : आदिवासियों के प्रति हमदर्दी रखने वालों को बनाया जा रहा निशाना - माकपा
रायपुर। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने कहा है कि भाजपा राज में आदिवासियों-दलितों के प्रति हमदर्दी रखने वालों को बड़े पैमाने पर निशाना बनाया जा रहा है और सरकारी अधिकारी भी इससे अछूते नहीं हैं. वर्षा डोंगरे प्रकरण इसका ताज़ा उदाहरण है.
आज यहां जारी एक बयान में माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने कहा है कि सरकार की कोई भी नियमावली संविधानप्रदत्त अधिकारों व मूल्यों से ऊपर नहीं है और इसमें अभिव्यक्ति और विचारों की आज़ादी भी शामिल है. वर्षा डोंगरे ने फेसबुक पर जो पोस्ट लिखा है, वह उनका देखा-भोगा अनुभव है. इस यथार्थ की पुष्टि मानवाधिकार आयोग और अनुसूचित जनजाति आयोग सहित कई स्वतंत्र प्रेक्षकों ने की है.
माकपा ने कहा है कि जिन अधिकारियों ने मानवाधिकार का उल्लंघन किया है, इस सरकार ने उन्हें पुरस्कृत किया है, लेकिन जिन अधिकारियों ने इसके खिलाफ आदिवासियों-दलितों के पक्ष में आवाज़ उठाई है, उन्हें हमेशा कुचलने की कोशिश की है. यह दुर्भाग्य की बात है कि जेलों में आदिवासियों की प्रताड़ना की सच्चाई को अपने फेसबुक पोस्ट में वर्षा डोंगरे द्वारा उजागर करने के बाद, अपनी नीतियों व गलतियों को सुधारने के बजाए, भाजपा सरकार उनके ‘माओवादी कनेक्शन’ को खोज रही है. यदि एक संवेदनशील और ईमानदार अधिकारी के साथ ऐसा किया जा रहा है, तो इसका अंदाजा आसानी के साथ लगाया जा सकता है कि बस्तर में आम नागरिकों की ‘असहमति के स्वरों’ के साथ वह किस तरह व्यवहार कर रही होगी.
वर्षा डोंगरे के निलंबन को वापस लेने की मांग करते हुए माकपा ने मांग की है कि प्रदेश में जल-जंगल और जमीन-खनिज की लूट के लिए आदिवासियों पर किये जा रहे राजकीय दमन को बंद किया जाए.


