वामपंथी नेता चरण शांडिल्य नहीं रहे
वामपंथी नेता चरण शांडिल्य नहीं रहे
प्रसिद्ध श्रमिक और वामपंथी नेता चरण सिंह शांडिल्य (चरण शांडिल्य) का जन्म 12 फरवरी सन 1940 में मेरठ जनपद के सरधना तहसील के कक्केपुर गांव में एक बड़े जमीदार परिवार में हुआ था। इनकी प्रारंभिक शिक्षा गांव में हुई। आगे की उच्च शिक्षा के लिए मेरठ कालेज में दाखिला लिया। यहीं इनका झुकाव देश में चल रहे कम्युनिस्ट आंदोलन की तरफ हुआ।
छात्र आंदोलन में भी सक्रिय भूमिका निभाई। यह ऑल इंडिया स्टूडेन्ट फेडरेशन के प्रांतीय अध्यक्ष रहे। इन्होंने आईआईटी रुड़की से बीईई की पढ़ाई की। लेकिन देश में उस दौरान चल रहे सामाजिक परिवर्तनों के आंदोलन में ही सक्रिय होते हुए गाजियाबाद में ट्रेड यूनियन आंदोलन से जुड़ गए। इस दौरान अनेकों बार जेल गए। गुजरात में हुए छात्र-नवनिर्माण आंदोलन में महति भूमिका निभाई।
1971 में नक्सलवाद के नाम पर बंद किए गए बेगुनाहों के लिए ‘रिहाई मंच’ संगठन बनाकर आंदोलन चलाया। इस आंदोलन की वजह से देशभर से लगभग 35 हजार लोग जेल से रिहा हुए। चीन एक पड़ोसी देश होने के नाते उससे मैत्रियपूर्ण संबन्ध बनाने के पक्षधर थे, वे चीन भी कई बार गए। भारत-चीन विवाद के ऊपर देश में पहली किताब ‘भारत-चीन सीमा विवाद’ लिखा, जो भारत के साथ-साथ चीन में भी बहुत सराही गई। इस किताब पर कई विश्वविद्यालयों में शोध भी हो चुके हैं।
इसके अलावा ‘काम से राम तक’ किताब भी इनकी बहुत प्रसिद्ध हुई। उन्होंने सामाजिक व राजनीतिक मुद्दों पर कई किताबें लिखीं। सन् 1985 में हृदय बीमारी के कारण जनांदोलनों में सक्रियता कम हो गई।
चरण स्वास्थ्य में थोड़ा भी सुधार होने पर जनआंदोलनों में सक्रिय हो जाते थे। यह डा. भीमराव अम्बेडकर पर किताब लिख रहे थे लेकिन वह पूरा न हो सका। चरण शाडिल्य नेता के अलावा अच्छे लेखक भी रहे। अन्ततः 75 वर्ष की आयु में विगत 6 अप्रैल को गाजियाबाद अर्धरात्रि में दुनिया को छोड़ कर चले गये।
प्रवीण कुमार सिंह


