वायु प्रदूषण के निशाने पर बच्चे, दुनिया के 90 प्रतिशत से ज्‍यादा बच्‍चे रोजाना लेते हैं दूषित हवा में सांस

नई दिल्ली, 29 अक्‍टूबर 2018। दुनिया में 15 साल से कम उम्र के करीब 93 प्रतिशत बच्‍चे (1.8 अरब) रोजाना ऐसी हवा में सांस लेने को मजबूर हैं, जो इतनी प्रदूषित है कि उससे उनके स्‍वास्‍थ्‍य तथा शारीरिक विकास पर गम्‍भीर खतरा उत्‍पन्‍न हो गया है। यह त्रासद है कि उनमें से कई की मौत हो चुकी है। विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन (डब्‍ल्‍यूएचओ) के एक अनुमान के मुताबिक वर्ष 2016 में गंदी हवा के कारण श्‍वसन तंत्र में गम्‍भीर संक्रमण उत्‍पन्‍न होने से 6 लाख बच्‍चों की मौत हो गयी थी।

वायु प्रदूषण एवं बाल स्‍वास्‍थ्‍य पर आधारित विश्‍व स्‍वास्‍थ्‍य संगठन की एक नयी रिपोर्ट

डब्‍ल्‍यूएचओ की इस रिपोर्ट में बाह्य तथा घरेलू वायु प्रदूषण के कारण दुनिया में खासकर निम्‍न तथा मध्‍यम आय वाले देशों के निवासी बच्‍चों की सेहत पर पड़ने वाले गम्‍भीर प्रभावों का परीक्षण किया गया है।

यह रिपोर्ट वायु प्रदूषण एवं स्‍वास्‍थ्‍य पर आधारित डब्‍ल्‍यूएचओ की पहली वैश्विक कांफ्रेंस की पूर्व संध्‍या पर जारी की जाएगी।

बता दें कि डब्ल्यूएचओ वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य पर पहला वैश्विक सम्मेलन आगामी 30 अक्टूबर से 1 नवंबर 2018 को आयोजित कर रहा है ताकि सरकारों और भागीदारों को वायु गुणवत्ता में सुधार और जलवायु परिवर्तन में सुधार के वैश्विक प्रयासों में एक साथ लाया जा सके।

पेरिस समझौते की समीक्षा के लिए इस वर्ष दिसंबर में पोलैंड में दुनिया भर के नेता एकत्रित होंगे। ग्लोबल वार्मिंग के लिए वायु प्रदूषण भी एक जिम्मेदार कारक है।

डब्ल्यूएचओ की इस रिपोर्ट से खुलासा हुआ है कि जब कोई गर्भवती महिला प्रदूषित हवा के सम्‍पर्क में रहती है, तो उसके द्वारा समय से पहले, आकार में छोटे और कम वजन के शिशु को जन्‍म देने की आशंका बढ़ जाती है। वायु प्रदूषण से तंत्रिका के विकास एवं संज्ञानात्‍मक क्षमता पर भी बुरा असर पड़ता है, जिससे दमे के साथ-साथ बचपन में ही कैंसर की बीमारी भी हो सकती है। ऐसे बच्‍चे, जो उच्‍च स्‍तर वाले वायु प्रदूषण के सम्‍पर्क में रहते हैं, उन पर आगे चलकर दिल की बीमारी जैसे गम्‍भीर रोगों से ग्रस्‍त होने का ज्‍यादा खतरा हो सकता है।

डब्‍ल्‍यूएचओ के महानिदेशक टेड्रोस एडहानोम गेबरियेसस ने कहा “प्रदूषित वायु करोड़ों बच्‍चों के अंदर जहर भर रही है और उनका जीवन बर्बाद कर रही है। यह अक्षम्‍य है। हर बच्‍चे को साफ हवा में सांस लेने का हक मिलना चाहिये, ताकि वह बड़ा हो सके और अपनी पूरी क्षमता से काम कर सके।”

वायु प्रदूषण का शिकार बच्चे ज्यादा क्यों ?

खासतौर से बच्‍चे वायु प्रदूषण के दुष्‍प्रभावों के जोखिम से क्‍यों घिरे हैं। इसकी एक वजह यह है कि वे वयस्‍क लोगों के मुकाबले ज्‍यादा तेजी से सांस लेते हैं, लिहाजा वे ज्‍यादा मात्रा में प्रदूषणकारी तत्‍वों को ग्रहण कर लेते हैं। इसके अलावा उनका शरीर जमीन के ज्‍यादा नजदीक होता है, जहां कुछ प्रदूषणकारी तत्‍वों का संकेन्‍द्रण सबसे ज्‍यादा होता है। यह सब ऐसे वक्‍त में होता है, जब उनके दिमाग और शरीर का विकास हो रहा होता है।

इसके अलावा, नवजात तथा छोटे बच्‍चे अक्‍सर घर ही में रहते हैं। अगर उनके घर में खाना बनाने, गर्माहट लाने या रोशनी के लिये लकड़ी और केरोसीन जैसे ईंधन को जलाया जाता है तो वे घर के बाहर ज्‍यादा वक्‍त बिताने वाले बच्‍चों के मुकाबले अधिक उच्‍च स्‍तर वाले प्रदूषण के सम्‍पर्क में आ जाते हैं।

डब्‍ल्‍यूएचओ में जन स्‍वास्‍थ्‍य, स्‍वास्‍थ्‍य के पर्यावरणीय एवं सामाजिक निर्धारक विभाग की निदेशक डॉक्‍टर मारिया नेरा के मुताबिक

“वायु प्रदूषण हमारे बच्‍चों के दिमाग को गहरा नुकसान पहुंचा रहा है, वह हमारी कल्‍पना से भी ज्‍यादा तरीकों से उनके स्‍वास्‍थ्‍य को प्रभावित कर रहा है। हालांकि खतरनाक प्रदूषणकारी तत्‍वों के उत्‍सर्जन में कमी लाने के अनेक सामान्‍य रास्‍ते हैं। डब्‍ल्‍यूएचओ स्‍वास्‍थ्‍यवार नीतिगत कदमों को लागू करने का समर्थक है। जैसे कि भोजन बनाने और गर्माहट लाने के लिये स्‍वच्‍छ ईंधन एवं प्रौद्योगिकी को अपनाना। साथ ही परिवहन के स्‍वच्‍छ तरीकों के उपयोग को बढ़ावा देने के अलावा ऊर्जा दक्षतायुक्‍त आवासीय एवं नगरीय योजना को प्रोत्‍साहित करना। हम कम उत्‍सर्जन वाले बिजली उत्‍पादन, स्‍वच्‍छ एवं सुरक्षित औद्योगिक प्रौद्योगिकियों तथा नगरीय कचरे के बेहतर प्रबंधन के लिये आधार तैयार कर रहे हैं।”

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