वाराणसी से दिल्ली तक उठेगा रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने का सवाल
वाराणसी से दिल्ली तक उठेगा रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने का सवाल
लखनऊ। आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) की उत्तर प्रदेश इकाई ‘रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने‘ के सवाल को वाराणसी से दिल्ली तक उठाएगी।
इस आशय का निर्णय आल इण्डिया पीपुल्स फ्रंट (आइपीएफ) की उत्तर प्रदेश इकाई की लखनऊ में संपन्न बैठक में लिया गया।
बैठक में वर्तमान राजनीतिक परिस्थितियों पर चर्चा करते हुए यह पाया गया कि देश में मोदी सरकार बनने के बाद बहुसंख्यकवाद की फासीवादी राजनीति, प्रगतिशील लोकतांत्रिक ताकतों के समक्ष एक गम्भीर चुनौती बनकर उभरी है। बहुसंख्यकवाद की यह राजनीति अपनी कारपोरेटपरस्त जनविरोधी नीतियों के कारण देश के बहुसंख्यक समाज के लिए भी बेहद खतरनाक साबित होगी, जिसका सबसे बदतरीन शिकार देश के बहुसंख्यक वर्ग के किसान, मेहनतकश और नौजवान जैसे तबके होंगे। इस खतरे से निपटने के नाम पर शासक वर्ग का एक हिस्सा 90 दशक के दलित, पिछड़ा, मुस्लिम गठजोड़ को पुनः खड़ा करने की कोशिश में लगा है। हमें इस बहुसंख्यकवाद के खतरे के खिलाफ इस दौर की कारपोरेटपरस्त नीतियों से सर्वाधिक प्रभावित बुनियादी वर्गों, किसानों, नौजवानों और असंगठित क्षेत्र के मजदूरों को राजनीतिक स्तर पर गोलबंद करने और प्रचार-प्रसार करने पर जोर देने के साथ ही इससे निपटने के लिए किसान प्रश्न को केन्द्रीय राजनैतिक प्रश्न बनाने पर जोर देना होगा। बैठक में ‘बहुसंख्यकवाद के खतरे और इससे निपटने की दिशा‘ पर दिल्ली में कार्यक्रम करने पर बातचीत हुयी।
बैठक में राबर्ट्सगंज और कैसरगंज लोकसभा क्षेत्र में चुनाव में हिस्सेदारी पर बातचीत हुयी। बातचीत में यह स्पष्ट हुआ कि दोनों ही लोकसभा क्षेत्रों में फ्रंट ने बेहतर चुनाव प्रचार संगठित किया परन्तु उसे अपेक्षानुरूप मत प्राप्त नहीं हुए।
बैठक में सोनभद्र, मिर्जापुर और चंदौली के पहाड़ी अंचल में वनाधिकार कानून के तहत जमीन पर अधिकार के लिए आंदोलन चलाने व इस आंदोलन के पूर्व सघन जांच-पड़ताल और प्रचार किये जाने की जरूरत पर जोर दिया गया।
वाराणसी में, जहां से मोदी सांसद है और मिनी पीएमओ खोला जा रहा है वहां मोदी की घेरेबंदी के लिए एनजीओ से लेकर तमाम तरह के संगठन अपनी गतिविधियों को संचालित कर रहे हैं। आइपीएफ ने भी वाराणसी में लोकसभा चुनाव में सीपीएम का समर्थन करते हुए ‘रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाओ‘ अभियान चलाया था। बैठक में तय किया गया कि मौजूदा दौर में वाराणसी में ‘रोजगार के अधिकार को मौलिक अधिकार बनाने‘ के सवाल को पुनर्जीवित करना होगा। इस अभियान को वाराणसी से लेकर दिल्ली के जंतर-मंतर तक ले जाना होगा।


