विकासशील विश्व में 3.5 लाख बच्चे कैंसर के इलाज से वंचित - WHO
दुनिया | समाचार In the developing world, 3.5 lakh children are deprived of cancer treatment - WHO. विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार निम्न व मध्यम आय वाले देशों में, कैंसर के मरीज़ लाखों बच्चे उपचार तक पहुँच से वंचित हैं, जिससे उनके जीवित रहने की सम्भावनाएँ गम्भीर रूप से सीमित हो रही हैं।

In the developing world, 3.5 lakh children are deprived of cancer treatment - WHO
नई दिल्ली, 28 जुलाई 2023. विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि निम्न व मध्यम आय वाले देशों में, कैंसर के मरीज़ लाखों बच्चे उपचार तक पहुँच से वंचित हैं, जिससे उनके जीवित रहने की सम्भावनाएँ गम्भीर रूप से सीमित हो रही हैं। विश्व स्वास्थ्य संगठन- डब्ल्यूएचओ के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने बीते बुधवार को जिनीवा में अपनी नियमित साप्ताहिक प्रैस वार्ता में इस बारे में चर्चा की। उन्होंने बताया कि इस समस्या का सामना करने के लिए यूएन स्वास्थ्य एजेंसी ने संयुक्त राज्य अमेरिका स्थित एक परोपकारी बाल उपचार व शोध सुविधा के साथ मिलकर 2018 में वैश्विक बाल कैंसर उपचार पहल शुरू किया था। यूएन का उद्देश्य निम्न व मध्यम आय वाले देशों में 2030 तक जीवित रहने की सम्भावना के आँकड़े को कम से कम 60 प्रतिशत तक पहुँचाना है। इसके लिए दुनिया भर की सरकारों से जागरूकता, सहयोग और आवश्यक दवाओं की सार्वजनिक उपलब्धता में सुधार की मांग की गई है। इसके साथ ही, अत्यधिक गर्मी के कारण हुई मौतों को लेकर भी चिंता जताई गई है और ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जनों के प्रति जागरूकता बढ़ाने की आवश्यकता दर्ज की गई है।
यूएन स्वास्थ्य एजेंसी -WHO के महानिदेशक डॉक्टर टैड्रॉस ऐडहेनॉम घेबरेयेसस ने कहा कि निम्न आय वाले केवल 25 प्रतिशत देशों में ही, बचपन में होने वाले कैंसर की दवाएँ, सार्वजनिक लाभों के दायरे में मुहैया कराई जाती हैं।
जीवित रहने की सम्भावना सीमित
महानिदेशक ने कहा, “इन हालात के कारण, बच्चों और महिलाओं को भारी तकलीफ़ होती है और वित्तीय कठिनाइयाँ भी होती हैं, या वो घटिया व नक़ली दवाएँ प्राप्त करने के जोखिम में पहुँच जाते हैं।
परिणामस्वरूप उन देशों में ऐसे बच्चों के जीवित रहने की सम्भावना 30 प्रतिशत से भी कम होती है, जबकि उच्च आय वाले देशों में ये आँकड़ा 90 प्रतिशत से भी अधिक है।”
डब्ल्यूएचओ ने, इस समस्या का सामना करने के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका (USA) स्थित एक परोपकारी बाल उपचार व शोध सुविधा - सेंट ज्यूड बाल अनुसन्धान अस्पताल के समर्थन से, वर्ष 2018 में वैश्विक बाल कैंसर उपचार पहल शुरू की थी।
इस पहल के तहत, निम्न व मध्यम आय वाले देशों में, वर्ष 2030 तक, जीवित रहने की सम्भावना के आँकड़े को, कम से कम 60 प्रतिशत करने का उद्देश्य है।
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा कि दिसम्बर 2021 में, विश्व स्वास्थ्य संगठन और सेंट ज्यूड संगठन ने, बाल कैंसर दवाओं तक पहुँच को बेहतर बनाने के लिए, एक वैश्विक कार्यक्रम शुरू किया था।
बच्चों के लिए ज़रूरी दवाएँ
विश्व स्वास्थ्य संगठन ने ये घोषणा भी की है कि कैंसर उपचार की दवाओं को, संगठन की ज़रूरी दवाओं की नवीनतम सूची और बच्चों के लिए ज़रूरी दवाओं की सूची में शामिल किया गया है, जो बुधवार को ही प्रकाशित हुई है।
दुनिया भर के देश पिछले लगभग 40 वर्षों से स्वास्थ्य उपचार सफलता के लिए, निश्चित, साक्ष्य आधारित और अति महत्वपूर्ण दवाओं के लिए, इस सूची पर भरोसा करते रहे हैं।
हीट वेब से योरोप में 60 हज़ार मौतें
इस बीच, उत्तरी गोलार्द्ध में तापमान का स्तर उच्च बना रहा जिससे मानव स्वास्थ्य और रहन-सहन के लिए ख़तरा उत्पन्न हुआ।
ऐसा अनुमान है कि गत महीने में, योरोप में अत्यधिक गर्मी से सम्बन्धित कारणों से, 61 हज़ार से अधिक लोगों की मौतें हुईं।
हीट वेब का मानव स्वास्थ्य पर क्या असर?
विश्व स्वास्थ्य संगठन के अनुसार, अत्यधिक गर्मी में, मानव शरीर ख़ुद को ठंडा रखने में असमर्थ हो सकता है जिससे थकान और गर्मी का दौरा पड़ने जैसी स्थितियाँ हो जाती हैं और उनसे हृदय व साँस सम्बन्धी और किडनी की बीमारियाँ होने के साथ-साथ, मानसिक स्वास्थ्य की समस्याएँ भी उत्पन्न हो जाती हैं।
डॉक्टर टैड्रॉस ने कहा, “हम अत्यधिक चरम मौसम के उन लोगों पर प्रभाव के बारे में चिन्तित हैं जो विस्थापित हैं या टकराव वाले इलाक़ों, या फिर निर्बल हालात में रहने को विवश हैं, जहाँ पानी व स्वच्छता सुविधाओं तक या तो सीमित पहुँच है या कोई पहुँच ही नहीं है। साथ ही मानव शरीर को ठंडा रखने के साधनों व चिकित्सा सामान की आपूर्ति का भी अभाव है।”
उन्होंने तमाम देशों की सरकारों से, पूर्व-चेतावनी और प्रतिक्रिया प्रणालियाँ मुस्तैद रखने के साथ-साथ, आम आबादी और निर्बल हालात वाले समूहों के लिए रणनीतियाँ तैयार रखने की पुकार लगाई है। इनमें प्रभावशील संचार योजनाएँ भी शामिल हैं।
साथ नही, ग्रीन हाउस गैसों के उत्सर्जनों को करने की तत्काल ज़रूरत और पृथ्वी ग्रह का संरक्षण सुनिश्चित करने की भी पुकार लगाई है जिस पर तमाम जीवन निर्भर हैं।
(स्रोत: संयुक्त राष्ट्र समाचार)


