विकास भी क्या खूब रामबाण दवा है ! सामने इसके सारे तर्क, सारे दर्द हवा हैं !!
विकास भी क्या खूब रामबाण दवा है ! सामने इसके सारे तर्क, सारे दर्द हवा हैं !!
नई दिल्ली, 07 अक्तूबर 2019. सर्वोच्च न्यायालय ने आज मुंबई के आरे कॉलोनी में और पेड़ काटे जाने पर रोक (Ban on cutting more trees in Aarey Colony, Mumbai) लगाने का आदेश दे दिया है और महाराष्ट्र सरकार को मामले की अगली सुनवाई 21 अक्टूबर को होने तक यथास्थिति बनाए रखने का निर्देश दिया है। मामले की सुनवाई वन संबंधित मामले देखने वाली पीठ देखेगी।
सर्वोच्च न्यायालय ने अपने आदेश में कहा (The Supreme Court said in its order) कि मुंबई मेट्रो का कार शेड बनाने के लिए तबतक कॉलोनी में और पेड़ नहीं कटने चाहिए।
शीर्ष अदालत ने देवेंद्र फडणवीस सरकार से इस आदेश का पालन करने की शपथ को भी रिकॉर्ड कर लिया है।
न्यायमूर्ति अरुण मिश्रा की अध्यक्षता वाली पीठ ने पुलिस को सभी कार्यकर्ताओं को रिहा करने का आदेश दिया, जिन्हें पेड़ों की कटाई के विरोध में प्रदर्शन करने के कारण हिरासत में ले लिया गया था। पर्यावरणविदों और स्थानीय निवासियों तथा संरचनात्मक विकास के पक्षधरों के बीच यह चर्चा का विषय बन गया है।
उधर सोशल मीडिया पर टिप्पणियों का दौर अभी भी जारी है।
गोपाल राठी ने फेसबुक पर लिखा,
“मुगलों और अंग्रेजों के राज में रात में कभी पेड़ नहीं काटे गए , मोदी राज में रातों रात थोक में पेड़ काट दिए गए l”
अरुण माहेश्वरी ने लिखा,
“विकास भी क्या खूब रामबाण दवा है !
सामने इसके सारे तर्क, सारे दर्द हवा हैं !!
सरला माहेश्वरी”
अशोक सेन ने कार्टूनिस्ट की नज़र... में लिखा,
“क्या यह वास्तव में विकास है?
मुम्बई में आरे कॉलोनी में 29 लोगो को गिरफ्तार करके मात्र 24 घंटे में 1800 से ज्यादा पेड़ काट कर कही विनाश को आमंत्रण तो नही दे रहे? “
प्रवीन सिंह ने लिखा,
“मुंबई में मेट्रो खातिर सरकार ने हरे-भरे पेड़ों की बलि शुरू कर दिया है। और भी हजारों पेड़ों की बलि होगी। ये पेड़ तो बोलेंगे नहीं। कुछ सुधि लोगों ने बोला तो उनके ऊपर लाठीचार्ज कर गिरफ्तार कर लिया गया। भारत के मित्र देश रुस की राजधानी मास्को में मेट्रो 1935 में शुरू हुईं। यहां ज्यादातर मेट्रो भूमिगत हैं, ज़मीन से 80 मी. नीचे तक। मास्को के मास्कवाँ नदी के नीचे से मेट्रो गुज़रती है। यहां मेट्रो को 80 साल से ज्यादा हो गये। तब से टेक्नोलॉजी का बहुत विकास हुआ। क्या पेड़ों का बिना बलि लिये कोई और विकल्प नहीं हो सकता है? जबकि हमारे प्रधानमंत्री भारतवर्ष को विश्वगुरु बना रहे हैं। अगर हम ऐसा कर पाते तो जरूर दुनिया के लिए एक मिसाल होते। और समूची दुनिया हमें विश्वगुरू मानती।“


