विकास यज्ञ में कोरबा की जनता कब तक देगी बलि ?
विकास यज्ञ में कोरबा की जनता कब तक देगी बलि ?
राष्ट्र निर्माण में कोरबा के योगदान के प्रति कृतज्ञ बने सरकार
The Government should be grateful of Korba to contribution in nation building
रायपुर। कोरबा का राष्ट्र के निर्माण के लिए कोयला खनन एवं विद्युत उत्पादन के क्षेत्र में विशेष योगदान है। इसके प्रति इस देश की सरकार एवं एसईसीएल को कृतज्ञ होना चाहिये। लेकिन इसके बजाय इनकी नीतियां इस क्षेत्र को बर्बाद करने की ही हैं। यहां के ग्रामीणों को बुनियादी मानवीय सुविधाओं तथा संवैधानिक अधिकारों से ही वंचित किया जा रहा है। मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी तथा छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन इस सत्यानाशी नीतियों के खिलाफ चल रहे संघर्षों की अगुआई करेगी।
यह घोषणा माकपा राज्य सचिव संजय पराते ने एक पत्रकारवार्ता में की ।
माकपा सचिव संजय पराते तथा छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन के संयोजक आलोक शुक्ला के नेतृत्व में एक प्रतिनिधिमंडल ने कोयला खदानों तथा रेल कॉर्रीडोर से प्रभावित होने वाले गावों का दौरा किया। उन्होने भठोरा, रलिया, बाहनपाठ, नराईबोध , पाली ,पड़नियां ,सोनपुरी ,जटराज भैरोताल, रोहिना, मड़वाढोढ़ा, पुरैना आदि गांवों का दौरा किया तथा विस्थापन से उत्पन्न समस्याओं के बारे में ग्रामीणों से विस्तृत चर्चा की ।
मुआवजा तथा पुनर्वास के लिए बने वर्तमान कानूनों का धड़ल्ले से उल्लंघन
indiscriminately violation of existing laws for compensation and rehabilitation
ग्रामीणों से प्राप्त जानकारी के आधार पर माकपा नेता आरोप लगाया कि राज्य सरकार के संरक्षण में एसईसीएल जैसी सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी भी मुआवजा तथा पुनर्वास के लिए बने वर्तमान कानूनों का धड़ल्ले से उल्लंघन कर रही है। आदिवासी बहुल जिला एवं पांचवी अनुसूची का क्षेत्र होने के बावजूद यहां न तो पेसा कानूनों को मान्यता दी जा रही है और न ही आदिवासी वनाधिकार कानून का पालन किया जा रहा है। 1962 से लेकर आज तक जितनी भी जमीन का अधिग्रहण करने का दावा एसईसीएल कर रही है,कहीं भी उसने अधिग्रहण की प्रक्रिया- मुआवजा, रोजगार व पुनर्वास सहित- पूरी नहीं की है और न ही कोयला खनन के लिए इस पूरी जमीन का उपयोग किया है। इसके बावजूद वह नए-नए क्षेत्रों का अधिग्रहण करने तथा यहां के गरीब लोंगो को उजाड़ने के काम में लगा हुआ है।
उन्होने बताया कि रथोबाई बनाम एसईसीएल के प्रकरण में उच्चतम न्यायालय द्वारा निर्णीत विभिन्न निर्णयों का हवाला देते हुए छ0ग0 उच्च न्यायालय ने स्प्ष्ट रूप से कहा है कि कोल इण्डिया पुनर्वास नीति की कोई वैधानिकता नही है । लेकिन इसके बावजूद नए भू-अधिग्रहण कानून को लागू करने के बजाय भाजपा सरकारों की मौन सहमति से वह भू-विस्थापितों पर अपनी असंवैधानिक नीति थेाप रही है।
कोल इण्डिया नीति के दुष्परिणामों को रेखाकिंत करते हुए माकपा नेता कहा कि जबकि नया भूमि अधिग्रहण कानून प्रत्येक खातेदार परिवार के वयस्क सदस्यों को रोजगार देने की बात करता है ,एसईसीएल की नीति से उतने लोंगो को भी रोजगार नही मिला है , जितना रोजगार देने का उसने वादा किया था । निम्न तालिका से यह स्पष्ट है:
1गांव 2अधिग्रहित 3रोजगार देने 4रोजगार 5खनन की 6पुनर्वास की
कुल रकबा का वादा दिया स्थिति स्थिति
एकड़ में
पोड़ी 360 180 110 पूर्ण नही दिया
अमगांव 608 304 127 पूर्ण नही दिया
बाहनपाठ 246 123 25 पूर्ण नही दिया
भठोरा 319 159 32 पूर्णताकीओर नही दिया
नरईबोध 460 230 00 पूर्ण नही दिया
रलिया 113 56 00 आंशिक अधिग्रहण
भिलाईबाजार 96 48 00 आंशिक अधिग्रहण
————————————————————————————
कुल 1902 989 294
विस्थापित होने वाले गांवों का पुनर्वास करने के लिए तैयार नहीं कोल इण्डिया
Coal India is not willing to rehabilitate displaced villages
कोल इण्डिया की नीति के चलते उसकी रोजगार सूची से उक्त गावों के लगभग 1000 लेाग तो पहले ही बाहर हो चुके हैं। इसके अलावा पिछले 30 सालों से 2000 से ज्यादा रोजगार आवेदन लंबित है, जिस पर कार्यवाही नही हुई है और पिछले दिनों हुए आंदोलनों के बाद जिला पुनर्वास समिति के द्वारा कार्यवाही शुरू की गई है.
इसी प्रकार एसईसीएल विस्थापित होने वाले गांवों का पुनर्वास करने के लिए तैयार नही है और व्यवस्थापन का काम ग्रामीणों की किस्मत पर छोड़ दिया गया है।
पराते ने कहा कि नए भू-अधिग्रहण कानून अनुसार उदाहरण के लिए जहां भठोरा गांव के विस्थापितों के लिए असिंचित भूमि के लिए 44लाख रूपये, सिंचित भूमि के लिए 68लाख रूपये तथा मुख्य मार्ग से लगी जमीन के लिए 1 करोड़ रूपये प्रति हेक्टेयर की दर से मुआवजा बनता है, उन्हें मात्र 19 लाख रूपये प्रति हेक्टेयर का मुआवजा दे रहा है।
एसईसीएल प्रबंधन के आगे घुटने टेक रही भाजपा सरकार
माकपा नेता ने यह भी आरोप लगाया कि भाजपा सरकार का प्रशासन राज्य के नागरिकों के हितों की रक्षा करने के बजाय एसईसीएल प्रबंधन के आगे घुटने टेक रहा है। इसका स्पष्ट प्रमाण यह है कि कलेक्टर रजत कुमार की मध्यस्थता में वर्ष 2013 में विस्थापितों की हितों में एसईसीएल जो समझौता करने को बाध्य हुआ था उसे लागू करवानें के बजाय वर्तमान कलेक्टर ने उसे कचरे की टोकरी में फेंक दिया है जबकि एक कलेक्टर के समझौते को कोई दूसरा कलेक्टर अमान्य नही कर सकता ।
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी ने मांग की है:
CPI(M) has demanded
जिन क्षेत्रों में अधिग्रहण की प्रक्रिया पूरी नही हुई है, ऐसे क्षेत्रों में नये भू-अधिग्रहण कानून का पूर्णतः पालन किया जाये । प्रत्येक खातेदार परिवार के वयस्क सदस्यों को रोजगार दिया जाए ।
ऐसी जमीन, जिसका उपयोग अधिग्रहण करने के 5 वर्षो बाद भी नही किया गया है, को मूल किसानों को वापस किया जाये ।
खदानों के डी-पिल्लरिंग के कारण होने वाले जमीन व संपत्ति नुकसान का मुआवजा एवं फसल नुकसान की क्षतिपूर्ति राशि प्रति वर्ष समर्थन मूल्य के आधार पर भुगतान किया जाये
भूमिगत खदान क्षेत्रों के ऊपर से रेल कारिडोर निर्माण से भविष्य में होने वाली जानमाल की नुकसानी के संभावना को देखते हुए उस क्षेत्र में निर्माण योजना रद्द किया जाये ।
गेवरा विस्तार परियोजना क्षेत्र में प्रभावितों के पुनर्वास किये बिना और सुरक्षा मानकों की अनदेखी कर किये जा रहे खनन कार्य पर तत्काल रोक लगाई जाये ।
आदिवासी वनाधिकार- व्यक्तिगत व सामुदायिक पट्टे की स्थापना — एवं आबादी भूमि के पट्टे दिये बिना, प्रभावित परिवारों के विस्थापन एवं खनन हेतु अधिग्रहण पर रोक लगाओ
जिला मिनरल फण्ड एवं सीएसआर फण्ड की राशि का उपयोेग प्रभावित लोंगो व संबंधित गांवो के सामुदायिक विकास के लिए किया जाये, न कि अन्यत्र ।
राष्ट्र के विकास में कोरबा के योगदान के मद्देनजर कोरबा जिले के लोंगो को कृतज्ञता पैकेज के रूप में शिक्षा, स्वास्थ, परिवहन, बिजली, ईधन जैसी बुनियादी नागरिक सुविधाएं निःशुल्क प्रदान की जाये ।
How long will the public offering of sacrifice in growth Korba?growth Korba,विकास यज्ञ, कोरबा, nation building,आदिवासी वनाधिकार,कोल इण्डिया,राष्ट्र निर्माण में कोरबा के योगदान, राष्ट्र निर्माण, कोरबा के योगदान, मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी, रेल कॉर्रीडोर, छत्तीसगढ़ बचाओ आंदोलन, violation of existing laws for compensation and rehabilitation, Coal India,rehabilitate displaced villages