विपक्षी पार्टियों के दावों की हवा निकली तीन राज्यों के चुनाव में
आपकी नज़र | हस्तक्षेप चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में भी लोग जैसे हवा में ही बातें कर रहे थे, उन्हें ग्राउंड रियलिटीज का पता ही नहीं था, या उनकी अनदेखी करते रहे। वे जनता के मन की बात नहीं भांप पाये।

Munesh Tyagi
Claims of opposition parties fell flat in the elections of three states.
पिछले दिनों राजस्थान, मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़ और तेलंगाना के चुनाव नतीजे आ गए हैं। चुनाव से पहले दावे किए जा रहे थे कि इन चारों राज्यों में कांग्रेस चुनाव जीतने जा रही है। इस बारे में कांग्रेस के ज्यादातर लोग और दूसरे जनवादी और प्रगतिशील ताकतें और कई सारे मीडिया वाले भी यह मानकर चल रहे थे कि राजस्थान में, वहां की जनता गहलोत सरकार की नीतियों का समर्थन करेगी और वहां पर गहलोत सरकार को उन्हें सत्ता में ले आयेगी।
मध्य प्रदेश को लेकर अधिकांश लोगों का कहना था कि वहां पर 18 साल से चली आ रही बीजेपी की सरकार की सरकार विरोधी नीतियों के खिलाफ जनता वोट करेगी और कांग्रेस को सत्ता में ले आयेगी। अधिकांश लोग छत्तीसगढ़ के चुनाव को लेकर भी आश्वस्त थे। अधिकांश लोगों का यही मानना था कि छत्तीसगढ़ की जनता एक बार पुनः कांग्रेस सरकार को सत्ता में ले आयेगी, मगर इन तीनों राज्यों में जनता ने ऐसा नहीं किया और इन चुनाव के चुनावी नतीजों को लेकर बहुत सारे लोगों की भविष्यवाणियों को गलत साबित कर दिया है।
इन चुनावों की पड़ताल करने पर पता चला कि यहां कांग्रेस नेतृत्व और कार्यकर्ताओं की कमी रही। वे नेता आम जनता से कनेक्ट नहीं कर पाए, अपनी नीतियों को जनता तक नहीं ले जा पाए और इसके विपरीत वे भावनाओं में बहकर सत्ता में आने के दावे करते रहे।
राजस्थान में राज्य के शीर्ष नेतृत्व की आपकी लड़ाई उन्हें महंगी पड़ी, जिसे उन्हें सत्ता के बाहर कर दिया। वहां का नेतृत्व अपनी अच्छी नीतियों को जनता के बीच ले जा पाने में लगभग नाकाम रहा। वह जनता से सही तरीके से कनेक्ट नहीं कर पाया। इस सबका खामियाजा उसे भुगतना पड़ा और वहां भाजपा सत्ता में आ गई है।
यही हाल मध्य प्रदेश में रहा। वहां पर भी अधिकांश लोगों का मानना था कि मध्य प्रदेश की जनता वहां की सरकार के कार्यकलापों से नाराज है, संतुष्ट नहीं है और उसका खामियाजा वहां की सरकार को भुगतना पड़ेगा और वह बीजेपी को सत्ता से बाहर कर देगी, मगर वहां पर कांग्रेस हवा हवाई दावे करती रही, वहां का नेतृत्व भी आपस में लड़ता रहा, उसमें अहम ही हावी रहा, वह समय रहते आपस में समन्वय स्थापित नहीं कर पाया और अपनी नीतियों और कार्यक्रमों को जनता के बीच नहीं ले जा पाया और वह सरकार की कमियों को जनता के सामने उजागर करने में असमर्थ रहा और वहां पर भी वह केवल हवाई किले बनाता रहा। आज नतीजे बता रहे हैं कि कांग्रेस के लोग वहां की जनता के मूड को नहीं भांप पाये। वे अहमवाद का शिकार हो गए और वहां एक बार पुनः बीजेपी सरकार सत्ता में हो गई है।
चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि छत्तीसगढ़ में भी लोग जैसे हवा में ही बातें कर रहे थे, उन्हें ग्राउंड रियलिटीज का पता ही नहीं था, या उनकी अनदेखी करते रहे। वे जनता के मन की बात नहीं भांप पाये। कांग्रेस के कार्यकर्ता भी जनता से कनेक्ट नहीं कर पाए और वे ज्यादातर हवाई बातें करते रहे। जनता उनसे खिलाफ थी, वे जनता के मूड को नहीं समझ पाए या उसे नजरंदाज करते रहे और वहां पर जनता ने उन्हें सत्ता से बाहर कर दिया और कांग्रेस के फिर से सत्ता में आने के सपनों और कल्पनाओं को धूल चटा दी।
ये चुनाव नतीजे बता रहे हैं कि कांग्रेस अकेले-अकेले भाजपा का मुकाबला नहीं कर सकती। इन तीनों राज्यों में उसने गलती की है। उसने वहां की क्षेत्रीय पार्टियों से समझौता नहीं किया। उनके साथ गठबंधन नहीं किया और इंडिया गठबंधन के साझीदार ही आपस में लड़ते रहे। इसका नतीजा वोटों के बिखराव में हुआ और जिसका पूरा फायदा बीजेपी को हुआ। इन्हीं सब कारणों ने एक बार फिर से भाजपा को जोरदार तरीके से हंसने का मौका दे दिया।
इन चुनावों में जो नतीजे आए हैं वे सिर माथे पर। उनका तहेदिल से स्वागत हैं। मगर हमारा मानना है कि जो समस्याएं जनता के सामने मुंह बाए खड़ी हैं जैसे गरीबी, भुखमरी, अन्याय, शोषण, जुल्म, बेरोजगारी, गरीबी, इन बुनियादी मुद्दों को छोड़कर वह फिर से हवाई बातों में बह गई। उसने महंगाई, बेरोजगारी, गरीबी, किसानों की फसलों का वाजिब दाम, मजदूरों की समस्याओं की बिगड़ते हालात पर ध्यान नहीं दिया और वह फिर जुमलेबाजी की आंधी में फंस गई है।
इन चुनावों से पहले जो बातें की जा रही थी कि इन चुनावों के नतीजे 2024 के चुनाव को प्रभावित करेंगे और वे इंडिया गठबंधन के पक्ष में जाएंगे, वे सब गलत साबित हुए हैं। इन चुनावों ने सिद्ध कर दिया है कि पैसे से मजबूत सांप्रदायिक राजनीति करने वालों से, हिंदू मुसलमान की नफ़रत की राजनीति करने वालों से और पैसे वालों और साम्प्रदायिक राजनीति करने वाली ताकतों के गठजोड़ और जुमलेबाजी करने वालों से, बहुत आसानी से नहीं निपटा जा सकता।
ये नतीजे साफ तौर पर बता रहे हैं कि विपक्षी पार्टियों को सकारात्मक मुद्दे लेकर, जनता के बीच जाना होगा, अपने संगठनों को मजबूत करना होगा, जनता के बुनियादी मुद्दों को लेकर लगातार संघर्ष करना होगा, हम तो जीत रहे हैं वाली सोच को छोड़ना होगा, आपसी झगड़े मिटाने होंगे, नये चेहरों को आगे बढ़ाना होगा और समाज के सब तबकों को नेतृत्व में शामिल करना होगा और सरकार की जन विरोधी नीतियों पर गंभीरता से और पूरे आंकड़ों के साथ विचार करना होगा। केवल हवा हवाई बातें करके, भावनात्मक बातें करके ही, पैसे से मजबूत इस पूंजीवादी सांप्रदायिक गठजोड़ की ताकतों और सरकार को नहीं हराया जा सकता है।
मुनेश त्यागी


