उपवास के बाद अखिलेन्द्र ने की बैठक
सहयोगी दलों के साथ मिलकर जन अधिकार अभियान करेंगे तेज

लखनऊ 20 जून 2013, प्रदेश में अपने सहयोगी दलों के साथ मिलकर कानून के राज की स्थापना के लिये जन अधिकार अभियान को और तेज किया जाना चाहिये। यह बातें आज दस दिवसीय उपवास के बाद कार्यालय में कार्यकर्ताओं के साथ बैठक करते हुये आइपीएफ के राष्ट्रीय संयोजक का0 अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कही। उन्होंने कहा कि सपा सुप्रीमों के निर्देशन में चल रही अखिलेश की सरकार द्वारा पहले से ही विभाजन और अलगाव के दौर से गुजर रही प्रदेश की जनता को और भी विभाजित करने की राजनीति के विरोध में यह दस दिन का उपवास रहा है। अखिलेश सरकार ने सबसे पहले पूरे समाज से दलितों को अलगाव में डाल दिया और उनकी इस कार्यवाही को दलितों में ध्रुवीकरण के लिये मायावती ने भी मदद पहुँचाने का काम किया। सभी लोग जानते हैं कि आरक्षण के सन्दर्भ में नागराज के मुकदमे में सर्वोच्च न्यायालय का जो फैसला था वह पिछड़ी जातियों के पिछड़ेपन के सन्दर्भ में था जिसकी चपेट में अनुसूचित जाति और जनजाति के लोग भी आ गये, इसे मात्र सर्वोच्च न्यायालय में एक पुनर्विचार याचिका दायर कर ठीक कराया जा सकता था पर मायावती ने यह काम भी नहीं किया।

श्री सिंह ने कहा कि परशुराम जयंती पर अभियान चलाने वाली सपा सरकार ने यह जानते हुये भी अति पिछड़ी जातियों को दलितों में संवैधानिक रूप से शामिल नहीं किया जा सकता क्योंकि वह अछूत नहीं है, 17 अति पिछड़ी जातियों को अनुसूचित जाति का दर्जा देने के लिये कैबिनेट से प्रस्ताव पास कर केन्द्र सरकार को भेजा है। यह और कुछ नहीं अति पिछड़ी जातियों को उनके सामाजिक न्याय के अधिकार से वंचित करने की कोशिश है। उन्होंने कहा कि मुलायम सिंह समाजवादी आन्दोलन की पैदावार हैं और राजनीति की ईमानदारी का तकाजा है कि उन्हें कर्पूरी ठाकुर फार्मूला के आधार पर अति पिछड़ों का आरक्षण कोटा अन्य पिछड़ा वर्ग से अलग कर देना चाहिये।

आईपीएफ नेता ने कहा कि सपा सरकार प्रदेश में हिन्दू और मुस्लिमों के बीच की खाई को और बढ़ाने की राजनीति कर रही है। यह जानते हुये भी कि आतंकवाद के मुकदमें में फँसे लोगों का मुकदमा संवैधानिक रूप से सरकार वापस नहीं ले सकती महज मुसलमानों को शिकार बनाने के लिये इस सरकार ने मुकदमा वापसी की बड़ी-बड़ी घोषणाएं की। इससे हिन्दुओं को लगा कि महज वोट के लिये यह सरकार अपराधियों पर से मुकदमा वापस लेने का काम कर रही है और इससे मुसलमानों का भी भला नहीं हुआ। यदि सरकार अपनी घोषणा के प्रति ईमानदार होती तो वह इस सम्बंध में बनी जस्टिस आर.डी. निमेष कमीशन की रिपोर्ट को एक्शन टेकन रिपोर्ट के साथ विधानसभा में रखने में इतना विलम्ब न करती। अभी भी इस सरकार ने खालिद के बड़े पिता की तरफ से उसकी मौत और गिरफ्तारी के लिये दर्ज एफआईआर की विवेचना शुरू नहीं करायी और न ही इस पूरे मामले की सीबीआई जाँच के लिये केन्द्र सरकार पर दबाब डाला। वास्तव में तो सरकार को आतंकवाद के नाम पर जेलों में बन्द नौजवानों के मामले में एक कमीशन बना देती जिसकी रिपोर्ट के बाद प्रदेश की जनता यह देख लेती कि कौन आतंकवादी है और कौन निर्दोष। उन्होंने कहा कि हिन्दु-मुसलमानों में विभाजन और साम्प्रदायिक धुव्रीकरण की राजनीति प्रदेश के लिये अच्छी नहीं है।

अखिलेन्द्र प्रताप सिंह ने कहा कि प्रदेश की सरकार ने किसानों के साथ भी धोखा देने का काम किया है। किसानों से पचास हजार तक कर्जे को माफ करने का वायदा किया गया था। जिसके सम्बंध में पता यह चला कि मात्र भूमि विकास बैंक के द्वारा ही लिये कर्जे के ब्याज की माफी के लिये सरकार जिलों से किसानों की सूची मँगवा रही है। किसानों से आज तक लागत मूल्य का पचास प्रतिशत जोड़कर न्यूनतम समर्थन मूल्य निर्धारित करने और किसान आयोग बनाने का वायदा पूरा भी नहीं किया गया। प्रदेश में सर्वोच्च न्यायालय के आदेशों की अवहेलना करते हुये प्राकृतिक संसाधनों की लूट के लिये सिड़ीकेटों द्वारा अवैध खनन बदस्तूर जारी है। इस स्थिति से प्रदेश को बचाने के लिये कानून के राज की स्थापना के लिये जन अधिकार अभियान को और तेज करना जरूरी है।

बैठक में आइपीएफ के राष्ट्रीय प्रवक्ता एस. आर. दारापुरी, प्रदेश संयोजक मो0 शोएब, सहसंयोजक नसीम खान, लाल बहादुर सिंह, संगठन प्रभारी दिनकर कपूर, गुलाब चंद गोड़, राजेश सचान, सुरेन्द्र पाल, अखिलेश दूबे, अजीत सिंह यादव, विजय राव, जोखू सिद्दकी, महेश सिंह, राज नारायण मिश्र, छक्कन चैहान, आरिफ, शाबिर, रमेश खरवार, कमलेश सिंह आदि लोग उपस्थित रहे।