विभाजन के कगार पर भाजपा
विभाजन के कगार पर भाजपा
अब भाजपा से लड़ रहे मोदी
यह मोदी का राजनैतिक पार्टी का गुजरात माडल है। वे नई भाजपा बना रहे हैं और पुरानी भाजपा सिमट रही है।
अंबरीश कुमार
नई दिल्ली। नरेंद्र मोदी अब भारतीय जनता पार्टी से लड़ रहे हैं। लोकसभा चुनाव से पहले वे उस पार्टी से लड़ रहे हैं जिसने उन्हें आज प्रधानमंत्री पद का दावेदार बनाया। वे उन नेताओं से भी लड़ रहे हैं जिन्होंने उन्हें राजनीति में गढ़ा और आगे बढ़ाया। लोकसभा चुनाव में अब करीब एक पखवाड़ा बचा है और भाजपा से सम्बन्धित ज्यादातर खबरें बगावत और विद्रोह की आ रही हैं। जिले जिले से लेकर राज्यों तक में मार हो रही है और बाबू राजनाथ सिंह के साथ विकास पुरुष के पुतले फूंके जा रहे हैं।
सत्तर पार के ज्यादातर नेता ठिकाने लगा दिए गए हैं या लगाए जाने की प्रक्रिया में हैं। लाल कृष्ण आडवानी, मुरली मनोहर जोशी, कलराज मिश्र, लालजी टंडन, जसवंत सिंह, कल्याण सिंह से लेकर यशवंत तक। सत्तर पार वालों को साफ सन्देश है कि वे ख़ामोशी से रिटायर हो जाएं तो उनके बेटे-बेटी को समायोजित कर लिया जाएगा। वर्ना फजीहत के साथ पार्टी में एक बोझ की तरह रहना होगा। यह मोदी का राजनैतिक पार्टी का गुजरात माडल है। वे नई भाजपा बना रहे हैं और पुरानी भाजपा सिमट रही है। टिकट काटे जाने के बाद वरिष्ठ बीजेपी नेता जसवंत सिंह ने कहा - बीजेपी दो हिस्सों में बंट चुकी है। एक असली बीजेपी है तो दूसरी नकली असली बीजेपी पर बाहरी लोगों ने अतिक्रमण कर लिया है।
जसवंत सिंह की यह टिपण्णी आगे की राजनीति का इशारा कर रही है। इंदिरा गाँधी ने जिस तरह सिंडिकेट से लड़कर नई कांग्रेस बनाई थी उसी रास्ते पर मोदी जा रहे हैं। वे वरिष्ठ नेताओं को निपटा रहे हैं। कुछ के टिकट काटे तो कुछ को टिकट देकर हराने की तैयारी है। पर इंदिरा गाँधी की प्रतिभा और नेतृत्व क्षमता के आगे मोदी कुछ भी नहीं है। इसलिए चुनाव में अगर ढाई सौ सीट उनके नाम नहीं आई तो वे भी निशाने पर होंगे। फिर भाजपा में विभाजन की भी आशंका है क्योंकि भाजपा ने इस बार सब कुछ दांव पर लगा दिया है। पार्टी भी दांव पर है और नेता भी।
पाल हो या सतपाल या फिर मोहम्मद जलालुद्दीन अकबर ये कोई वोट लेकर नहीं आ रहे हैं। उत्तर प्रदेश के डुमरियागंज में भाजपा भाजपा से लड़ रही है तो बाड़मेर में भी यही स्थिति है। गाजियाबाद से गोंडा तक सड़क पर उतर कर भाजपा कार्यकर्त्ता मार कर रहा है और बताया जा रहा है कि मोदी की हवा बह रही है। ऐसी हवा पहले कभी नहीं बही। भाजपा के कार्यकर्त्ता अपनी ही पार्टी के खिलाफ झंडा डंडा लेकर खड़े हो गए हो। यह है मोदी का करिश्मा। वे अपने नेताओं को अपमानित कर हाशिए पर डाल रहे हैं। कोई तर्क नहीं सुना जा रहा है। मोदी सीट बदल सकते हैं, राजनाथ सीट बदल सकते हैं पर जोशी आडवाणी और जसवंत नहीं। यह कौन सा चाल चरित्र और चेहरा है यह पार्टी का कार्यकर्ता समझ नहीं पा रहा है।
छांट-छांट कर अवसरवादी कांग्रसी पार्टी में लाए जा रहे हैं। और मोदी इनके बूते समाज और देश बदलने का नारा उछाल रहे हैं।
यह सही है कि इस चुनाव में भाजपा के पक्ष में संघ की शब्दावली में 'वातावरण' बन रहा था। पर फिलहाल यह वातावरण बिगड़ रहा है। जिस तरह उत्तर प्रदेश से लेकर राजस्थान में पार्टी में युद्ध शुरू हुआ है वह पार्टी को लोकसभा चुनाव में सत्ता की ड्योढ़ी से वापस भेज दे तो हैरानी नहीं होगी।पार्टी नेतृत्व जिसका अर्थ अब सिर्फ 'मोदी' है, वह अहंकार में डूब चुका है। इस अहंकार के साथ देश पर राज करने का सपना अगर कोई देख रहा है तो वह मुगालते में है।
जनादेश न्यूज़ नेटवर्क


