विश्वविद्यालयों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में : डॉ. मनमोहन सिंह
विश्वविद्यालयों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में : डॉ. मनमोहन सिंह
नई दिल्ली, 20 जनवरी। पूर्व प्रधानमंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा है कि भारतीय विश्वविद्यालयों में स्वतंत्र सोच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता खतरे में पड़ गई है। उन्होंने हैदराबाद और जवाहरलाल नेहरू विश्वविद्यालय (जएनयू) में बीते कुछ समय की अशांति के संदर्भ में जोर देकर कहा कि शांतिपूर्ण विरोध को दबाना अलोकतांत्रिक है।
देशबन्धु में प्रकाशित खबर के मुताबिक पूर्व प्रधानमंत्री ने कोलकाता के प्रेसीडेंसी विश्वविद्यालय में कहा,
"मैं समझता हूं कि प्रत्येक विश्वविद्यालय को ज्ञान को आगे बढ़ाने की स्वतंत्रता अवश्य देनी चाहिए, भले ही वह ज्ञान स्थापित बौद्धिक और सामाजिक परंपरा से मेल ना रखता हो। हमें पूरी शिद्दत से इस स्वतंत्रता की रक्षा करनी चाहिए।"
उन्होंने कहा,
"दुखद है कि भारतीय विश्वविद्यालयों में स्वतंत्र सोच और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता अब खतरे में है।"
पूर्व प्रधानमंत्री ने कहा,
"शैक्षणिक नियुक्तियों में राजनीतिक हस्तक्षेप अत्यधिक अदूरदर्शिता है।"
डॉ. सिंह ने कहा,
"हाल में हैदराबाद केंद्रीय विश्वविद्यालय और जेएनयू में छात्र समुदाय की अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता में हस्तक्षेप का प्रयास खास तौर पर चिंता का विषय है।"
श्री सिंह ने कहा,
"शांतिपूर्ण विरोध को दबाने के प्रयास न केवल सीखने के प्रतिकूल हैं, बल्कि अलोकतांत्रिक भी हैं। हमें प्रत्येक विश्वविद्यालय की स्वायत्तता की रक्षा के लिए हर संभव कोशिश करनी चाहिए।"
विश्वविद्यालयों में स्वतंत्र सोच और विचारों की आज़ादी खतरे में है pic.twitter.com/JLgQAfGS28
— INC India (@INCIndia) January 20, 2017


