शाश्वत विद्रोही राजनेता : आचार्य जे बी कृपलानी
शाश्वत विद्रोही राजनेता : आचार्य जे बी कृपलानी

आचार्य कृपलानी पर लिखित पुस्तक पर चर्चा
नई दिल्ली। वरिष्ठ पत्रकार राम बहादुर राय द्वारा लिखित पुस्तक ‘शाश्वत विद्रोही राजनेता : आचार्य जे बी कृपलानी’ पर आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट ( Acharya Kripalani Memorial Trust) की ओर से एक परिचर्चा आयोजित की गई। गांधी शांति प्रतिष्ठान में आयोजित इस परिचर्चा में बड़ी संख्या में लेखक, पत्रकार, समाजकर्मी एवं छात्र मौजूद थे।
राष्ट्रीय पुस्तक न्यास द्वारा प्रकाशित पुस्तक पर बोलते हुए वरिष्ठ पत्रकार बनवारी ने कहा कि यह किताब कृपलानी के जीवन और उनके राजनीतिक रुझान पर बेहतर प्रकाश डालती है। हां, यह जरूर है कि भारत में पश्चिमी देशों की तरह जीवनी लिखने की परंपरा नहीं है इसलिए कई तथ्य छूट गए लगते हैं, पर लेखक ने पुस्तक में कृपलानी जी के राजनीतिक जीवन पर ज्यादा जोर दिया है। शायद इसकी वजह यह भी है कि पश्चिमी देशों के विपरीत भारत में हर जीवनी लेखक अपनी पसंद के अनुरूप जीवनी लिखता है और यहां लेखक खुद एक राजनीतिक व्यक्ति हैं। पश्चिमी देशों में जीवनी लिखने के दौरान जीवन का कोई भी पक्ष छोड़ा नहीं जाता जबकि हमारे यहाँ एक ही व्यक्ति या महापुरुष के अनेक लोगों ने अपने-अपने तरीके से जीवनियां लिखी हैं।
Being independent is not rebellious
पुस्तक के शीर्षक पर सवाल उठाते हुए उन्होंने कहा कि आचार्य कृपलानी के जीवन में पूरी निष्ठा दिखाई देती है, वे स्वतंत्रचेता हैं, जो सोचते हैं छोड़ते नहीं हैं लेकिन स्वतंत्रचेता होना विद्रोही होना नहीं है।
Acharya JB Kripalani did not agree with Gandhi's non-violence: Arvind Mohan
वरिष्ठ पत्रकार अरविंद मोहन ने कहा कि आचार्य जे बी कृपलानी गांधी की अहिंसा से सहमत नहीं थे फिर भी गांधी को किसी और से बेहतर समझते थे। असहमत होने के बावजूद उनके रास्ते को ही सही मानते थे।
उन्होंने आगे कहा कि यह कहीं-कहीं कुछ फासले हैं जिन पर और शोध करने की जरूरत थी। उनका कहना था कि पुस्तक को उन्होंने दो बार पढ़ा है पर यह बहुत देर से समझ पाए कि इसको लिखने का ध्येय क्या है।
उनका कहना था कि पुस्तक का उद्देश्य आचार्य कृपलानी को एक सच्चे गांधीवादी के रूप में स्थापित करना था। उन्होंने कृपलानी से संबंधित कई रोचक घटनाओं का जिक्र भी किया।
पुस्तक के लेखक राम बहादुर राय ने स्वीकार किया कि पुस्तक में कई कमियां रह गई हैं जिन पर अभी काम करने की जरूरत है।
उन्होंने यह सवाल भी खड़ा किया कि संविधान सभा में जब गांधी के सपनों को कुचला जा रहा था तो क्रांतिकारी जे बी कृपलानी मौन क्यों थे। उन्होंने इस पर शोध की जरूरत बताई।
कार्यक्रम में उपस्थित महत्वपूर्ण लोगों में रामचंद्र राही, अनुपम मिश्र, डॉ. शिवानी सिंह, डॉ. अशोक सिंह, डॉ. अमरनाथ झा, राधा बहन, मंजू मोहन, पुतुल बहन, अनिल सिंह, डॉ. राकेश रफीक, अशोक शरण, अतुल प्रभाकर, उमेश चतुर्वेदी, विमल जी, राकेश सिंह जैसे नाम शामिल थे।
अंत में आचार्य कृपलानी मेमोरियल ट्रस्ट के प्रबंध न्यासी अभय प्रताप ने सभी अतिथियों एवं श्रोताओं के प्रति आभार प्रकट किया।
संचालन वरिष्ठ पत्रकार प्रसून लतांत ने किया।


