शेष नारायण सिंह : जितनी बार पढो फिर भी विशेष
शेष नारायण सिंह : जितनी बार पढो फिर भी विशेष
"तूफ़ान कर रहा था, मेरे अज़्म का तवाफ़,
दुनिया समझ रही थी के क़श्ती भंवर में है "
सोशल नेटवर्किंग साईट फेसबुक पर अपनी जानकारी की शुरुआत करने वाले और हस्तक्षेप.कॉम के सम्मानित लेखक शेष नारायण सिंह ज़िंदगी में ६० वसंत देख चुके हैं लेकिन कलम में ताकत और विचारों में संघर्ष का जज्बा अभी भी २० साल के नौजवान जैसा ही है. किसी भी नए और जुझारू पत्रकार के लिए हमेशा एक अभिभावक की तरह तन कर खड़े होते हैं. इन्टरनेट की दुनिया को हथियार बनाकर जो भी नौजवान पत्रकार एक वैकल्पिक मीडिया बनाने की जद्दोजहद में लगे हैं, शेष जी सभी के सरपरस्त हैं.
आज इलेक्ट्रोनिक मीडिया के वरिष्ठ पत्रकार रवीश कुमार ने दैनिक हिन्दुस्तान के अपना साप्ताहिक स्तम्भ "ब्लॉग वार्ता" शेष जी के नाम किया है. यह हम लोगों के लिए भी गर्व की बात है. हमारे सभी लेखकों ने हस्तक्षेप.कॉम को बुलंदियों पर पहुँचाया है जिसके चलते हस्तक्षेप.कॉम ने गंभीर मुद्दों पर अपनी एक अलग पहचान बनायी है. शायद ही कोई दिन जाता हो जिस दिन हमारे लेखकों के कारण किसी न किसी अख़बार में हस्तक्षेप.कॉम की चर्चा न होती हो.


